RANCHI : सरकार लड़कियों को सशक्त बनाने की बात करती है। वहीं एजुकेशन में 52.04 परसेंट दर भी उनकी भागीदारी बढ़ा रही है। करियर बनाने के चक्कर में लेट मैरिज भी अब चलन में है। इसके बावजूद चाइल्ड मैरिज में झारखंड की स्थिति सुधर नहीं रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के कई जिलों में आज भी 100 में से 38 लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जा रही है। इसका खुलासा बच्चों और महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था सिनी की रिपोर्ट में हुआ है। जहां देशभर के चाइल्ड मैरिज में बंगाल 41.6 परसेंट के साथ अव्वल है जबकि बिहार 39.1 परसेंट के साथ दूसरे नंबर पर है।

कम उम्र में शादी से होती है प्राब्लम

एजुकेटेड नहीं होने के कारण पैरेंट्स कम उम्र में बेटियों की शादी इसलिए कर देते है ताकि उन्हें अधिक दहेज न देना पड़े। चूंकि उनका मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ दहेज की भी अधिक डिमांड की जाती है। लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनकी बच्ची को कई तरह की समस्याएं भी हो सकती है। इसके अलावा कम उम्र में मां बनने की वजह से उन्हें कई बीमारियां भी अपनी चपेट में ले लेती है। इस चक्कर में कई लड़कियां अपनी जान भी गंवा चुकी है।

अपनी जिम्मेदारी से होना चाहते है मुक्त

झारखंड में पैरेंट्स घर में बेटी को बोझ मानते है। ऐसे में इससे छुटकारा पाने के लिए जितनी जल्दी हो उनके लिए लड़का ढूंढकर शादी करा देते है। वहीं उन्हें यह भी डर सताता रहता है कि उनकी बेटी की बढ़ती उम्र के साथ कहीं कोई ऊंच नीच न हो जाए। इस चक्कर में उसकी पूरी लाइफ ही बर्बाद हो जाएगी।

Posted By: Inextlive