पुलिस नहीं आरक्षी कहे जाएंगे कांस्टेबल्स
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : 14 सालों के बाद झारखंड पुलिस को शायद इस बात का अहसास हो रहा है कि पुलिस बल के कांस्टेबल 'पुलिस' नहीं हैं। यही वजह है कि डीजीपी ने पत्र जारी कर कांस्टेबल लेवल के सभी पुलिसकर्मियों को 'आरक्षी' कहकर संबोधित करने का निर्देश दिया है। दूसरी तरफ झारखंड के अलग राज्य बनने के उपरांत नवंबर 2000 में तत्कालीन एडीजीपी (हेडक्वार्टर) ने कांस्टेबल को 'आरक्षी' की बजाय 'पुलिस' कहकर संबोधित करने का आदेश जारी किया था, जिसे अब वापस लेने का फरमान जारी किया गया है।
पुलिस कहने से होता है भ्रमडीजीपी राजीव कुमार ने 16 अक्टूबर को अपने लेटर नंबर 1385 के जरिए राज्य के सभी एडीजीपी। आईजी, डीआईजी, सभी जिलों के एसपी के साथ ही स्पेशल ब्रांच, पीटीसी, जगुआर, रेल व अन्य को आदेश जारी कर कांस्टेबल के लिए 'पुलिस' शब्द की जगह 'आरक्षी' का इस्तेमाल करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि कांस्टेबल के पद पर नियुक्त कर्मी को पुलिस कहकर संबोधित किए जाने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इस कारण कांस्टबेल को पुलिस के बजाय आरक्षी कहकर संबोधित किया जाए।
एसपी, डीएसपी नाम में बदलाव नहींइसके अलावा झारखंड पुलिस, झारखंड सशस्त्र पुलिस, पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक संबोधन बरकरार रहेगा। यहां इस बात को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन है कि अगर पुलिस हैं ही नहीं तो अधीक्षक किसके अधीक्षक होंगे। उन्हें भी आरक्षी अधीक्षक होना चाहिए, न की पुलिस अधीक्षक। इस आदेश के बाद से पुलिस महकमे में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है।
14 साल पहले 'पुलिस' शब्द को बताया था बेहतर इससे पहले 29 नवंबर 2000 को एडीजीपी (हेडक्वार्टर) द्वारा जारी पत्रांक 208 के जरिए सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया था कि वे कांस्टेबल के लिए पुलिस शब्द का इस्तेमाल करें, क्योंकि आरक्षी शब्द ज्यादा प्रयोग में नहीं है और आम जनता को इससे समझने में भ्रम हो जाता है। पत्र में कहा गया था कि पुलिस शब्द कॉमन है और इसकी जानकारी एजूकेटेड व नॉन एजूकेटेड, सभी को होती है। ऐसे में स्टेट में कांस्टेबल के लिए आरक्षी शब्द का यूज नहीं किया जाए। पत्र में कहा गया था कि 'पुलिस कहकर पुकारना ज्यादा बेहतर है, जैसे पुलिस अधीक्षक, झारखंड पुलिस, झारखंड सशस्त्र पुलिस आदि। तो बदल जाएगा पूरा सिस्टमजानकारों का कहना है कि पुलिस एक महकमा है, जबकि आरक्षी एक पद। उदाहरण के तौर पर अगर आईएमए यह आदेश जारी कर दे की सीनियर रेजिडेंट्स ही केवल डॉक्टर कहे जाएंगे और जूनियर व अन्य को कंपाउंडर कहकर संबोधित किया जाए, तो पूरा का पूरा सिस्टम ही बदल जाएगा। डॉक्टर तो डॉक्टर है, चाहे वह जूनियर हो या सीनियर, क्योंकि जूनियर सीनियर तो पदनाम के साथ जुड़ता है।