- आई एक्सक्लूसिव

- फायर ब्रिगेड ने स्वास्थ्य विभाग को भेजी सिग्नेचर की कॉपी

- महज तीन हॉस्पिटल को एनओसी जारी करने का दावा, बाकी के लाइसेंस पर सवाल

ALLAHABAD: जीवन ज्योति हॉस्पिटल में हुई आग की घटना तो एक बानगी मात्र है, सवाल यह पैदा होता है कि शहर के बाकी हॉस्पिटल्स के पास आग से निपटने के क्या इंतजाम मौजूद हैं? वह भी तब जब फायर ब्रिगेड ने अपनी ओर से जिले के महज तीन हॉस्पिटल को एनओसी जारी की है। इस बात को लेकर फायर ब्रिगेड ने नाराजगी भी जाहिर की है। अधिकारियों का कहना है कि बिना पूरी फायर फाइटिंग उपकरणों की जांच के हॉस्पिटल्स का लाइसेंस रिन्यूवल करना नियम विरुद्ध है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।

सिग्नेचर का मिलान जरूरी

मंगलवार मार्निग हुई घटना के बाद फायर ब्रिगेड ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र जारी कर चीफ फायर ऑफिसर के सिग्नेचर की कॉपी भेजी है। विभाग का कहना है कि हॉस्पिटल्स के लाइसेंस रिन्यूवल के दौरान उनकी एनओसी में बने सिग्नेचर से इसका मिलान किया जाए और उसकी एक कॉपी हमारे पास भेजी जाए। ताकि, एनओसी की सत्यता की जांच की जा सके। कई बार हॉस्पिटल्स में होने वाली आग की घटनाओं के बाद जांच में पता चलता है कि फायर फाइटिंग उपकरण लंबे समय से बेकार हो चुके थे।

नहीं कराते रिफलिंग

फायर ब्रिगेड का कहना है कि नियमानुसार एक निश्चित शुल्क जमा कराने के बाद हॉस्पिटल्स को अपने फायर फाइटिंग उपकरणों की जांच करानी चाहिए। उनके यहां लगाए गए फायर इस्टिग्युशर की रिफिलिंग जरूरी है। हर साल इसका मटेरियल चेंज होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आग लगने पर उसे बुझाना मुश्किल हो सकता है। बता दें कि इस समय जिले में तीन सौ के आसपास हॉस्पिटल मौजूद हैं। इनमें से गिने-चुने ने ही अपने उपकरणों की जांच कराई है।

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प्राइवेट छोडि़ए सरकारी अस्पताल के हाल खराब

प्राइवेट हॉस्पिटल्स की आग से निपटने के इंतजाम तो जग जाहिर हैं लेकिन सरकारी हॉस्पिटल भी इसमें पीछे नहीं हैं। तीन साल पहले एमएलएन मेडिकल कॉलेज के एसआरएन हॉस्पिटल के मेडिसिन आईसीयू वार्ड में शार्ट सर्किट से लगी आग के बाद यह सच सामने आया था। यहां आग बुझाने के प्रॉपर इंतजाम नहीं होने से परिस्थितियां जटिल हो गई थीं। अब जाकर फायर फाइटिंग इंतजाम के लिए शासन ने करोड़ों रुपए का बजट मेडिकल कॉलेज को जारी किया है। इसी तरह कुछ साल पहले प्रीति नर्सिग होम में भी आग लगने से मरीजों की जान पर बन आई थी।

हमारी ओर से बमुश्किल दो या तीन हॉस्पिटल को एनओसी जारी की गई है। हमने स्वास्थ्य विभाग को भी फर्जी एनओसी पर लाइसेंस जारी नहीं करने की अपील की है। इसके लिए मैंने अपने सिग्नेचर की मिलान कॉपी भी भेजी है।

इंदु कुमार तिवारी, चीफ फायर ऑफिसर, इलाहाबाद

Posted By: Inextlive