RANCHI : शहर के बीचों-बीच स्थित सदर हॉस्पिटल ना सिर्फ फिजां में 'जहर' घोल रहा है, बल्कि इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बीमार भी बना रहा है। दरअसल, हॉस्पिटल कैंपस में खुलेआम खुली जगह में बायो मेडिकल वेस्ट जलाया जा रहा है। इसके धुएं और बदबू से जेनरल वार्ड में एडमिट मरीजों का सांस लेना भी मुश्किल जान पड़ रहा है। यहां पर्यावरण संरक्षण के नियमों की धड़ल्ले से धज्जियां उड़ाई जा रही है, लेकिन इस तरफ न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन का कोई ध्यान जा रहा है।

फेंका भी जा रहा है कचरा

हॉस्पिटल कैंपस में जहां कुछ बायो मेडिकल वेस्ट को खुले में जलाया जा रहा है तो कुछ कचरे को यूं ही फेंक दिया जा रहा है। ऐसे में फेंके गए बायो मेडिकल वेस्ट जानवरों के जरिए आसपास के इलाके में भी पहुंच रहा है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अगर इसे रोकने के लिए कदम नहीं उठाया गया तो यह लोगों को बीमारियों को चपेट में ले लेगा।

हर बेड से हर दिन 500 ग्राम बायो वेस्ट

हॉस्पिटल के सुपर स्पेशियलिटी विंग के मैटरनिटी वार्ड और जनरल वार्ड में 150 से अधिक मरीज एडमिट है। अमूनन एक मरीज के बेड से हर दिन लगभग 500 ग्राम तक बायो वेस्ट निकलता है। इस हिसाब से हर दिन साढ़े सात किलो बायो वेस्ट को डिस्पोजल के लिए इंसिनरेटर में भेजा जाना है, लेकिन इसे खुले में हर दिन जलाया जा रहा है।

500 बेड का हॉस्पिटल, नहीं है इंसीनरेटर

सदर हॉस्पिटल में 500 बेड का सुपर स्पेशियलिटी विंग बनाया गया है, लेकिन बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए इंसीनरेटर की व्यवस्था नहीं की घई है। ऐसे में इसे रामगढ़ स्थित हॉस्पिटल के इंसीनरेटर में डिस्पोजल के लिए भेजे जाने का निर्देश है। इसे रखने के लिए यहां स्टोर भी है, लेकिन छह माह पहले इसे तोड़ दिया गया। अब इस कचरे को कैंपस में ही खुले में जलाया जा रहा है, जो मरीजों के साथ एनवायरमेंट के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

अलग-अलग बैग में करना है सेग्रीगेट

येलो : पेशेंट का कचरा, इंफेक्टेड वेस्ट, लैब वेस्ट

रेड : इंफेक्टेड प्लास्टिक वेस्ट, कैथेटर, सीरिंज, ट्यूब, आरबी बॉटल

ब्लू : ग्लास के टूटे सामान, ट्रेट इंजेक्शन, स्लाइड, निडिल, ब्लेड, मेटल इक्विपमेंट्स

ब्लैक : यूरिन, स्पूटम, पस, इंफेक्टेड लिक्विड, कपड़े, ओटी व लेबर रूम के कपड़े

Posted By: Inextlive