Jamshedpur: सिटी के स्कूल्स मैनेजमेंट द्वारा बच्चों के लिए बस फैसिलिटी क्यों नहीं प्रोवाइड कराई जाती. ऑटो की इतनी मनमानी क्यों है. ऑटो एक्सीडेंट में घायल हो रहे बच्चों के लिए कौन जिम्मेवार है. स्कूल्स के पास ऑटो ड्राइवर्स की डिटेल क्यों नहीं. बच्चों को हो रही इन परेशानियों के लिए आखिर कौन जिम्मेवार है पेरेंट्स स्कूल मैनेजमेंट ऑटो ड्राइवर्स या फिर एडमिनिस्ट्रेशन. सैटरडे को ऐसे तमाम सवाल उठे जब आई नेक्स्ट द्वारा ऑर्गेनाइज पैनल डिस्कशन में एक साथ इकट्ठा हुए स्कूल की प्रिंसिपल को-ऑर्डिनेटर टै्रफिक डीएसपी ऑटो यूनियन के रिप्रजेंटेटिव पेरेंट्स और पेरेंट्स एसोसिएशन के मेंबर्स. डिस्कशन मीनिंगफुल रहा और ट्रैफिक डीएसपी ने डिस्कशन से निकली बातों को हायर अथॉरिटी तक पहुंचाने की बात कही.

क्या प्रॉब्लम है बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने में
पेनल डिस्कशन के दौरान पेरेंट्स ने स्कूल मैनेजमेंट द्वारा बस फैसिलिटी प्रोवाइड नहीं किए जाने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। वे ऐसा नहीं किए जाने के पीछे के कारण जानना चाहते थे। इस सवाल पर ट्रैफिक डीएसपी राकेश मोहन का कहना था कि बिहार, झारखंड के अलावा दूसरे स्टेट्स में भी स्कूल्स में बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराई जाती है। उन्होंने कहा कि सिटी की सडक़ें काफी अच्छी हैं पर यहां स्कूल की बस नहीं चलती। दयानंद पब्लिक स्कूल की सीनियर को-ऑर्डिनेटर श्रावणी ने कहा कि उनका स्कूल मैनेजमेंट बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने को लेकर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिस्कशन में सामने आई बातों को वे मैनेजमेंट तक पहुंचाएंगी।

जीरो % इंटरेस्ट पर फाइनांस होगी बस
स्कूल्स द्वारा बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराई जाए इसको लेकर एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने लेवल से कोशिश शुरू कर दी है। टै्रफिक डीएसपी राकेश मोहन ने कहा कि इसको लेकर एडमिनिस्टे्रशन की तरफ से स्कूल मैनेजमेंट को लेटर लिखे गए हैं। उनका यह भी कहना था कि स्कूल बस को लेकर स्कूल मैनेजमेंट को किसी तरह की फाइनांसियल प्रॉब्लम से न गुजरना पड़े इसके लिए उन्होंने टाटा मोटर्स के ऑफिसियल्स से बात की है और वे जीरो परसेंट इंटरेस्ट पर बस देने को तैयार हैं। राकेश मोहन ने पेरेंट्स से कहा कि वे स्कूल मैनेजमेंट पर प्रेशर बनाएं ताकि वे जल्दी बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने की कोशिश करें।

मनमानी करते हैं ऑटो वाले
सिटी के स्कूल्स में बस फैसिलिटी नहीं होने की वजह से पेरेंट्स के पास बच्चों को स्कूल भेजने के लिए एक ही ऑप्शन रह जाता है और वह है ऑटो या वैन। पिछले कुछ महीनों से ऑटो की मनमानी और हाल ही में बच्चों को ले जा रहे ऑटो के पलटने की घटनाओं ने पेरेंट्स को परेशान कर रखा है। ऑटो ड्राइवर्स से सबसे बड़ी नाराजगी ओवरलोडिंग को लेकर दिखी। रेणु और विनीता का कहना था कि ऑटो वाले कभी भी फेयर बढ़ा देते हैं। इसके बावजूद वे ओवरलोडिंग करते हैं। उनका कहना था कि कैपेसिटी से ज्यादा बच्चों को बिठाने की वजह से ही एक्सीडेंट होते हैं। उनका यह भी कहना था कि जब वेकेशन वाले दिनों का भी पैसा ऑटो वाले लेते हैं तो वे ओवरलोडिंग क्यों करते हैं।

