जम्‍मू कश्‍मीर और झारखंड में चुनाव परिणाम आने बाद अब लोगों की निगाहें सरकार बनने पर टिकी हैं. झारखंड में तो बीजेपी का रास्‍ता साफ है लेकिन जम्‍मू कश्‍मीर को लेकर काफी सस्‍पेंस है. हालांकि जम्‍मू कश्‍मीर में भी मोदी का जादू बरकरार रहा. इन दोनों राज्‍यों में किसकी सरकार बनेगी इसे लेकर आज 11 बजे बीजेपी संसदीय दल की बैठक होनी है जिसमे दोनों ही राज्‍यों में सरकार बनने को लेकर विचार विमर्श होगा. झारखंड में 42 सीटें जीतकर भाजपा गठबंधन जहां सरकार बनाने जा रहा है. वहीं जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा ने 25 सीटें लेकर राज्य की सियासत में प्रभावी स्थान बनाया. हालांकि सभी सीटें जम्मू से ही हैं.


भाजपा ने रचा इतिहास


लोकतंत्र के महासमर में नरेंद्र मोदी का रथ विजय पथ पर चलना जारी है. उनके नेतृत्व में पहले राष्ट्र, फिर महाराष्ट्र और हरियाणा. अब झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा ने इतिहास रचा.  झारखंड में 42 सीटें जीतकर भाजपा गठबंधन जहां सरकार बनाने जा रहा है. वहीं मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर की त्रिशंकु विधानसभा में भाजपा ना सिर्फ पीडीपी के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनी बल्कि सरकार गठन में अहम भूमिका निभाएगी. दोनों राज्यों में कांग्रेस चौथे नंबर पर सिमटी है. वहीं झारखंड में जनता परिवार का सफाया हो गया है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सरकार बनाने या बनवाने के सभी विकल्प खुले रखने की बात कर जम्मू-कश्मीर को लेकर रहस्य और बढ़ा दिया है. दोनों ही राज्यों में मत प्रतिशत और सीटों दोनों के लिहाज से मोदी-शाह की जोड़ी ने नई ऊंचाई को छुआ. झारखंड में पहली बार चुनाव पूर्व गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार किया है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा ने 25 सीटें लेकर राज्य की सियासत में प्रभावी स्थान बनाया. हालांकि सभी सीटें जम्मू से ही हैं.जम्मू-कश्मीर पर निगाहें

भाजपा को घाटी में खाता न खोल पाने का मलाल जरूर होगा. लोकसभा चुनाव की तरह लेह-लद्दाख में अपना पुराना प्रदर्शन न दोहरा पाने की समीक्षा भी उसे करनी होगी. जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मत प्रतिशत बांटकर और घाटी में भी कई सीटों पर अच्छा वोट लेना बड़ी उपलब्धि है. देश के सबसे अशांत इलाके में भी कमल खिलना शुभ संकेत है. भाजपा इससे पहले अधिकतम 11 सीटों तक इस राज्य में पहुंची थी. इस दफा 25 सीटों और 23 फीसद से ज्यादा वोट पाकर उसने मतों की संख्या के लिहाज से नंबर एक पार्टी पीडीपी (28 सीट) को भी पीछे छोड़ दिया है.सरकार का गणित रोचकसरकार बनाने के विकल्पों में सबसे आसान विकल्प भाजपा (25)-पीडीपी (28) का है. यदि ये दोनों मिल जाएं तो आसानी से बहुमत के आंकड़े 44 से काफी ज्यादा हो जाते हैं. इसके अलावा विकल्पों में भाजपा-नेशनल कांफ्रेंस (15) और अन्य (7) है.यदि पीडीपी और कांग्रेस (12) व अन्य मिल जाएं तो तीसरा विकल्प यह हो सकता है. पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस का एक होना मुश्किल है, पर अंतिम विकल्प यह भी है.बहुमत का वनवास खत्म

