RANCHI:आप जो गुटखा, पान मसाला, जर्दा अपने दांतों तले चबा रहे हैं वो आपके लिए तो जहर है, कई बीमारियों का कारण है, लेकिन धंधेबाजों के लिए यह 1000 करोड़ से ऊपर का कारोबार है। टोबैको कंट्रोल विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि यह धंधा हजार करोड़ से भी ऊपर का निकल चुका है। आपको यह जहर बेचने वाले आपकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर हजारों करोड़ का धंधा चला रहे हैं। आपके -हमारे साथ-साथ हमारे बाद के भी जेनरेशन तेजी से इस धंधे की बलि चढ़ते जा रहे हैं। स्कूल-कालॅजों के सामने चलने वाले राशन से लेकर पान दुकानों तक रजनीगंधा से लेकर पान बहार तक बिक रहे हैं। कभी-कभार की दबिश के बाद कुछ दिन धंधा बंद रहता है लेकिन उसके बाद बदस्तूर धंधा शुरू हो जाता है।

8 मई को लगा प्रतिबंध

आठ मई को झारखंड में 11 नामी कंपनियों के पान मसाले की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दस्तावेजों की मानें तो गुटखा कारोबारियों के पास उस वक्त भारी मात्रा में गुटखे का भंडार मौजूद था। सरकार के निर्देश के मुताबिक इस गुटखे के स्टॉक की जानकारी देकर इसे झारखंड से हटाने को कहा गया था लेकिन बड़ी संख्या में कारोबारियों ने बिना आवेदन दिए और बिना यहां से गुटखा को हटाए सैकड़ों टन गुटखा को यहीं खपा दिया।

20 में केवल 6 ने दिया ब्योरा

राजधानी रांची में करीब 20 डिस्ट्रीब्यूटर्स इस कारोबार में संलग्न हैं लेकिन उनमें से केवल छह डिस्ट्रीब्यूटर्स ने ही दूसरे राज्यों में स्टॉक भेजने के लिए अनुमति ली। बाकी ने आवेदन ही नहीं किया। स्वास्थ सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने गुटखा के डिस्ट्रीब्यूटर्स को अपने क्षेत्र के सभी दुकानदारों से 31 मई तक गुटखा जमा करके एसडीओ को आवेदन देने व झारखंड के बाहर जिस राज्य में गुटखा प्रतिबंधित नहीं है, वहां बेचने के आदेश दिए थे। 31 मई तक तय की गई डेडलाइन में रांची में प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ दो करोड़ रुपये माल भेजे जाने की अनुमति ली गई।

क्यों लगाई गई रोक

विभिन्न जिलों से रजनीगंधा, विमल, पान पराग सहित 11 ब्रांड के पान मसाला के संग्रहित 41 नमूनों की जांच में प्रतिबंधित मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया गया। इससे हृदय की बीमारी सहित अनेक तरह की गंभीर बीमारियां होती हैं। इसके बाद एक साल का प्रतिबंध लगाया गया। ज्ञात हो कि झारखंड पान मसाले पर प्रतिबंध लगाने वाला देश का तीसरा राज्य है।

इन ब्रांड के पान मसाले पर प्रतिबंध

रजनीगंधा, विमल, शिखर, पान पराग, दिलरुबा, राजनिवास, सोहरत, मुसाफिर, मधु, बहार, पान पराग प्रीमियम पर प्रतिबंध लगा है।

साढ़े 34 परसेंट लोग करते हैं सेवन

एक सर्वे में झारखंड में तंबाकू सेवन करने वाले लोगों का प्रतिशत 38.9 फीसद है। इसमें चबानेवाले तंबाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 34.5 फीसद है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है।

राजधानी में यह कारोबार करोड़ों रुपए का है। हमारी टीम लगातार इन धंधेबाजों पर शिकंजा कसती जा रही है। जल्द ही बड़े लोगों पर भी कार्रवाई होगी।

सुशांत कुमार, टोबैको कंट्रोल

प्रतिबंधित पान मसाला या गुटखा चोरी-छिपे बेचा या खरीदा जा रहा है तो ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

नितिन मदन कुलकर्णी, स्वास्थ्य सचिव, झारखंड सरकार

Posted By: Inextlive