खुद को नियम से ऊपर मानते है ऑटो चालक. कैपासिटी से अधिक पैसेंजर बिठाने का खत्म नहीं हो रहा चलन.


जमशेदपुर(ब्यूरो)। सिटी में ऑटो चालकों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। ये लोग सवारी बिठाते नहीं, बल्कि हाईजैक करते हैं। ऑटो चालकों में सवारी बिठाने की होड़ लगी रहती है। ये लोग पैसेंजर के साथ खींचतान भी करते हैं। ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी बिठाना भी कोई नई बात नहीं है। लेकिन इन सब पर नियंत्रण करने वाला विभाग खुद ही सुस्त है। ट्रैफिक डिपार्टमेंट हो, नगर निगम हो या फिर परिवहन विभाग, सभी आंखें बंद किए बैठे हैैं। इसका फायदा अवैध ऑटो चालक उठा रहे हैं। लेकिन खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। सिटी में कई स्थानों पर ऑटो चालकों ने पूरे इलाके पर ही कब्जा कर रखा है। अवैध ऑटो के साथ-साथ अवैध ऑटो स्टैंड भी राजधानी में बनते जा हैं। इससे आम राहगीर को भी आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हर रोड पर ऑटो का कब्जा
सिटी में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की बात करें तो यहां बसों की संख्या काफी कम है। कोरोना से पहले जहां करीब 120 बसें सड़क पर दौड़ती थीं, अब उनकी संख्या घटकर 50 पर आ गई है। इस कारण हर रूट पर बसें नहीं हैं और यही कारण है कि रोड पर ऑटो का कब्जा हो चुका है। इससे लोगों को थोड़ी सहुलियत तो हुई है, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सवारी से ज्यादा ऑटोकिसी भी ऑटो चालक या ऑटो यूनियन के नेता से पूछने पर उनका यही जवाब होता है कि शहर में जितने आदमी नहीं, उससे ज्यादा ऑटो हैं। अगर आप सड़क पर निकलेंगे तो आपको इसका आभास भी हो जाएगा। साकची आई हॉस्पिटल के पास का नजारा देखकर तो आप चौंक ही जाएंगे। यहां जितने ऑटो आपको स्टैंड के अंदर दिखेंगे, उससे कहीं ज्यादा सड़क पर नजर आएंगे। एक अनुमान के मुताबिक सिटी में ऑटो की संख्या 15 हजार से ज्यादा है।रैन बसेरा को बनाया पार्किंगसाकची गोलचक्कर के पास कदमा जाने वाले रास्ते में एक ऑटो स्टैंड है तो दूसरी ओर बारीडीह वाले रास्ते में साकची गोलचक्कर के पास एक स्टैंड है। इसके अलावा कदमा रोड वाले ऑटो स्टैंड के सामने दूसरी तरफ रोड के किनारे एक रैन बसेरा था, जिसे ऑटो पार्किंग में तब्दील कर दिया गया है। हालांकि, चालकों ने इसे भी स्टैंड ही बना दिया है और जितने ऑटो पार्किंग में नहीं दिखते, उससे ज्यादा रोड के किनारे खड़े रहते हैं। ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई


सड़क के किनारे ऑटो खड़े रहने के कारण शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सड़कें संकरी हो गई हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। अगर कभी ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है, तो ऑटो चालक हंगामा करने लगते हैं और उनके कथित नेता भी उनके समर्थन में आ जाते हैं। ऑटो वाले नहीं मानते नियमइतना ही नहीं, सड़क पर चलने के दौरान भी ये ऑटो चालक नियमों का पालन नहीं करते। इनमें हमेशा एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची रहती है। इस कारण जाम की स्थिति बन जाती है। यही नहीं ये बीच सड़क पर ही पैसेंजर को बैठाने और उतारने भी लग जाते हैं। कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। डीजल-पेट्रोल ऑटो को परमिट नहींसिटी एरिया में डीजल और पेट्रोल ऑटो के परिचालन के लिए परमिट नहीं है। जितने भी ऑटो हैं, सभी का परमिट शहर से बाहर के लिए है। इनमें से ज्यादातर का परमिट फेल हो चुका है। कई परिचालन के लिए वैध 15 वर्षों की समय-सीमा को भी पार कर चुके हैं, लेकिन सभी का धड़ल्ले से परिचालन शहरी सीमा के भीतर हो रहा है और प्रशासन इन पर हाथ डालने से डर रहा है। 1500 सीएनजी ऑटो पर स्टैंड नहीं

जमशेदपुर में सीएनजी और बैटरी चालित ऑटो की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। वर्तमान में यहां ऐसे ऑटो की संख्या करीब 1500 है। सरकार द्वारा भी अब सीएनजी ऑटो को ही परमिट देने की अनुमति दी गई है, लेकिन शहर के स्टैंड पर पेट्रोल और डीजल ऑटो चालकों का कब्जा है। इस कारण सीएनजी ऑटो के लिए कोई स्टैंड ही नहीं है। यही कारण है कि ये सड़क से पैसेंजर को चढ़ाते और उतारते हैं और कहीं किनारे खड़े हो जाते हैं।

सिटी में 7000 से ज्यादा ऑटो हैं। सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो का परमिट शहर के लिए ही है और बाकी का शहर से बाहर के लिए है। -दिनेश रंजन, डीटीओ, जमशेदपुर

Posted By: Inextlive