झारखंड के जन्म के बाद से बहुमत वाली सरकार का 14 साल का वनवास जैसे इस दफा पूरा हुआ. झारखंड में भाजपा को अपने बूते 37 और 5 सीटें उसकी सहयोगी आजसू को मिली हैं. संयुक्त विपक्ष के अभाव में भाजपा 30 फीसद से ज्यादा वोट पाकर आसानी से सत्ता की लड़ाई जीत गई. कांग्रेस का बुरा प्रदर्शन यहां भी जारी रहा. मात्र छह सीटें मिलीं, वहीं मोदी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी मोर्चा तैयार करने की कोशिश में जुटे राजद और जद (यू) तो यहां खाता भी नहीं खोल सके. हालांकि, इस लड़ाई में झामुमो के नए चेहरे हेमंत सोरेन ने अपना लोहा जरूर मनवाया. वह मोदी की इस आंधी में भी 18 सीटें लेकर आए, जबकि राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की झाविमो कुछ खास नहीं कर सकी. खुद मरांडी दो जगह से चुनाव नहीं जीत पाए. यद्यपि उनकी पार्टी को आठ सीटें मिल गईं.गैर आदिवासी सीएम संभवआदिवासी चरित्र के इस राज्य में अब मुख्यमंत्री को लेकर कयासबाजी का दौर तेज है. संभावनाएं गैर आदिवासी मुख्यमंत्री की ज्यादा हैं. ऐसा इसलिए भी है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा ने परंपराओं को तोड़ा है. महाराष्ट्र में गैर मराठा तो हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री दिया है. उसी लीक पर झारखंड में रघुवर दास, सरयू राय और जयंत सिन्हा के नाम चल रहे हैं. पहले उपमुख्यमंत्री रह चुके दास का नाम आगे है. दो बार सीएम रहे अर्जुन मुंडा की हार से बची-खुची चुनौती भी खत्म हो गई.
झारखंड में भाजपा की जीत के कारणमोदी की लहर: लोकसभा में भाजपा ने राज्य की 14 में से 12 सीटें जीतीं. 58 विधानसभा क्षेत्रों में उसे बढ़त मिली. यह बढ़त विधानसभा चुनावों में भी कमोबेश बरकरार रही.विकास का वादा: भाजपा ने विकास का नारा दिया. प्रचुर प्राकृतिक संपदा का यह राज्य बिहार से अलग होने के बावजूद पिछड़ा रहा. देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी महज 1.72 फीसद है. रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट ने इसे अल्प विकसित राज्यों की श्रेणी में पांचवें नंबर पर रखा है.स्थिरता का नारा: 14 साल पहले राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक राज्य में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार नहीं रही। अब तक नौ मुख्यमंत्री बने. भाजपा ने इस बार स्थिर सरकार का नारा दिया.चुनाव पूर्व गठबंधन: पिछली बार छह सीटें जीतने वाली आजसू से भाजपा ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया. इस बार भी आजसू ने आठ सीटों पर चुनाव लड़कर पांच सीटें जीतीं. दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे. लिहाजा वोटों का बिखराव नहीं हुआ.जम्मू-कश्मीर का किस्सा
भाजपा का दमदार प्रदर्शन: जम्मू क्षेत्र की 37 में से 25 सीटें जीतीं. कश्मीर घाटी में खाता नहीं खुला. घाटी में पार्टी का चेहरा हिना भट्ट को शिकस्त मिली. पूरे राज्य में पार्टी से केवल एक मुस्लिम प्रत्याशी जीत हासिल कर सका.घाटी में पीडीपी का बोल बाला: राज्य में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी को हालांकि उसकी अपेक्षा के अनुरूप सीटें नहीं मिलीं. उसका सबसे शानदार प्रदर्शन घाटी में रहा.

उमर अब्दुल्ला को शिकस्त: नेशनल कांफ्रेंस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. दो सीटों से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एक जगह पर हार का सामना करना पड़ा. पिछले दिनों राज्य में बाढ़ से हुई तबाही के बाद उपजे हालातों से निपटने में अक्षम रहने का खामियाजा लोगों के आक्रोश के रूप में सरकार के खिलाफ गया.Hindi News from India News Desk  

Posted By: Satyendra Kumar Singh