कब लगेगा polythene पर ban
Plastic waste का रहता है ढेर
सिटी से डेली करीब 300 टन वेस्ट कलेक्ट होता है। इसमें सबसे ज्यादा परसेंटेज प्लास्टिक का रहता है। सिटी के नन-कंपनी एरिया में कई जगहों पर प्लास्टिक के कूड़ों के ढेर नजर आते हैं। नाले भी पॉलीथिन के कारण जाम हो जाते हैं। सिटी की दो प्रमुख नदियों स्वर्णरेखा और खरकई में भी प्लास्टिक वेस्टेज नजर आते हैं।
Polythene है जानलेवा
मानगो स्थित गरुनानक हॉस्पिटल के फिजिशियन डॉ वीएस प्रसाद ने बताया कि प्लास्टिक ह्यïूमन बॉडी के लिए ठीक नहीं है। प्लास्टिक के टूटने से मिथेन गैस निकलती है, जो नर्वस सिस्टम को हैम्पर करती है। इससे मेंटल डिसऑर्डर के चांसेज बढ़ सकते हैं। को-ऑपेरेटिव कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ केके शर्मा के मुताबिक एन्वायरमेंट को पॉल्यूट करने के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार पॉलीथिन ही है। प्लास्टिक को बॉयोडीग्रेड होने में करीब 1,000 साल लगते हैं। उन्होंने बताया कि जब प्लास्टिक के टूटने से निकलने वाला मिथेन गैस ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में सहायक है।
'प्लास्टिक को पानी में नहीं फेंकना चाहिए। क्योंकि इससे पानी पॉल्यूट तो होता ही है साथ ही पानी में रहने वाली वॉटर बॉडीज को भी ये काफी अफेक्ट करता है.'
-डॉ केके शर्मा, एचओडी, जूलॉजी डिपार्टमेंट, को-ऑपरेटिव कॉलेज
'पॉलीथिन बैन करने को लेकर अभी तक हमारे पास कोई भी नोटिफिकेशन नहीं आया है। जब हेड ऑफिस से नोटिफिकेशन आएगा तभी हम इस प्रोग्राम को इंप्लीटमेंट कर सकते हैं.'
-सत्य प्रकाश, साइंटिफिक असिस्टेंट, पॉल्यूशन डिपार्टमेंट, जमशेदपुर
'प्लास्टिक ह्यïूमन बॉडीज के लिए हॉर्मफुल है। इससे निकलने वाला मिथेन गैस नर्वस सिस्टम को अफेक्ट करता है। प्लास्टिक को कूड़े और पानी में फेंकना ठीक नहीं है.'
-डॉ। विजय शंकर, फिजीशियन, गुरुनानक हॉस्पिटल, मानगो