आदित्यपुर की सीमा पांडेय. सीमा पांडे अपनी कुछ महिला सहयोगियों के साथ गाय के गोबर की गणेश प्रतिमा दीया अगरबत्ती आदि का निर्माण कर रही हैं.


जमशेदपुर (ब्यूरो)। सीमा पांडेय कहती हैं कि लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाने में देशी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। इस गोबर में प्रीमिक्स पाउडर के अलावा अन्य सामग्री भी डाली जाती है, ताकि यह लंबे समय तक फ्रेश रह सके। लंबे समय तक रखने के कारण गोबर में कीड़े भी लग जाते हैं। इससे बचाने के लिए इसमें कई देशी सामग्रियां डाली जाती हैं। इसमें नीम के पत्ते का पाउडर इमली के बीज का पाउडर सहित अन्य सामग्री शामिल है।निकलता है फूलों का पौधा
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को पूजन के बाद विसर्जन करने का विधान है। ऐसे में आपको इन प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसे आप घर में मौजूद फूलों के गमले में रख कर छोड़ सकते हैं। मिट्टी और गोबर से बनी होने के कारण ये प्रतिमा पूरी तरह से मिट्टी में मिल जाती है और खाद का काम भी करती है। खास बात यह है कि इन प्रतिमाओं में किसी न किसी फूल का बीज भी डाला जाता है। यानि प्रतिमा के मिट्टी में मिल जाने के बाद इनमें से फूल का पौधा भी उग आता है। गोबर से बनती है अगरबत्ती


इसके अलावा गोबर से ही शुभ-लाभ, श्री और अगरबत्ती भी बनायी जाती है। अगरबत्ती के बनाने में भी कई सामग्रियों और सुगंध का प्रयोग किया जाता है, जिसका आप पूजा-पाठ में उपयोग कर सकते हैं। इन अगरबत्तियों की खासियत यह है कि इन्हें देशी घी में मिलाकर बनाया जाता है।गौ माता को बचाने की पहलसीमा पांडेय कहती हैं कि वे गौमाता को बचाने के लिए गाय के गोबर से इन वस्तुओं को बना रही हैं। यही कारण है कि गाय के गोबर से ही गौरी-गणेश की प्रतिमा और दूसरी सामग्री बनाई जाती है। इसके लिए उन्होंने वैसे लोगों से संपर्क भी किया है, जहां से सीधे देशी गाय का गोबर मंगाया जाता है। गोबर से घड़ी बनाने की है योजनाआने वाले समय में उनकी योजना गाय के गोबर से घड़ी बनाने की है। उन्होंने कहा कि कई दूसरी वस्तुएं भी बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इसका मकसद गौ माता का संरक्षण के साथ ही हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि उनके इस कार्य में कुछ महिलाओं माना बाग, संगीता देवी, शांति तिवारी और माना देवी आदि का भी सहयोग मिल रहा है। लगातार लोग कर रहे हैं संपर्क

सीमा पांडेय अब तक 50 से ज्यादा लोगों को गाय के गोबर से मूर्तियां बनाने की कला सीखा चुकी हैं। हालांकि वे अभी इसका कारोबार नहीं करतीं, लेकिन कई जगहों से लोग गोबर से बनी वस्तुओं के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं। आने वाले समय में उनकी योजना ज्यादा से ज्यादा गोबर निर्मित वस्तुओं को बनाकर उसे लोगों तक पहुंचाने की है। गाय के संरक्षण के लिए वे देशी गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के साथ ही अगरबत्ती और अन्य वस्तुओं का निर्माण कर रही हूं। खास बात यह है कि इन प्रतिमाओं को विसर्जित करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है।सीमा पांडेय मैं काफी समय से सीमा पांडेय के साथ मिलकर गाय के गोबर से प्रतिमा, अगरबत्ती आदि बना रही हूं। लोगों को इस कला का प्रशिक्षण भी देती हूं। मीना बाग

Posted By: Inextlive