राजधानी रांची के कुछ लोग नियम कानून को जेब में लेकर घूम रहे हैं. तभी तो गैरकानूनी होने के बावजूद सिटी की सभी सडक़ों पर काले शीशे लगी गाडिय़ां फर्राटा भर रही हैं.


रांची (ब्यूरो): काले शीशे के अंदर कई तरह के गलत काम होते हैं। इसी से निजात पाने के लिए कोर्ट ने भी ब्लैक फिल्म नहीं लगाने का आदेश जारी किया था, लेकिन यह आदेश सिर्फ फाइलों की शोभा बढ़ा रहा है। पिछले हफ्ते रांची के रातू इलाके में कार में एक युवती के साथ गैंगरेप की शर्मसार करने वाली घटना सामने आई थी। जिस कार में युवती के साथ गैंगरेप हुआ था उसमें भी काला शीशा लगा हुआ था। हलांकि, पुलिस की तत्परता और बुद्धिमानी की वजह से आरोपी रंगेहाथ पकड़े गए थे। नियम मानने को नहीं तैयार


रांची में सैकड़ों गाडिय़ां हैं जिनके शीशे में ब्लैक फिल्म लगी है। इनमें सबसे ज्यादा अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं की गाडिय़ां हैं। उसके बाद जमीन माफिया, बिल्डर, सरकारी अधिकारी से लेकर रसूखदार भी अपनी गाडिय़ों में ब्लैक शीशा लगवाना शान समझते हैं। पुलिस भी उनके रसूख के आगे खुद को बौना समझती और ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने से बचती है। चौक-चौराहों पर बड़ी आसानी से ब्लैक शीशे वाली गाडिय़ां क्रॉस करती हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस को हिम्मत नहीं कि वो ऐसी गाडिय़ों को हाथ देकर रुकवा दे। पुलिस भी यह सब देखकर आंखें मूंद लेती है। कार एसेसरीज की दुकानों पर ब्लैक फिल्म आसानी उपलब्ध है। इन दुकानों में भी कभी कोई जांच नहीं होती। वाहन मालिक इन दुकानों से जहां कार की साज-सज्जा की चीजें लेते हैं, वहीं बेझिझक शीशों पर काली फिल्म लगवा लेते हैं। इस मामले में एक दुकानदार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यदि ग्राहक काली फिल्म की डिमांड करता है तो उसे लगवा देते हैं, जबकि इस बात की हिदायत दुकान पर चस्पा की गई है कि आरटीओ के तहत काली फिल्म लगाना नियम के विरुद्ध है। क्यों लगाते हैं ब्लैक फिल्मकाले शीशे वाले वाहनों के अंदर का कुछ भी बाहर से नजर नहीं आता है। काला शीशा लगे वाहन के अंदर कौन है, अपराधी है या वीआईपी, इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है न जनता को। काला शीशा लगे वाहनों का उपयोग अक्सर आपराधिक गतिविधियों के लिए होता आया है। ब्लैक फिल्म लगी कारों से रेप, हत्या, अपहरण, स्मग्लिंग की वारदातों को भी अंजाम दिया जाता है। क्या है नियम?

सुप्रीम कोर्ट ने चार पहिया वाहनों में ब्लैक शीशा लगाने को बैन कर रखा है। 2012 से ही यह नियम लागू किया गया है। लेकिन अब भी कई लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के नियम दो के तहत वाहनों में काला शीशा लगाना गैरकानूनी है। मोटर वाहन अधिनियम के तहत काला शीशा लगाने वाले वाहन मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का भी प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में आदेश जारी किया है। नियम के तहत कार के साइड वाले शीशे में 50 फीसदी तक ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए। इसी तरह पीछे के शीशे की विजिबिलिटी भी 70 प्रतिशत तक साफ होनी चाहिए। कार के शीशों पर किसी तरह के पर्दे न लगे हों। आदेश में यह भी कहा गया कि यदि खिडक़ी पर लगी फिल्म नहीं हटाई जाती है, तो इसे अवमानना मानकर कार्रवाई की जाएगी।

Posted By: Inextlive