RANCHI : ह्यूमन ट्रैफिकिंग का कलंक धोने व अवैध मानव व्यापार में संलग्न प्लेसमेंट एजेंसियों पर झारखंड सरकार ने कड़ा प्रहार किया है। राज्य के बाहर बड़े शहरों में घरेलू कामगार के रूप में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करनेवालों की अब खैर नहीं है। सीएम रघुवर दास की पहल पर राज्य सरकार ने झारखण्ड निजी नियोजन अभिकरण एवं घरेलू कामगार विनियमन विधेयक 2016 को विधानसभा से पारित करा लिया है। इसके तहत सभी प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट या लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है। इसके उल्लंघन पर प्लेसमेंट एजेंसी का काम करने या अवैध मानव व्यापार में संलिप्तता पर दो साल कैद या एक लाख जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।

90 दिनों में लेना होगा लाइसेंस

अधिनियम की अधिसूचना से पूर्व अस्तित्व में आई प्लेसमेंट एजेंसियों को भी 90 दिनों के भीतर लाईसेंस लेना होगा। शर्तो के अनुपालन में विफल रहने या नियमों का उल्लंघन करने पर प्लेसमेंट एजेंसी का रजिस्ट्रेशन रद कर दिया जाएगा और उनके द्वारा जमा की गई बैंक गारंटी जब्त कर ली जाएगी।

क्या हैं विधेयक के प्रावधान

-विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, प्लेसमेंट एजेंसी घरेलू कामगारों से कोई शुल्क नहीं ले सकेगी।

-घरेलू कामगार को कहीं ले जाने की तिथि से सात दिनों के भीतर प्लेसमेंट एजेंसी को उसके नियोजन का विवरण और कामगार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट देना होगा।

-प्लेसमेंट एजेंसियां 18 वर्ष से कम आयु के कामगार को नियोजित नहीं कर सकेंगी।

-प्लेसमेंट एजेंसी को हर कामगार का पूरा व्यौरा रखना होगा।

-एकरारनामा के जरिए प्लेसमेंट एजेंसी को सुनिश्चित करना होगा कि कामगार को न्यूनतम मजदूरी 8 घंटे से अधिक काम कराने पर ओवरटाइम की दोगुनी मजदूरी व नियमानुसार छुट्टी मिले।

-प्लेसमेंट एजेंसी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कामगार को उसके बैंक खाते में पारिश्रमिक का भुगतान किया जाए।

Posted By: Inextlive