रांची: राजधानी के हार्ट में स्थित सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल की नींव 2007 में रखी गई थी। जिसके बाद करोड़ों रुपए खर्च कर 500 बेड के लिए बिल्डिंग तो खड़ी हो गई। लेकिन 13 साल बीत बाद भी यह बिल्डिंग मरीजों के लिए चालू नहीं की जा सकी है। इतना ही नहीं, जिस रफ्तार से काम चल रहा है उससे इतना तो तय है कि इस साल दिसंबर में भी सदर हॉस्पिटल को पूरी तरह से सभी सुविधाओं के साथ चालू नहीं किया जा सकता। जबकि हाईकोर्ट में विभाग ने इसे दिसंबर 2020 में चालू करने को लेकर अंडरटेकिंग दिया है। साथ ही कहा है कि मरीजों को इसकी सुविधा मिलने लगेगी।

13 साल में नहीं हो सका चालू

सदर हॉस्पिटल की बिल्डिंग बनाने के समय 2007 में 150 करोड़ रुपए का बजट था। लेकिन काम शुरू होने के बाद चार सालों में बिल्डिंग का स्ट्रक्चर खड़ा हो गया। इसके बाद 2017 में अगस्त में इस बिल्डिंग को 200 बेड के साथ चालू किया गया। इससे समझा जा सकता है कि केवल वार्ड चालू करने में दस साल लग गए। वहीं 2018 में दिसंबर तक 500 बेड का सुपरस्पेशियलिटी विंग चालू करने की घोषणा की गई थी। लेकिन अब तो दो महीने बाद दिसंबर 2020 आ जाएगा। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी 500 बेड का हॉस्पिटल ही चालू नहीं हो पाया तो सुपरस्पेशियलिटी तो दूर की बात है। वहीं सुविधाओं के नाम पर मरीजों को केवल आईवॉश किया जा रहा है।

काम में देरी से बजट तीन गुना बढ़ा

हॉस्पिटल कैंपस में पहले से जेनरल हॉस्पिटल चल रहा था। जहां पर हेरीटेज बिल्डिंग को छोड़कर 500 बेड का सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने का काम शुरू हुआ। 2011 में नई बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई। सात साल तक इस बिल्डंग में छोटे मोटे काम होते रहे और समय ऐसे ही गुजर गया। 2017 में जब हॉस्पिटल की शुरुआत हुई तो 143.47 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। उस समय 200 बेड का हॉस्पिटल चालू किया गया। हॉस्पिटल को सुपस्पेशियलिटी बनाने के नाम पर सरकार से 164.45 करोड़ रुपए की मांग की गई। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट से इक्विपमेंट इंस्टालेशन के लिए 19.75 करोड़ रुपए मांगे। आज हॉस्पिटल का बजट बढ़कर तीन गुना अधिक 400 करोड़ के पार पहुंच गया है। अब कुछ बचे हुए काम के लिए 35 लाख रुपए फिर से मांगे गए हैं।

मरीजों के लिए आईसीयू नहीं

हॉस्पिटल में हर वक्त 200 की संख्या में मरीज एडमिट होते हैं, जिसमें मैटरनिटी और चाइल्ड वार्ड भी हैं। इसके बावजूद आजतक हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं बनाया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार हॉस्पिटल में आइसीयू की फैसिलिटी होनी चाहिए। खासकर वहां जहां पर गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है और आपरेशन भी किए जाते हैं। इसे लेकर भी कई बार मामला उठा और जगह भी तय की गई। फिर भी आइसीयू को चालू नहीं किया जा सका।

बार-बार डेट एक्सटेंशन पर हाईकोर्ट गंभीर

सदर हॉस्पिटल की बिलिडंग बनकर खड़ी थी। लेकिन वहां पर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा था। इसके बाद समाजसेवी ज्योति शर्मा ने हॉस्पिटल को लेकर पीआईएल दायर कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश से 200 बेड का हॉस्पिटल चालू हो गया। इसके बाद बाकी के बेड समेत पूरा हॉस्पिटल चालू करने को लेकर विभाग में रिमाइंडर भेजा गया। इसके बाद डेडलाइन भी खत्म हो गई। तब फिर से कंटेंप्ट आफ कोर्ट फाइल किया गया। इसके बाद भी विभाग इसे गंभीरता से न लेकर डेट पर डेट देता रहा। अब हाईकोर्ट ने हेल्थ विभाग को फटकार लगाई है। साथ ही फाइनल डेट बताने को कहा था।

प्राइवेट हॉस्पिटल में शुरू हुआ इलाज

विभाग की ओर से लगातार हॉस्पिटल के लिए फंड मिलता रहा। आजतक 400 करोड़ खर्च हो गए पर हॉस्पिटल चालू नहीं हो पाया। जबकि सदर के बाद शुरू हुए प्राइवेट हॉस्पिटल पल्स और राम प्यारी सुपरस्पेशियलिटी के प्रोजेक्ट पूरे हो गए। इतना ही नहीं, उन हॉस्पिटलों में सारी सुविधाओं के साथ मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया गया। अब सवाल यह है कि जब प्राइवेट हॉस्पिटल्स को सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल चालू करने में चार साल से ज्यादा का समय नहीं लगा तो सदर को 13 साल में भी क्यों चालू नहीं किया। कहीं बजट बढ़ाने के लिए तो काम में जानबूझकर देरी नहीं की गई।

कंटेप्ट ऑफ कोर्ट फाइल किया गया है। इसके बाद 25 सितंबर की डेट थी। अब सुनवाई के लिए अगली डेट 9 अक्टूबर को है। देखना है कि विभाग की ओर से क्या पक्ष रखा जाता है। फिलहाल जो विभाग ने अपना पक्ष रखा है उसमें दिसंबर तक हॉस्पिटल को पूरी तरह से चालू करने की बात कही गई है।

-सौरव अरूण, एडवोकेट, हाईकोर्ट

Posted By: Inextlive