रांची: सदर हॉस्पिटल में दोपहर के 12 बजकर 15 मिनट हुए हैं। इस वक्त सदर हॉस्पिटल के कोविड वार्ड के बाहर आठ एंबुलेंस लगी हैं। सभी में मरीज हैं और सभी अपना बेहतर इलाज कराने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की राह देख रहे हैं। एक एंबुलेंस डेडबॉडी लेने भी आई है। कोरोना की वजह से जन-जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। हर गली, चौक-चौराहे पर सिर्फ कोरोना ही चर्चा का विषय बना हुआ है। हर दिन दर्जनों कोरोना संक्रमित मरीज रांची के अलग-अलग हॉस्पिटलों में भर्ती हो रहे हैं। सरकारी आंकडों के अनुसार, बीते दस दिन में 85 लोगों की मृत्यु कोरोना से हो चुकी है। हालांकि, विभिन्न श्मशान घाट और कब्रिस्तान में हर दिन सरकारी आंकड़ों से दोगुना शवों का दाह संस्कार हो रहा है। एक ओर जहां श्मशान घाट में चिताएं ठंडी नहीं हो पा रहीं तो दूसरी ओर हॉस्पिटल कैंपस एंबुलेंस के सायरन से गूंज रहा है। दिन हो या रात हर वक्त एंबुलेंस पेशेंट लेकर हॉस्पिटल पहुंच रही है। हर दस मिनट पर एंबुलेंस एक मरीज लेकर हॉस्पिटल आ रही है।

हॉस्पिटल के बाहर कतार

सदर हॉस्पिटल हो या रिम्स या फिर कोई भी प्राइवेट अस्पताल जहां कोविड मरीजों की जांच हो रही है। वहां एंबुलेंस की कतार लग रही है। परिजन अपने मरीज को भर्ती कराने के लिए परेशान हैं तो एंबुलेंस चालक दूसरे पेशेंट को लाने की तैयारी में हैं। सदर हॉस्पिटल में मरीज लेकर आए एक एंबुलेंस चालक ने बताया कि परेशानी काफी बढ़ गई है। पहले दिन भर में चार या पांच पेशेंट्स लाते थे, अब हर दिन लगभग 15 मरीज ला रहे हैं। रात-दिन हमलोग सेवा में लगे हुए हैं। पेशेंट्स को हॉस्पिटल तक लाने के अलावा वैसे मरीज जो नहीं बच पाए उन्हें मुक्तिधाम और कब्रिस्तान भी ले जाने की ड्यूटी रहती है।

रांची से डेली 200 पेशेंट्स

राजधानी रांची में कोविड का खतरा किस तरह बढ़ा हुआ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर दिन अलग-अलग हॉस्पिटलों में लगभग 200 मरीज आ रहे हैं। इसमें सिर्फ 108 एंबुलेंस सर्विस से ही लगभग 165 मरीज एडमिट कराए जा रहे हैं। जिकित्जा प्रा। लि। के रांची का वर्क संभाल रहे मिल्टन ने बताया कि सिर्फ कोविड पेशेंट्स को सर्व करने के लिए 11 एंबुलेंस दिन-रात काम रही हैं। हर एंबुलेंस में प्रतिदिन 12 से 15 पेशेंट्स लाए जा रहे हैं। इसके अलावा हॉस्पिटल्स की अपनी एंबुलेंस और प्राइवेट एंबुलेंस से भी मरीज हॉस्पिटल आ रहे हैं। ड्राइवर एक मरीज को ड्रॉप करते ही दूसरे को लाने के लिए हॉस्पिटल से निकल पड़ता है। उसे बेस लोकेशन पर आने का दबाव भी नहीं दिया जाता है। एक एंबुलेंस में दो स्टाफ्सहैं, सेफ्टी का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

इन दिनों प्रेशर काफी बढ़ा हुआ है। रात-दिन हमलोग सेवा में लगे हुए हैं। टेलीफोन के रिंग लगातार बज रहे हैं। कई लोग टेस्ट कराने जाना है तो उसके लिए भी एंबुलेंस बुला लेते हैं। मानवता को ध्यान में रखते हुए वैसे पेशेंट्स को भी टेस्ट सेंटर तक ड्राप किया जाता है। सस्पेक्टेड पेशेंट को जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचाना होता है, इसलिए मरीज के अटेंडेंट जिस हॉस्पिटल के बारे में बोलते हैं, पेशेंट को वहां पहुंचा दिया जाता है।

-मिल्टन, जिकित्जा प्रा। लि। रांची

नहीं मिली बेड, गंभीर मरीज लौटा

कोलकाता के रहने वाले एक पेशेंट की हालत काफी गंभीर हो चुकी है। उन्हें इलाज के लिए सदर हॉस्पिटल लाया गया। उनकी हालत ऐसी हो चुकी है कि वो एक टोकरी में आ जाएं। लेकिन सदर हॉस्पिटल में बेड नहीं मिलने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। उनके अटेंडेंट ने बताया कि रांची आने के बाद ही संक्रमण से ग्रसित हुए हैं। लेकिन यहां इलाज नहीं हो पा रहा है। रांची के सभी हॉस्पिटल का चक्कर लगा लिये कहीं भी बेड नहीं मिली। ऑक्सीजन अटैच्ड बेड की जरूरत है। लेकिन सभी हॉस्पिटल वालों ने हाथ खडे़ कर दिए हैं। अंत में सदर हॉस्पिटल लेकर आए हैं लेकिन यहां भी बेड नहीं होने की खबर मिल रही है। हम लोग पेंशेंट लेकर यहां-वहां घूमते रह जाते हैं। कहीं से कोई मदद नहीं मिलती। सरकार कह रही है कि पर्याप्त मात्रा में बेड है, लेकिन कहां हैं, यह भी तो बताए। रांची में उका इलाज नहीं होगा, हम लोग उन्हें लेकर कोलकाता लौट जाएंगे।

Posted By: Inextlive