-नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं शहर के युवा

-15-25 वर्ष के युवाओं की संख्या है सबसे अधिक

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JAMSHEDPUR: जवानी में कदम रखते ही मैक्सिमम युवाओं के शौक भी नवाबी होने लगे हैं। शहर के युवाओं को नशे की लत लग रही है। उन्हें न तो अपनी चिंता है और न ही अपने घरवालों की। सिटी के डिफरेंट हॉस्पिटल्स में नशे के आदी सैकड़ों लोग हर महीने आ रहे हैं, जिनमें यूथ की संख्या 80-90 (उम्र क्भ् से ख्भ् साल) के बीच है। औसतन एक डॉक्टर के पास लगभग क्भ् यूथ पेसेंट्स एक महीने में आते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक शहर में सबसे ज्यादा यूथ गांजा, सर्दी-खांसी के सिरप और वाइन के एडिक्ट हैं।

सिरप और नशीली दवाओं का कर रहे सेवन

शहर के युवा तेजी से सिरप और नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं। बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले सिरप और टैबलेट्स को नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इन दवाओं का सेवन अपराधी भी नशा के तौर पर कर रहे हैं। ये बातें पुलिस अनुसंधान में सामने आई है। जमशेदपुर के पूर्व सिटी एसपी एस कार्तिक ने ग्राहक बन कर बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवाओं को मेडिकल स्टोर से खरीदा भी था। तब जा कर इसकी पुष्टि हुई थी कि बिना लाइसेंस और प्रिस्क्रिप्शन के दवा दुकानदार इन प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री कर रहे हैं।

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केस वन

नशे की हालत में मिली थी छात्रा

तीन फरवरी को शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में एक छात्रा नशे की हालत में पाई गई थी। नशे की हालत में छात्रा ने कॉलेज में हंगामा भी किया था। इसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

केस टू

हंगामा मचाया था छात्राओं ने

पिछले दिनों साकची स्थित एक इंस्टीट्यूट में छात्राओं ने शराब पीकर हंगामा मचाया था। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और स्थानीय लोगों के सहयोग से सभी को काबू में किया गया था। इसके अलावा शहर के कई होटलों में भी छापेमारी कर पुलिस ने इस तरह के मामलों का खुलासा किया था।

केस थ्री

जुबिली पार्क में पकड़े गए थे गंजेड़ी

क्क् जुलाई को जुबिली पार्क में गांजा पीते दर्जन भर लोगों को पकड़ा गया था। इनमें मैक्सिमम युवा शामिल थे। यह अभियान सीसीआर डीएसपी जसिंता केरकेट्टा के नेतृत्व में चलाया गया था। जुबिली पार्क में मौके पर गांजा, चिलम और अन्य चीजें बरामद हुई थीं।

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नशीली दवाओं का ट्रांजिट प्वाइंट बना शहर

जमशेदपुर से गुवा, झुमरीतिलैया, मनोहरपुर, हरहरगुट्टू, चांडिल, जगन्नाथपुर, राजनगर, जुड़ी, जादूगोड़ा, बारीगोड़ा सहित प्रदेश के करीब म्00 दुकानों में करोड़ों की प्रतिबंधित दवाइयों की सप्लाई धड़ल्ले से हो रही थी। यह खुलासा औषधि विभाग के कोल्हान स्तरीय जांच में हुआ था। ख्9 मई को डीसी के निर्देश पर औषधि विभाग की टीम ने जुगसलाई स्थित सरायवाला डिस्ट्रीब्यूटर के यहां छापेमारी की थी। कैश मेमो और अन्य रिकॉडों के आधार पर हेल्थ डिपार्टमेंट ने यह खुलासा ि1कया था।

हर महीने ख्0 युवा मरीज आते हैं

शहर में नशेडि़यों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। गली-मोहल्लों में नशे के सौदागरों ने जाल बिछा रखा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बारीडीह स्थित ड्रग एडिक्शन सेंटर में रोजना 8 से क्0 मरीज पहुंचते हैं। टीएमएच, एमजीएम और दूसरे हॉस्पिटल्स के साइकोलॉजिस्ट के पास भी इस तरह के मरीज पहुंचते हैं। इन हॉस्पिटल्स में आने वाले मरीज शराब, गांजा, चरस, कोकीन के आदी होते हैं। कई मरीज अपना सब कुछ गंवा देने के बाद यहां पहुंचते हैं। डॉक्टर्स बताते हैं कि कुछ मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है, जबकि कुछ मरीजों को दवा और सलाह से ठीक किया जाता है।