ड्राइव चलाए ट्रैफिक पुलिस
कुछ ही दिनों पहले डीपीएस स्कूल के बच्चों को ले जा रहा ऑटो पलट गया और उसमें कई बच्चे घायल हो गए। उस ऑटो के ड्राइवर की एज सिर्फ 16 साल थी। इसके बाद फिर से एडमिनिस्ट्रेशन पर यह सवाल उठने लगा कि वे ऑटो वाले मामले को लेकर सीरियस नहीं है। पेरेंट्स ने आरोप लगाया कि किसी घटना के हो जाने के बाद कुछ दिनों तक ओवरलोडिंग और ऑटो ड्राइवर्स के लाइसेंस और एज चेक किए जाते हैं पर उसके बाद फिर से ऑटो वालों की उसी तरह मनमानी शुरू हो जाती है। डॉ शालिग्राम मिश्रा और रेणु ने ट्रैफिक पुलिस से ऑटो वालों के खिलाफ ड्राइव चलाने की डिमांड की।

नहीं रहता ऑटो का डिटेल
बस फैसिलटी भी नहीं देंगे और इस बात से भी मतलब नहीं रखेंगे कि किस ऑटो में कौन सा बच्चा जा रहा है और उसमें उनकी संख्या क्या है। जी हां, स्कूल्स के पास किसी भी ऑटो का डिटेल नहीं रहता। उसका ड्राइवर कौन है, वह बच्चों को कैसे और कहां बिठाता है इससे भी मतलब नहीं रहा स्कूल को। आरवीएस एकेडमी की प्रिंसिपल वीणा तलवार ने कहा कि वे ज्यादातर ऑटो वालों का डिटेल रखती हैं पर डीपीएस की सीनियर को-ऑर्डिनेटर श्रावणी का कहना था कि अभी तक ऐसा नहीं किया जा रहा। श्रावणी ने इतना जरूर कहा कि वे इसपर स्कूल मैनेजमेंट से बात करेंगी क्योंकि यह मामला बच्चों की सिक्योरिटी का है।

साथ मिलकर बात करें तो कुछ होगा
सवाल जब ऑटो ड्राइवर्स पर उठ रहे थे, तो ऑटो यूनियन के प्रेसिडेंट डॉ पवन पांडे कैसे चुप रह सकते थे। उन्होंने कहा कि सिटी में ऑटो को लेकर जो भी सीन क्रिएट हुआ है उसमें सिर्फ ऑटो ड्राइवर्स की गलती नहीं। उनका कहना था कि ओवरलोडिंग खत्म कर दिया गया था और ऑटो फेयर में मामूली बढ़ोतरी की गई थी, लेकिन लोगों ने इसका विरोध किया और इसको लेकर पॉलिटिक्स होने लगी जिस वजह से ओवरलोडिंग की प्रॉब्लम फिर से शुरू हो गई।
Discussion में मुख्य रूप से सामने आयीं ये बातें
-स्कूल्स द्वारा बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराई जानी चाहिए।
-बस नहीं चलने की वजह से ऑटो वालों की मनमानी पेरेंट्स को बर्दाश्त करनी पड़ती हैं।
-डेवलपमेंट के नाम पर स्टूडेंट्स से पैसे लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, तो बस फैसिलिटी क्यों नहीं प्रोवाइड करा सकते स्कूल्स।
-जीरो परसेंट इंट्रेस्ट पर भी बस लिया जा सकता है। अब अगर स्कूल मैनेजमेंट इसमें इंट्रेस्ट नहीं दिखाएगा तो आंदोलन होगा
-ज्यादा पैसे की लालच में ऑटो वाले केपेसिटी से ज्यादा बच्चों को बिठा लेते हैं और एक्सीडेंट होता है।
-ऑटो ड्राइवर्स बड़ी लड़कियों को आगे की सीट पर अपने साथ बिठाते हैं, जो गलत है।
-स्कूल के पास ऑटो ड्राइवर्स का पूरा डिटेल रहना चाहिए, जिसमें उसका आईडी कार्ड भी शामिल हो।
-ऑटो की मनमानी पर रोक लगाने के लिए टै्रफिक पुलिस को ड्राइव चलाते रहना चाहिए।
-बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने के लए स्कूल मैनेजमेंट को लेटर लिखा गया है।
-पेरेंट्स को भी स्कूल मैनेजमेंट पर बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने के लिए प्रेशर बनाना चाहिए।
-डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर द्वारा स्कूल्स पर बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने के लिए प्रेशर बनाने की तैयारी में है एडमिनिस्ट्रेशन।
-बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेवारी पेरेंट्स, स्कूल और एडमिनिस्ट्रेशन, तीनों की है।
-फेयर फिक्सेशन के लिए डीसी की अध्यक्षता में कमिटी बननी चाहिए, जिसमें एजुकेशन ऑफिसर, ऑटो यूनियन रिप्रजेंटेटिव्स, पेरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट शामिल हो।
-ऑटो की मनमानी पर रोक लगाने के लिए उनके यूनियन वालों के साथ एडमिनिस्ट्रेशन और पेरेंट्स की मीटिंग कॉल की जाए।

