जब्त गाड़ी ढूंढने में लोगों के निकल रहे पसीने

- अपर बाजार के नो पार्किंग जोन से जब्त वाहनों को खोजने में बढ़ी परेशानी

- थाने-थाने अपनी गाड़ी ढूंढते फिर रहे वाहन मालिक

- नहीं मिल रही कहीं भी सही जानकारी

अपर बाजार की कुछ गलियों में नई यातायात व्यवस्था शुरू की गई। इसके तहत कुछ सड़कों पर वाहनों की नो एंट्री लगा दी गई है। वाहनों की एंट्री करने या नो पार्किंग में पार्क करने पर गाड़ी जब्त कर ली जाती है। इससे जहां एक ओर राहगिरों को राहत मिली है, तो वहीं दूसरी ओर जिनके वाहन जब्त हो रहे हैं, उनके लिए पूरी व्यवस्था परेशानी का सबब बन गई है। दरअसल, जिन लोगों के वाहन अपर बाजार इलाके से जब्त हो रहे हैं, उन्हें अपने वाहन की कोई खोज खबर ही नहीं मिल रही है। अपर बाजार से वाहन जब्त होने के बाद वाहन मालिक थाने-थाने भटक कर अपनी गाडि़यों की तलाश करते नजर आ रहे हैं। कहीं से उन्हें सही जानकारी नहीं मिल रही है।

जानकारी नहीं मिलने से परेशानी

कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें नए नियम की जानकारी नहीं है। ऐसे ही लोग जानकारी के अभाव में अपर बाजार में कहीं भी गाड़ी लगाकर चले जाते हैं। इधर धावा दल द्वारा गाड़ी उठा ली जा रही है। ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम गाड़ी उठाने का काम कर रही है। नगर निगम की टीम गाड़ी जब्त कर बकरी बाजार में जमा करती है, तो वहीं ट्रैफिक डिपार्टमेंट की टीम ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिस में गाड़ी लाकर खड़ी कर देती है। लेकिन, कभी-कभी जगह नहीं होने के कारण पुलिस लाइन एवं दूसरे ट्रैफिक थानों में गाड़ी लगा दी जाती है। इस कारण गाड़ी ओनर को अपनी गाड़ी के बारे में पता ही नहीं चल पाता और वे यहां-वहां भटकते रहते हैं। कंट्रोल ऑफिस में एक ऐसे ही व्यक्ति मिले, जिनकी इलेक्ट्रिक बाइक अपर बाजार से उठा ली गई। लेकिन गाड़ी कहां है यह पता नहीं होने के कारण वह व्यक्ति काफी हैरान-परेशान रहे।

समय की हो रही बर्बादी

गाड़ी ढूंढने में लोगों के समय की भी बर्बादी हो रही है। लोग मेंटली डिस्टर्ब हो रहे हैं। जिस स्थान से गाड़ी जब्त की जाती है, वहां कोई शख्स भी मौजूद नहीं होता, जो यह बता सके कि कहां गाड़ी लगानी है और कहां नहीं। बिजनेसमैन प्रदीप ने बताया कि गाड़ी खड़ी कर होटल में नाश्ता करने गए थे। थोड़ी ही देर में गाड़ी गायब हो गई। पता करने पर मालूम हुआ कि गाड़ी ट्रक पर लाद कर ले जाई गई है। सुबह ग्यारह बजे से गाड़ी ढूंढते-ढूंढते तीन बज गए, लेकिन गाड़ी नहीं मिली। कंट्रोल में भी कुछ पता नहीं चला। इसमीं समय भी काफी बर्बाद हुआ।

कोई विकल्प तो जरूर हो

अपर बाजार के व्यापारियों ने बताया कि सिर्फ अपर बाजार ही नहीं, रांची में कहीं से भी गाड़ी जब्त होने के बाद पता करने में लोगों की हालत बिगड़ जाती है। गाड़ी के सभी पेपर होते हुए और फाइन भरने के बाद भी गाड़ी छुड़वाने में पूरा दिन बर्बाद हो जाता है। लोगों ने कहा कि गाड़ी जब्त करने के बजाय दूसरा विकल्प भी हो सकता है। फास्ट टैग जैसा ई-चालान या फिर ऑन द स्पॉट फाइन ऑप्शन हो सकता है। इससे लोगों को ज्यादा परेशानी न हो और प्रशासन का काम भी हो जाए। एक बार फाइन भरने के बाद लोग अगली बार स्वत: गलती दोहराने से बचेंगे। यदि गाड़ी जब्त ही करनी है, तो गाड़ी ओनर को उसकी गाड़ी की जानकारी मिलनी चाहिए। इससे बगैर समय बर्बाद किए और परेशान हुए गाड़ी को छुड़ाया जा सके।

मेरे संज्ञान में ऐसा कुछ नहीं है। जिनकी गाड़ी जब्त की जा रही है, उन्हें कचहरी चौक स्थित ट्रैफिक कंट्रोल रूम में आकर इसकी जानकारी लेनी चाहिए। इसके लिए लोगों को कहीं भटकने की जरूरत नहीं है।

जीतवाहन उरांव, डीएसपी, ट्रैफिक

लोगों की बात

दस मिनट के लिए होटल में नाश्ता करने गया था। उतनी ही देर में गाड़ी उठा ली गई। काफी पता करने पर मालूम हुआ कि गाड़ी जब्त कर लिया गया है। पांच घंटे तक ढूंढता रहा लेकिन गाड़ी नहीं मिली।

- प्रदीप

मेरे सामने ही मेरी गाड़ी उठाई गई। मना करने भी जबरन गाड़ी ले गए। लेकिन यह नहीं बताया गया कि लेकर कहां गए हैं। बकरी बाजार, चुटिया, कोतवाली भी गया लेकिन कहीं नहीं मिली। तीन घंटे ढूंढने के बाद कंट्रोल ऑफिस में गाड़ी मिली। यहां भी एक घंटे बिठा कर रखा गया, उसके बाद फाइन लेकर गाडी छोड़ी गई।

- शुभम

Posted By: Inextlive