आपराधिक घटनाओं को भी देते हैं अंजाम

नशे का लत इस कदर हावी हो जाता है कि एडिक्ट पर्सन क्राइम करने से भी नहीं चूकता है। नशे के सामान का इंतजाम करने के लिए पैसों की तंगी होती है। ऐसी स्थिति में एडिक्टर पर्सन छिनतई, लूट जैसी घटनाओं को भी अंजाम देने में नहीं हिचकते। सिटी पुलिस ऐसे कई मामलों का खुलासा कर चुकी है, जो क्राइम सिर्फ नशे के सामान जुटाने के मकसद से किए गए थे।

लाखों में है कारोबार

शहर में नशे का कारोबार लाखों में है। जानकारी के मुताबिक नशे के सौदागर एजेंट के थ्रू इन चीजों का कारोबार कराते हैं। पिछले महीने साकची में क्भ्0 किलो गांजा बरामद हुआ था। इसमें अलग-अलग जगहों से तीन लोग पकड़े गए थे। गिरफ्तार व्यक्तियों सभी ऐसे लोग थे जो महज तीन हजार रुपए महीना तनख्वाह पर गांजा की बिक्री करते थे।

छोड़ने के लिए जरूरी है आत्मविश्वास

डॉ मनोज साहू बताते हैं कि नशे की लत छोड़ने के लिए अपना आत्मविश्वास जरूरी है। खुद पहल करनी होगी तभी प्रयास कारगर हो सकता है। युवाओं में बढ़ रहे नशे की प्रवृत्ति पर डॉ मनोज का कहना है कि इसके लिए पैरेंट्स को भी ध्यान देना होगा। पैरेंट्स का फोकस अक्सर सिर्फ बच्चों की पढ़ाई पर होता है, लेकिन उन्हें इससे कोई मतलब नहीं होता कि उनके बच्चे का चरित्र कैसा है, उनके दोस्त कैसे हैं, वह किन लोगों से मिलता-जुलता है। बच्चे भी अपनी परेशानी पैरेंट्स या फिर अपने लोगों के बीच नहीं बता कर ऐसी जगहों पर शेयर करते हैं, जो उन्हें गलत रास्ते की ओर ले जाता है। रिस्क लेने के स्वभाव की वजह भी यूथ नशे की दलदल में फंस जाते हैं।

तीन फेज में होता है एडिक्ट का इलाज

डॉक्टर्स के मुताबिक एडिक्ट पर्सन का इलाज तीन चरण में किया जाता है। पहले फेज में एडिक्ट पर्सन के शरीर से नशे को निकाला जाता है। दूसरे फेज में बॉडी को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है और तीसरे फेज में रीहेबिलिटेशन दिया जाता है। ड्रग एडिक्शन सेंटर्स पर एडिक्ट पर्सन को आईवी मॉरफीन का इंजेक्शन दिया जाता है, जो नशे की लत को छुड़ाता है।

ड्रग्स का सेवन करने से व्यक्ति का शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से समाज में अपराध की टेंडेंसी बढ़ी है। सबसे खास बात है कि एडिक्ट पर्सन को खुद से रियलाइज करना होगा। नशे को त्यागने के लिए उसे खुद ही पहल भी करनी होगी। -डॉ महेश साहू, मनोवैज्ञानिक, टीएमएच

नशे के कारोबार को कंट्रोल करने के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार है। पिछले महीने से गांजा के अवैध व्यापार के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान चलाया गया था। शहर के पार्को से भी नशेडि़यों की धर-पकड़ की गई थी। नशे के कारोबार को रोकने में आम जनता भी सहयोग कर सकती है। इससे संबंधित सूचना पुलिस को दें। हम कार्रवाई करेंगे।

-चंदन कुमार झा, सिटी एसपी, जमशेदपुर

Posted By: Inextlive