RANCHI:सिटी का मोरहाबादी मैदान शुक्रवार को रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। पिछले एक सप्ताह से परमानेंट नौकरी की मांग को लेकर मोरहाबादी मैदान में डलसे 2500 सहायक पुलिसकर्मियों का धैर्य शुक्रवार की दोपहर को जवाब दे गया। करीब तीन बजे सहायक पुलिसकर्मियों ने सीएम आवास का घेराव करने के उद्देश्य से मैदान में की की गई पुलिस की बैरिके¨डग तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की। इस क्रम में जिला पुलिस व रैपिड एक्शन पुलिस के जवानों के साथ उनकी भिड़ंत हो गई। सहायक पुलिसकर्मियों के हाथ में जो आया उसे पुलिस के जवानों पर फेंकना शुरू कर दिया। सहायक पुलिसकर्मियों ने नारियल, मौसम्मी और पत्थर चलाना शुरू किया तो इसके बाद जिला पुलिस के जवानों व पदाधिकारियों ने भी मोर्चा संभाला और सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज कर दिया।

आंसू गैस के गोले भी दागे

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए। काफी देर तक दोनों ओर से पत्थरबाजी भी होती रही। बड़ी मशक्कत के बाद उग्र सहायक पुलिसकर्मियों को शांत कराया जा सका। इस घटना में दोनों तरफ से दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी चोटिल हुए हैं। इनमें गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। कई के सिर भी फटे हैं। पत्थरबाजी व लाठीचार्ज में एसपी सिटी सौरभ के अलावा सार्जेंट व जिला बल के महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों के अलावा सहायक पुलिसकर्मियों को भी चोट आई हैं।

चरम पर था आक्रोश

मौके पर पहुंचे एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, एसपी यातायात अजित पीटर डुंगडुंग, एडीएम लॉ एंड आर्डर, एसडीएम, डीएसपी व आधा दर्जन थाने के थानेदारों ने सहायक पुलिसकर्मियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। सहायक पुलिसकर्मियों का आक्रोश चरम पर था।

एफआईआर दर्ज करने की तैयारी

सहायक पुलिसकर्मियों पर लालपुर थाने में एक और प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी है। उनपर सरकारी कार्य में बाधा और लॉकडाउन के दौरान दी गई शर्तों को तोड़ने का आरोप है।

सहायक पुलिसकर्मियों ने अनुशासन तोड़ा

रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों ने मोरहाबादी मैदान के पास अनुशासनहीनता की। जिला बल के जवानों-अधिकारियों पर उन्होंने पत्थर चलाया। साथ ही रास्ते से आने-जाने वालों व मीडियाकर्मियों को भी नहीं बख्शा और पुलिक की बैरिके¨डग तोड़ी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े व बल प्रयोग करना पड़ा। इस घटना में एसपी सिटी, डीएसपी सिटी सहित दस पुलिस पदाधिकारी-कर्मी जख्मी हुए हैं। वहीं, सहायक पुलिसकर्मियों की ओर से पांच जवानों को चोट लगी है। इस पूरी घटना में सहायक पुलिसकर्मियों पर अनुशासनहीनता, सरकारी कार्य में बाधा आदि की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

बहाली के वक्त यह थी सरकारी योजना

रघुवर सरकार ने अगस्त 2017 में सभी 2500 सहायक पुलिसकर्मियों को तीन साल के अनुबंध और 10 हजार रुपये मासिक वेतन पर बहाल किया था। सभी 2500 सहायक पुलिसकर्मी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से आते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवक-युवती जब सरकार की मुख्य धारा से जुड़ेंगे तो क्षेत्र से नक्सलियों की जड़ें कमजोर होंगी और फिर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में भी मदद मिलेगी। इन्हें आश्वासन मिला था कि इनके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए सिपाही के पद पर स्थाई बहाली में भी प्राथमिकता दी जाएगी। तब से अब तक सिपाही के पद पर स्थाई बहाली की प्रक्रिया नहीं हुई और देखते ही देखते इन 2500 सहायक पुलिसकर्मियों का अनुबंध भी समाप्त हो गया। अनुबंध अवधि में ये सहायक पुलिसकर्मी नक्सल क्षेत्र, चुनाव ड्यूटी, यातायात ड्यूटी व श्रावणी मेले में भी मुस्तैदी से जुटे रहे।

सहायक पुलिस को लेकर सरकार की सोच सकारात्मक है। उनपर लाठीचार्ज क्यों हुआ, यह जानकारी ली जाएगी। मैं अनुरोध करुंगा कि मांग सरकार के समक्ष अवश्य रखें, लेकिन कोई गैरकानूनी कार्य न करें। सरकार इससे कोई समझौता नहीं करेगी। अपनी बातें रखें, सरकार सुनेगी।

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

Posted By: Inextlive