RANCHI:सिटी के जितने बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल हैं, उनमें किताबें बेची जा रही हैं। प्रशासन ने 35 स्कूलों को किताबें बेचने की अनुमति दी है। इसके लिए बाकायदा स्कूलों की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया जा रहा है। लेकिन, इन्हीं स्कूलों में पढ़ने वाले कन्टोन्मेंट जोन के करीब 12 हजार बच्चों की किताबें एक तरह से 'सील' हो गई हैं। कोरोना के सबसे ज्यादा मरीजे हिन्दपीढ़ी क्षेत्र से हैं। इस वजह से दो किलोमीटर के रेडियस को सील कर दिया गया है। मुसीबत यह है कि यहां रहने वाले बच्चों को स्कूलों की ओर से शेड्यूल मिला है कि उन्हें किस दिन आकर किताब ले जाना है। लेकिन, पैरेंट्स को कन्टोन्मेंट जोन से बाहर जाने की इजाजत ही नहीं मिल रही है। इस वजह से कई बच्चों की किताबें लेने की तारीख गुजर गई और उनकी किताबें नहीं मिल पाई।

बच्चे उदास, पैरेंट्स परेशान

किताबें नहीं मिलने के कारण बच्चे उदास हैं। हालांकि, ऑनलाइन क्लासेज अटेंड तो कर रहे हैं, लेकिन असाइनमेंट में पिछड़ रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोर्स की किताबें ही नहीं हैं। कुछ बच्चों ने एनसीईआरटी की किताबें ऑनलाइन डाउनलोड तो कर ली हैं, लेकिन उससे काम नहीं चल रहा है। कई चैप्टर ऐसे हैं, तो दूसरे पब्लिकेशन के पढ़ाए जा रहे हैं। इससे परेशानी बढ़ गई है। बच्चे अपने पैरेंट्स से कह रहे हैं कि वे स्कूल जाकर किसी तरह किताबें ले आएं। दूसरी ओर पैरेंट्स अपने बच्चों को समझा रहे हैं कि पुलिस उन्हें इलाके से बाहर नहीं निकलने दे रही है। इसी पसोपेश में पैरेंट्स भी परेशान हैं कि वे करें, तो क्या करें?

स्कूलों ने कहा, सॉरी

कई पैरेंट्स ने स्कूलों से संपर्क कर अपनी परेशानी बताई, तो स्कूल वालों ने भी किसी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था करने से मना कर दिया। स्कूलों का अपना तर्क है। वे कह रहे हैं कि प्रशासन ने उन्हें स्कूल प्रिमाइसेज के अंदर ही बुक्स बांटने की इजाजत दी है। इस वजह से वे किसी और स्थान पर बुक्स अवेलेबल नहीं करा सकते। स्कूलों के द्वारा यह भी आश्वस्त नहीं किया जा रहा है कि लॉक डाउन खुलने के बाद किताबें मिल जाएंगी। इसे लेकर पैरेंट्स खासे परेशान हैं।

इन स्कूलों को भी मिली बुक्स बेचने की इजाजत

ब्रिजफोर्ड स्कूल तुपुदाना, ब्रीजफोर्ड जीपी जलान मेमोरियल स्कूल तुपुदाना, आचार्य कुलम स्कूल नामकुम, कैंब्रियन पब्लिक स्कूल कांके रोड, कैंब्रियन पब्लिक स्कूल धुर्वा, डीएवी हेहल, डीएवी बरियातू, डीएवी कपिलदेव, निरजा सहाय डीएवी, एसआर डीएवी पुंदाग, गुरू गोविंद सिंह पब्लिक स्कूल कमड़े, डीपीएस सेल सिटी, डीएवी महात्मा आनंद स्वामी पब्लिक स्कूल सिल्ली, सच्चिदानंद ज्ञान भारती मॉडल स्कूल डोरंडा, डीएवी गांधीनगर, संत थॉमस स्कूल (धुर्वा), कैंब्रियन पब्लिक स्कूल (कांठीटांड़), विकास पब्लिक स्कूल (पुंदाग), डीएवी धुर्वा, मॉन्फोर्ट स्कूल (हथिया गोंदा), संत अन्ना स्कूल (मांडर), जेके इंटरनेशनल स्कूल (अगरु), लोयला कॉन्वेंट स्कूल (डुमरदगा बूंटी), डीएवी आलोक पब्लिक स्कूल (पुंदाग), विद्या विकास पब्लिक स्कूल (मोरहाबादी), एलए गार्डेन हाई स्कूल (चुटिया), संत माइकल्स पब्लिक स्कूल (न्यू अशोकनगर), गुरुनानक स्कूल (पीपी कंपाउंड), आरके स्प्रिंगल (पी.) स्कूल (भोंडा रातू), सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल (दीपाटोली), फ‌र्स्टमार्क पब्लिक स्कूल (डोरंडा), संत जेवियर स्कूल (डोरंडा), संत जगत ज्ञान सीनियर सेकेंड्री पब्लिक स्कूल (पिस्का नगड़ी), निर्मला कान्वेंट (एदलहातु), एवन पब्लिक स्कूल (नेवरी विकास कांके)।

क्या कहते हैं पैरेंट्स

मेरी बेटी रिदा एहसान जिस स्कूल में पढ़ती है, उसने दो दिन पहले ही किताबें ले लेने का मैसेज भेजा था। मैं जब पीपी कंपाउंड के पास गया, तो वहां तैनात पुलिस वालों ने उल्टे पांव वापस भेज दिया। मैं क्या कर सकता हूं। बेटी को समझा दिया है कि अभी लॉक डाउन में स्कूल जाकर नहीं ला सकता। कोई दूसरा उपाय भी नहीं है।

-एहसान मलिक

मेरी बच्ची के बुक्स लेने के लिए कल यानी गुरुवार की तारीख मिली है। स्कूल तक कैसे जा सकूंगा, यह समझ नहीं पा रहा हूं। डोरंडा में बेटी का स्कूल है। वहां जाने में मुश्किल से मुझे पांच मिनट का समय लगेगा, लेकिन सीआरपीएफ के जवान कन्टोन्मेंट एरिया से बाहर ही नहीं निकलने दे रहे हैं। स्कूल वाले भी कुछ नहीं कह रहे।

-सरफे आलम

स्कूल जाकर बच्चों की किताबें ला पाना अभी मुमकिन ही नहीं है। पुलिस वाले कुछ सुनने को तैयार नहीं। प्रशासन के एक बड़े अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के बाद स्कूल जाकर किताबें खरीद लीजिएगा। स्कूल वालों से पूछा, तो उनका कहना है कि किताबों के आगे भी मिलने की गारंटी नहीं दी जा सकती है।

-मो मिनहाज उद्दीन

हमारा कुसूर सिर्फ इतना है कि हम लोग कन्टोन्मेंट एरिया में रहते हैं। हालांकि, हमारे रेसिडेंशियल एरिया के आसपास कोई पॉजिटिव केस नहीं, फिरभी हमें बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है। स्कूल वालों को कम से कम वॉलेंटीयर्स के माध्यम से किताबें सप्लाई करने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए किसी परमीशन की जरूरत नहीं।

-तनवीर खबीर

Posted By: Inextlive