रांची: कोरोना और लॉकडाउन का असर अब आशियाने पर भी दिखने लगा है। राजधानी रांची में 4 महीने में ही घर बनाने के लिए बिल्डिंग मैटेरियल का दाम 30 परसेंट तक बढ़ गया है। एक तो लोगों का रोजगार और जमा पूंजी लॉकडाउन में खत्म हो गया, अब आशियाना बनाना भी सपना होता जा रहा है। बिल्डिंग मैटेरियल के दाम में बढ़ोतरी हो गई है। इसके चलते घर बनाना और भी महंगा हो गया है। अब बालू के भाव में बढ़ोतरी हो गई है। साथ ही सीमेंट, गिट्टी और सरिया के दाम भी बढ़ गए हैं।

सरिया 5200 क्विंटल, सीमेंट 350 रुपए बोरी

इधर, सरिया का भाव भी बढ़ गया है। व्यापारियों ने बताया कि सरिया पहले 4950 रुपए क्विंटल मिल रहा था, वो भी 5000 रुपए क्विंटल पर पहुंच गया है। सीमेंट पर भी बढ़ोतरी का असर पड़ा है। राजधानी में 150 सीएफटी बालू का दाम पहले 2800 रुपए था, जो अब 4500 रुपए हो गया है। गिट्टी का दाम जो पहले 6000 रुपए था, वो अब बढ़कर 7200 रुपए प्रति ट्रक हो गया है। इसी तरह 2000 ईट पहले 14000 में आता था, अब 18000 रुपए हो गया है।

30 परसेंट महंगा हुआ मकान बनाना

कांट्रैक्टर मो इस्लाम का कहना है कि पहले एक हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मकान बनाने का कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1 हजार रुपए प्रति वर्गफीट आता था। सरिया, बालू और सीमेंट के दाम में बढ़ोतरी के बाद यह कॉस्ट 1300 रुपए हो गया। जो मकान पहले 10 लाख रुपए में बन जाता था अब उसे बनाने में 13 लाख रुपए का खर्च आएगा।

सरकार मूल्य निर्धारण कर मानिटरिंग करे

निर्माण सामग्री मार्केट में बिना वजह आई तेजी की मॉनिटरिंग सरकार को करनी चाहिए। पिछले एक साल से कोई बड़ा निर्माण नहीं होने के बाद भी बालू, गिट्टी, सीमेंट, छड़, पेंट्स, चूना के दाम में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इस कारण रेरा में पंजीकृत बिल्डर्स ने कोई बड़ा प्रोजेक्ट लांच नहीं किया। आम आदमी तो घर बनाने की सोचना ही छोड़ दिया है। जिसके पास मकान है उन्होंने मरम्मत तक को स्थगित कर दिया है। कामकाज सुचारू रूप से चले, इसके लिए राज्य सरकार को निर्माण सामग्री का मूल्य निर्धारण कर मॉनिटरिंग करना चाहिए। जो कालाबाजारी कर रहा, उसे सीधे जेल में भेजें। नहीं तो आने वाले पांच साल तक कोई मकान ही नहीं बनाएगा। इससे सरकार को मिलने वाला टैक्स पूरी तरह प्रभावित होगा।

Posted By: Inextlive