-ईस्ट सिंहभूम में तेजी से बढ़ रहे हैं डिमेंशिया और अलजाइमर्स के पेशेंट्स

JAMSHEDPUR: अक्सर लोग बात-बात पर कहते हैं अरे यार मैं यह काम करना भूल गया, मुझे उसका नाम याद नहीं आ रहा, पता नहीं मैंने गाड़ी लॉक किया या नहीं? अगर ऐसे सवाल आपके मन में भी अक्सर उठते हैं तो इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। इससे सावधान हो जाएं, क्योंकि यह डिमेंशिया (भूलने का रोग) का लक्षण है। शहर में ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि अगले ख्0 साल में इस आंकड़े में तेजी से बढ़ोत्तरी हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ख्0क्0 में भारत में डिमेंशिया मरीजों की संख्या में फ्7 लाख थी और ख्0फ्0 तक यह संख्या दोगुनी हो सकती है।

शहर में क्म्0 का चल रहा इलाज

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) हॉस्पिटल के साइकियाट्रिस्ट डॉ। दीपक गिरि के मुताबिक सिर्फ एमजीएम हॉस्पिटल में अलजाइमर्स के क्म्0 मरीज हैं, जो नियमित रूप से इलाज के लिए आते हैं। इनमें 90 महिलाएं शामिल हैं। वहीं ईस्ट सिंहभूम में यह आंकड़ा और भी अधिक है।

क्या है डिमेंशिया और अल्जाइमर्स

डॉ। गिरि के अनुसार, डिमेंशिया में रोगी सामान्य बातें भूलने के साथ ही अपनी बौद्धिक क्षमता खो बैठता है। इसमें मरीज भाषा, सामान का नाम, समय का ज्ञान, यहां तक कि अपना पता तक भूल जाता है। सामान्य रूप से डिमेंशिया क्रॉनिकल अथवा ब्रेन इंज्यूरी के कारण होता है। अल्जाइमर्स के पीडि़तों में भी यही लक्षण होते हैं, लेकिन इसका कारण बढ़ता उम्र होता है। सामान्य तौर पर भ्0 की उम्र के बाद इस रोग के होने की आशंका रहती है, लेकिन अब यह ब्0 वर्ष के लोगों में भी हो रहा है। इसकी शुरुआत छोटी-मोटी भूल से होती है।

ये हैं बीमारी के लक्षण

- तुरंत किया काम भूल जाना।

- परिवार के सदस्यों के साथ-साथ अपना नाम भूल जाना।

- दिशा का ज्ञान नहीं रहना।

- बौद्धिक क्षमता में कमी।

- सामान का नाम भूल जाना।

- व्यक्तित्व में परिर्वतन आदि।

डिप्रेशन से भी हो सकता है डिमेंशिया

डिप्रेशन इस बीमारी को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। इसके अलावा अल्कोहल और धूम्रपान सेवन भी कारण है। साथ ही नींद न आना, डिहाइड्रेशन, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, मोटापा, सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक, एनीमिया व कुपोषण से भी यह बीमारी हो सकती है।

अल्जाइमर्स के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। लोगों में इसके बारे में जानकारी का अभाव है। ज्यादातर लोगों को मानना है कि भ्भ् की उम्र होने पर भूलने की समस्या आम है, लेकन यह सही नहीं है। अगर शुरू में ही इस पर ध्यान दिया जाए और इलाज करवाया जाए, तो इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।

- डॉ। दीपक गिरि, साइकियाट्रिस्ट, एमजीएम हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive