Jamshedpur: पटना स्थित ‘सुपर 30’ के फाउंडर आनंद कुमार अब तक 300 से ज्यादा अंडरप्रिविलेज बच्चों को आईआईटी तक पहुंचा चुके हैं. एक्सएलआरआई में ऑर्गेनाइज हुए ऑन्सेंबल में पहुंचे आनंद कुमार आई नेक्स्ट से रू-ब-रू हुए. क्या बातें हुईं आइए जानते हैं...

आपसे फिल्म डायरेक्टर अनुराग बासू मिलने आए थे, क्या बातें हुईं?
वे सुपर-30 पर फिल्म बनाना चाहते हैं। उन्होंने इस सिलसिले में मुझसे दो बार मुलाकात की है। वे उन 330 स्टूडेंट्स में से कुछ को सेलेक्ट कर फिल्म में उनके केरेक्टर को डालना चाहते हैं जिन्होंने सुपर 30 में पढक़र आईआईटी क्वालिफाई किया।

कोई ऐसा इंसीडेंट जिसने आपको सुपर-30 शुरु करने के लिए इंस्पायर किया?
हां, एक इंसिडेंट बताना चाहता हूं। एक लडक़ा मेरे पास आया और बोला कि उसके पास ट्वीशन फीस के पैसे नहीं हैं, पर वह मेरे पास पढऩा चाहता था। मैंने उससे पूछा कि वह कहां रहता है तो उसने कहा कि वह एक वकील के घर के सीढिय़ों के नीचे रहता है। मैं अपने भाई के साथ एक दिन उसे देखना गया, तो पाया कि वह सीढिय़ों के नीचे पसीने से लत होकर पढ़ाई कर रहा है। उसी दिन सोचा कि ऐसे गरीब बच्चों के लिए फ्री में पढ़ाई की व्यवस्था करूंगा और वह भी आईआईटी के लिए। फिर 2001 में सुपर-30 की शुरुआत हो गई।
सुपर 30 सिर्फ बिहार में ही क्यों?
हम क्वालिटी पर ध्यान देते हैं इसलिए उसका ब्रांच नहीं खोलना चाहते। हां, कोशिश में हैं कि झारखंड और यूपी जैसे स्टेट में भी सुपर 30 हो। इस बार झारखंड के भी 7 स्टूडेंट्स हमारे यहां आए थे और सभी आईआईटी के लिए सेलेक्ट हुए।
सुपर 30 का नाम आज पूरे वल्र्ड में लिया जाता है। इसे शुरू करने के बारे में कैसे सोचा आपने?
मेरा बचपन स्ट्रगल भरा रहा। पिताजी चिट्ठियां बांटा करते थे। मैं मैथ्स में अच्छा था। पर पैसे नहीं होने की वजह से स्कॉलरशिप मिलने के बाद भी कैंब्रिज नहीं जा पाया। पिताजी की मौत के बाद मां के बनाए पापड़ अपने भाई के साथ घूमकर बेचता था। फिर रामानुजम स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स के नाम से 2 स्टूडेंट्स के साथ मैथेमेटिक्स ट्यूशन शुरू किया। उसके बाद कुछ अलग करने को सोचा। फिर शुरू कर दिया सुपर-30.
अभी तक कितने बच्चे सुपर-30 से आईआईटी तक पहुंचे हैं?
अभी तक सुपर 30 के 330 स्टूडेंट्स डिफरेंट आईआईटीज में पढ़ चुके हैं या पढ़ाई कर रहे हैं। सभी आईआईटी के सेलेक्ट हुए थे। मेरा मानना है कि साहस और लगन हो तो खराब से खराब परिस्थिति भी मंजिल पाने से नहीं रोक सकती।
सुपर-30 को स्टार्ट करने और उसके अब तक के 13 साल के सफर में किन किन चैलेंजेज का सामना आपको करना पड़ा?
जब बिना किसी से हेल्प लिए इस तरह का काम किया जाए, तो काफी समस्याएं सामने आती हैं। पटना में कोचिंग सेंटर्स की संख्या काफी ज्यादा है। लोगों की काफी कोशिश रही कि मैं बच्चों को फ्री में प्रिपेरेशन कराने का नेक काम बंद कर दूं और दूसरों की तरह पैसे लूं। जब मैंने ऐसा नहीं किया तो मेरे ऊपर हमले किए गए। घर में बम फेंके गए। मेरे स्टाफ पर चाकू से हमला किया गया। बाद में गवर्नमेंट ने मुझे सिक्योरिटी भी प्रदान की। मैंने सोचा अगर मैं बच्चों का भला कर रहा हूं और इसमें मेरी जान पर भी बन आए तो मैं पीछे नहीं हटूंगा।
सुपर-30 के एवरेज कितने स्टूडेंट्स हर साल आईआईटी के लिए क्वालिफाई करते हैं?
संख्या हर साल का तो नहीं बता सकता पर 15 से 22 बच्चे एवरेज हर साल आईआईटी के लिए सेलेक्ट होते हैं। तीन बार ऐसा हुआ जब सभी 30 स्टूडेंट्स का सेलेक्शन कंट्री के इस बेस्ट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के लिए हुआ।
इतने सालों बाद सुपर-30 को कई संस्थानों से आर्थिक मदद मिलती होगी, आप हेल्प लेते हैं?
आजतक मैंने किसी से एक रुपया तक नहीं लिया। मुझसे कई एनआरआईज ने कॉन्टैक्ट किया। उन्होंने सोसायटी को कुछ देने के नाम पर हेल्प करनी चाही, पर मैंने किसी से आर्थिक मदद नहीं ली। सुपर-30 के नाम पर दूसरे लोग वसूली जरूर कर रहे हैं। असम के सीएम ने मुझे 40 लाख रुपए ऑफर किए थे, सुपर-30 चलाने के लिए। मैंने उनसे मदद लेने से मना कर दिया, तो पता चला कि किसी दूसरे ने सुपर-30 के नाम से उनसे पैसे ले लिए। बाद में बात क्लियर हुई तो गोगोई साहब ने मुझसे माफी मांगी।
आप पीएम और एचआरडी मिनिस्टर से भी मिले, आईआईटी के पैटर्न को लेकर कुछ बात हुई?
बिल्कुल बात हुई और मैं कई बार कह चुका हूं कि आईआईटी का अभी का पैटर्न ठीक नहीं। सिŽबल साहब एचआरडी मिनिस्टर थे तो मुझे मिलने बुलाया था। उन्होंने हेल्प करने की बात कही। मैंने उनसे कहा कि आईआईटी के पैटर्न को चेंज कर दें यही मेरी मदद होगी। आईआईटी में सिर्फ दो ही चांस मिलते हैं उसमें भी एक तो एपीयरिंग के लिए। ऐसे में विलेजेज में रहने वाले गरीब बच्चों को नुकसान होता है। उन्हें तो आईआईटी के पैटर्न को समझने में ही एक साल लग जाता है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि गे्रडिंग सिस्टम भी गलत है। मुझे तो लगता है कि गवर्नमेंट अमीर बच्चों और बड़े स्कूल को ध्यान में रखकर ही पैटर्न तैयार करती है।
फ्यूचर प्लान क्या है आपका?
मैं एक स्कूल खोलना चाहता हूं जिसमें क्लास 6 से पढ़ाई होगी और उसमें भी अंडरप्रिविलेज बच्चों को ही पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा फ्यूचर में मेरी कोशिश रहेगी कि सुपर 30 को सुपर 60 और सुपर 100 तक ले जाऊं,। ताकि    ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसका लाभ मिल सके।

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive