JAMSHEDPUR: झारखंड हाई कोर्ट में जमशेदपुर के जमीन विवाद के मामले में रैयतों के पक्ष में एकलपीठ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आंशिक सुनवाई हो सकी। अब इस मामले की सुनवाई नौ फरवरी को निर्धारित की गई है।

पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि जमशेदपुर में 5.26 एकड़ जमीन के संबंध में हाई कोर्ट के एकलपीठ और असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर द्वारा रैयतों के पक्ष में दिया गया फैसला गलत है। क्योंकि इस जमीन की वापसी 1944 में ही टिस्को ने कर ली थी। भूमि सुधार अधिनियम 1956 के तहत इस जमीन की मालिक राज्य सरकार है और टिस्को इसकी लीजधारक है। ऐसे में रैयतों का इस जमीन पर कोई हक नहीं बनता है।

शपथ पत्र पर आपत्ति

इसके बाद प्रतिवादी की ओर से इस मामले में सरकार के शपथ पत्र पर आपत्ति जताते हुए कहा गया कि सरकार अब अपना पक्ष नहीं बदल सकती है। जिसपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि यदि कानूनी आधार पर पूर्व में दिया गया शपथ पत्र सही नहीं था तो सरकार का वर्तमान में लिया गया पक्ष ही मान्य होगा। इस मामले में सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। बुधवार को इस मामले में प्रतिवादी की ओर से बहस की जानी थी। लेकिन उनकी ओर से समय की मांग गई। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए नौ फरवरी की तिथि निर्धारित की है।

रैयतों के पक्ष में आया था फैसला

बता दें कि जमशेदपुर की एक जमीन पर रैयतों ने रेंट देने के लिए असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर के यहां आवेदन दिया था। जिसका फैसला रैयतों को पक्ष में आया। इसके बाद टिस्को ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की तो एकलपीठ ने भी रैयतों को पक्ष में निर्णय दिया। इसके बाद टिस्को ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दाखिल की है।

Posted By: Inextlive