RANCHI:रांची की प्यास मिटाने वाली लाइफलाइन अंतिम सांसें गिन रही है। करीब 55 साल पुरानी पाइपलाइन जहां-तहां खराब हो चुकी है। आलम यह है कि हर दिन करीब 3 एमजीडी पानी की आज भी बर्बादी हो रही है। सिटी के भीतर करीब 14 प्वाइंट ऐसे हैं, जहां लीकेज डेली रूटीन में शामिल हो गया है। बूटी जलागार से जुड़े पाइपलाइन में पांच-सात जगहों पर लीकेज के कारण पानी बर्बाद हो रहा है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक लीकेज से प्रतिदिन लगभग 1.5 एमजीडी पानी की बर्बादी होती है। इसके अलावा रुक्का स्थित पुराने पंप हाउस से जुड़े पाइपलाइन में भी लीकेज के कारण प्रतिदिन लगभग 1.5 एमजीडी पानी की बर्बादी होती है। इससे जहां एक ओर आम लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, वहीं पूरी जलापूर्ति व्यवस्था ध्वस्त होती नजर आ रही है।

बेहद नाजुक है स्थिति

पेयजलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के आधिकारिक सूत्र ऑफ द रिकॉर्ड यह मानते हैं कि रुक्का डैम का पुराना पंप हाउस जर्जर हो चुका है। पंप हाउस से जुड़े पाइपलाइन में भी अनगिनत लीकेज हैं। इसके अलावा जर्जर पंप हाउस सबमर्ज होने की स्थिति में फिल्टर किया पानी भी गंदा हो जाता है। पुराने पंप हाउस में मात्र छह मोटर उपलब्ध हैं। मात्र एक मोटर स्पेयर के रूप में उपलब्ध है। बूटी व हटिया पाइप लाइन में जलापूर्ति के लिए प्रतिदिन 24 घंटे पांच मोटर का इस्तेमाल होता है। बूटी जलागार से तीन पाइपलाइन जुड़े हए हैं।

बीस दिनों से पाइपलाइन खराब

राजधानी रांची में हर दिन कहीं ना कहीं पाइपलाइन फटकर लोगों के घरों में घरों में पहुंचने वाला हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। ताजा मामला कोकर स्थित पगला बाबा आश्रम के समीप का है। जहां रुक्का से आने वाली पाइप लाइन में पिछले 20 दिन से लीकेज हो गया है। हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। पेयजल आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को आसपास के लोगों ने सूचना भी दी है लेकिन कोई काम नहीं किया है। अभी भी पानी बर्बाद हो रहा है। यह सिर्फ एक मामला नहीं है राजधानी में आए दिन पाइपलाइन से लीकेज की घटनाएं कहीं न कहीं होती रहती हैं।

55 साल पहले बिछी पाइपलाइन

राजधानी में पाइपलाइन करीब 55 साल पुरानी है। वर्ष 1966 में बिछी यह पाइपलाइन अब काफी कमजोर हो चुकी है, जिसकी वजह से लगातार पाइप फटने की घटनाएं हो रही हैं। बूटी पहाड़ स्थित स्टोरेज से ही टाउन पाइप लाइन में जलापूर्ति की जाती है। 55 साल पहले जब यह पाइपलाइन शहर में पानी देने के लिए बिछाई गयी थी, उस समय शहर की आबादी बहुत कम थी। लेकिन, लगातार शहर की आबादी बढ़ते-बढ़ते 20 लाख हो गई और पाइपलाइन वही पुरानी ही रही। लोगों ने कनेक्शन भी बहुत अधिक संख्या में ली। लेकिन पाइपलाइन बदली नहीं जा सकी है, जिस कारण शाम और सुबह एक बार जब बहुत अधिक घरों में पानी पहुंचने लगता है, उसी समय पाइपलाइन कहीं न कहीं से फट जाती है। पाइपलाइन फटने से घरों तक सही तरीके से पानी नहीं पहुंच पाता है।

69 साल पहले बना है गोंदा डैम

गोंदा डैम से वाटर सप्लाई के लिए 1952-53 में पाइपलाइन बिछाई गई थी और आज भी उसी पाइपलाइन से पेयजल व स्वच्छता विभाग शहर में जलापूर्ति कर रहा है। नतीजा यह है कि पाइपलाइन जगह-जगह फट रही है और उसके जरिए लोगों के घरों में गंदा पानी पहुंच रहा है। इस दूषित पानी को कई बार लोग घर में फिल्टर कर पीने के लिए यूज कर रहे हैं, लेकिन बड़ी आबादी आज भी इसी दूषित पानी को पीने के लिए मजबूर है। डैम की स्थापना होने से अब तक पाइपलाइन नहीं बदली गई है। लगभग 60 वर्ष होने के बावजूद आज तक पाइप बदले नहीं गए हैं।

11 साल से सिर्फ कागजों पर चल रही है योजना

रांची में जलापूर्ति योजना का विस्तार 11 साल में भी पूरा नहीं हो पाया। 2009-10 में जवाहर लाल नेहरू शहरी विकास पुनरुद्धार योजना ली गयी थी। इसमें रांची शहर के चार लाख की आबादी को पीने का पानी पहुंचाने की भारी-भरकम योजना नगर विकास विभाग ने ली थी। इस योजना का क्त्रियान्वयन पेयजल और स्वच्छता विभाग को सौंपा गया। हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को 256 करोड़ की योजना का कार्यादेश दिया गया। 24 महीने में योजना का काम पूरा करना था। सरकार ने सितंबर 2013 में आइवीआरसीएल को यह कहते हुए काली सूची में डाल दिया कि उसने निर्धारित समय में 30 फीसदी से कम उपलब्धि हासिल की। इसके बाद राय मंत्रिमंडल की तरफ से एलएनटी को बचे हुए काम का कार्यादेश दिया गया। 2014-15 में एलएनटी को 290.88 करोड़ का काम दिया गया। यह काम भी 24 महीने में पूरा नहीं हो पाया। अब अमृत योजना के तहत रांची के एक लाख घरों तक पानी पहुंचाने की घोषणा की गयी है। वह भी 2020 तक। सरकार की योजना में न तो नया डैम बनाया गया है और न ही जल स्त्रोत का कोई आधार है, जहां से पानी लाया जाएगा।

फैक्टफाइल

रुक्का डैम से बूटी जलागार को होने वाली जलापूर्ति : 32 एमजीडी

रुक्का डैम से हटिया लाइन को होने वाली जलापूर्ति : 06 एमजीडी

रुक्का डैम में फिल्टर बेड की संख्या : 20

कभी-कभी बिना फिल्टर बूटी जलागार को की गई जलापूर्ति : 38 एमजीडी

कोकर पगला बाबा आश्रम के पास पाइपलाइन से जो पानी बह रहा है, उसे तत्काल ठीक करने का आदेश दिया गया है। पुरानी पाइपलाइन बदलने की योजना जुडको द्वारा क्रियान्वित की जानी है। जल्द ही काम पूरा कर लिया जाएगा।

-निरंजन कुमार, अधीक्षण अभियंता, रांची अर्बन, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग

Posted By: Inextlive