इस डिस्कशन में पेरेंट्स की तरफ से अच्छे सुझाव आए हैं। मैं इसे डीसी, एसडीओ और एडीएम तक पहुंचाउंगा। अच्छा शहर है, अच्छे स्कूल्स हैं, यहां बस फैसिलिटी तो होनी ही चाहिए। इसके लिए पेरेंट्स को भी आगे आना होगा। ऑटो की मनमानी रोकी जाएगी।
-राकेश मोहन, ट्रैफिक डीएसपी, जमशेदपुर  

स्कूली ऑटो वाले बहुत मनमानी करते हैं। पैसे कमाने के लिए ओवरलोडिंग करते हैं और ऐसे में बच्चों की सेफ्टी खतरे में पड़ जाती है। डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन को इनके खिलाफ ड्राइव जारी रखना बहुत जरूरी है।
- रेणु, पेरेंट


डिस्कशन में सामने आई बात को मैं स्कूल की प्रिंसिपल तक ले जाउंगी, ताकि ये बातें स्कूल मैनेजमेंट तक पहुंचे। स्कूल बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराने और ऑटो ड्राइवर्स का डिटेल रखने पर भी हम बात करेंगे। बच्चों की सेफ्टी का ख्याल तो रखना ही चाहिए।
-श्रावणी, सीनियर को-ऑर्डिनेटर, दयानंद पब्लिक स्कूल


मेरा तो सिर्फ यही कहना है कि अगर सिटी के स्कूल्स द्वारा बस फैसिलिटी प्रोवाइड कराई जाए, तो इस तरह की प्रॉब्लम खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। बच्चों के साथ न्याय तो होना ही चाहिए। एडमिनिस्ट्रेशन और स्कूल की भी तो कुछ जिम्मेवारी है।
-तहसीन जमा, पेरेंट

जबतक बस फैसिलिटी प्रोवाइड नहीं कराई जाती तबतक के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से ऑटो ड्राइवर्स का पूरा डिटेल रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट को लेटर लिखा जाना चाहिए। आखिर सवाल बच्चों की सिक्योरिटी का जो है।
-विनीता, पेरेंट

सिर्फ ऑटो ड्राइवर्स की गलती क्यों देखते हैं। इसमें पॉलिटिक्स होने लगा है। इस वजह से प्रॉब्लम बढ़ी है। ऑटो ड्राइवर्स को लेकर किसी तरह की प्रॉब्लम है तो बैठकर बात करनी चाहिए, ताकि इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकाला जा सके.

-डॉ पवन पांडे, प्रेसिडेंट, ऑटो यूनियन


हमारे स्कूल में बस की फैसिलिटी है फिर भी काफी बच्चे ऑटो से आते हैं। हम बस ड्राइवर के अलावा ऑटो ड्राइवर्स का भी पूरा डिटेल रखते हैं, ताकि कभी किसी तरह की घटना हो तो उनसे पूछताछ की जा सके और मामले के बारे मेंं गंभीरता से तहकीकात की जा सके।
-वीणा तलवार, प्रिंसिपल, आरवीएस एकेडमी

बात बच्चों की सिक्योरिटी को लेकर हो रही है इसलिए इसमें हम सभी को जिम्मेवारी लेनी होगी। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। सभी को मिलकर सॉल्यूशन निकालना होगा।

-राजीव ओझा, पेरेंट

Report by : jamshedpur@inext.co.in

Posted By: Inextlive