- नेत्रोत्सव आज, गांधी आश्रम व बेल्डीह में रथ बनकर तैयार, इस्कॉन का रथ भी भव्य

JAMSHEDPUR: ओडिया समाज में इन दिनों उत्साह अपने चरम पर है। भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा कराने का समय जो आ गया। क्म् जुलाई, यानी गुरुवार से इस रथयात्रा के इस उत्सव का विधिवत आगाज नेत्रोत्सव से हो जाएगा। नेत्रोत्सव में भगवान जगन्नाथ के रथ में जहां झंडे लगाए जाएंगे तो वहीं इसी दिन महाप्रभु अपनी आंखें खोलेंगे। पुरी की ही तरह इन दिनों जमशेदपुर में भी रथयात्रा की तैयारी पूरी भव्यता के साथ की जा रही है। गांधी आश्रम (बाराद्वारी) में तो रथ तैयार भी कर लिया गया है। इसी तरह बेल्डीह में भी इसकी विशेष तैयारी की जा रही है। इस्कॉन का भव्य रथ भी तैयार किया जा रहा है।

भगवान जगन्नाथ की यह रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होती है। गांधी आश्रम के पंडा (पुजारी) सुरेंद्र पंडा बताते हैं कि रथ तैयार करने की पारंपरिक विधिवत तैयारियां अक्षय तृतीया के दिन से शुरू कर दी जाती हैं। इस बार रथ यात्रा के दौरान खास बात यह रहेगी कि क्9 वर्ष बाद भगवान जगन्नाथ महाप्रभु नवकलेवर होंगे। यानी इस बार भगवान जगन्नाथ अपने पुराने शरीर को त्याग नये शरीर को धारण करेंगे। क्9 साल बाद भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाओं को बदला जाएगा।

क्8 को निकलेगी रथ यात्रा

भगवान जगन्नाथ क्8 जुलाई को भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी बाड़ी जाने व भक्तों को दर्शन देने के लिए रथयात्रा पर निकलेंगे। इस दौरान रथ साकची के विभिन्न इलाकों में यात्रा कर महाप्रभु भक्तों को दर्शन देंगे। क्8 जुलाई, यानी शनिवार को रथ यात्रा समाप्त होने के बाद भगवान जगन्नाथ मौसी बाड़ी में विश्राम करेंगे। यहां से आषाढ़ शुक्ल दशमी के दिन महाप्रभु फिर से वापसी यात्रा करते हैं जिसे बहुड़ा रथ यात्रा या घूरती रथ यात्रा कहते हैं। सुरेंद्र पंडा के मुताबिक धार्मिक मान्यता है कि इस रथयात्रा के दौरान मात्र रथ के शिखर दर्शन से ही व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। पंडा ने बताया कि ख्म् जुलाई को बहुड़ा रथ यात्रा होगी।

नारियल की लकड़ी से बनते रथ

रथ यात्रा के दौरान तैयार की जाने वाली भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के रथ आम तौर पर नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं। ये लकड़ी वजन में भी अन्य लकडि़यों की तुलना में हल्की होती है और इसे आसानी से खींचा जा सकता है। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। यह रथ यात्रा में बलभद्र और सुभद्रा के रथ के पीछे होता है। इस रथ के रक्षक भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुड़ हैं। रथ की ध्वजा यानि झंडा त्रिलोक्यवाहिनी कहलाता है। रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है, वह शंखचूड़ नाम से जानी जाती है। भगवान जगन्नाथ के रथ के शिखर का रंग लाल और हरा होता है।

इस्कॉन की तैयारी खास, संकीर्तन मंडली भी तैयार

रथ यात्रा का भव्य आयोजन इस्कॉन की ओर से भी किया जाता है। इस्कॉन के सदस्य अपनी मंडली के साथ इस खास मौके को शहर में बेहद खास बना देते हैं। बाराद्वारी, बेल्डीह व अग्रसेन भवन के समीप से निकलने वाली रथयात्राओं में इस्कान का आयोजन बेहद भव्य होता है। इधर सर्किट हाउस एरिया के गौर निताई संकीर्तन मंडली समेत विभिन्न आश्रम के कीर्तन मंडली ने भी रथयात्रा के दौरान पीले-केसरिया परिधानों में सज-धज कर महाप्रभु का गुणगान करने की तैयारी कर ली है।

Posted By: Inextlive