रांची में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धड़ल्ले सेहो रही अवमानना. रसूखदार लोग काला शीशा लगाकर चल रहे हैं कार में. हाल ही में ऐसी फिल्म वाले शीशे के वाहन में पकड़ी गई थी शराब की तस्करी.


रांची(ब्यूरो)। राजधानी का ट्रैफिक सिस्टम लचर हो चुका है। कार, बाइक से लेकर दूसरे व्हीकल्स भी नियम तोड़ रहे हैं। कोई कैपासिटी से ज्यादा सवारी ढो रहा है तो कोई अपनी गाड़ी में बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर घूमता है। वहीं गाड़ी में काले रंग का शीशा लगाकर चलता है। बोर्ड लगाने वालों पर तो कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लेकिन गाड़ी में ब्लैक फिल्म लगाकर चलने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गाडिय़ों में ब्लैक फिल्म लगाकर नहीं चल सकते। लेकिन सिटी में लोग खुलेआम अपनी गाडिय़ों में काला शीशा लगा कर घूम रहे हैं। काला शीशा लगी गाडिय़ों का प्रयोग आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए भी किया जाता है। कई बार यह सामने भी आ चुका है। अवैध हथियार से लेकर शराब की तस्करी के लिए भी ब्लैक फिल्म लगी गाडिय़ों का इस्तेमाल किया जाता है। रसूखदार लोग काला शीशा लगाकर चलना अपना स्टेटस सिंबल समझते हैं। क्यों लगाते हैं ब्लैक फिल्म
काले शीशे वाले वाहनों के अंदर का कुछ भी बाहर नजर नहीं आता। काला शीशा लगे वाहन के अंदर कौन है, अपराधी है या वीआईपी, इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है न जनता को। काला शीशा लगे वाहनों का उपयोग अक्सर आपराधिक गतिविधियों के लिए होता आया है। कारों से हत्या और अपहरण की वारदातों को भी अंजाम दिया जाता है। बीते महीने ही नगड़ी से एक लड़की का अपहरण करने का प्रयास किया गया था। उस गाड़ी में भी काला शीशा लगा था। गाड़ी का नंबर प्लेट भी हटाया हुआ था। हालांकि शोर शराबे के बाद लड़की अपहरणकर्ताओं के चंगुल से खुद को बचाने में सफल रही। गाड़ी के अंदर बैठे लोगों की एक्टिविटीज पर बाहर से नजर नहीं पड़े, इसके लिए लोग गाड़ी के शीशे पर काले रंग की फिल्म चढ़ा लेते हैं। आपराधिक चरित्र वाले पहचान छुपाने के लिए टिंटेड शीशे वाली गाडिय़ों का यूज करते हैं। पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई


सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी पुलिस ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। कभी-कभी एक दो लोगों पर कार्रवाई करने के बाद पुलिस फिर से सुस्त हो जाती है। राजधानी रांची में कार एसेसरीज और गाडिय़ों को मोडिफाइड करने वाले दर्जनों दुकाने हैं। सिर्फ मेन रोड में ही कई दुकाने हैं तो गाडिय़ों की साज-सजावट करते हैं। इन दुकानदारों पर भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। नियमों के अनुसार, किसी भी कार एसेसरीज वाली दुकान को निर्धारित माप से ज्यादा ब्लैक फिल्म लगाने पर प्रतिबंध हैै। लेकिन कार्रवाई नहीं होने और किसी प्रकार की जांच-पड़ताल नहीं होने के कारण दुकानदार भी ग्राहकों की फरमाइश पर ब्लैक शीशा चढ़ा देते हैं। क्या है नियमसुप्रीम कोर्ट ने चार पहिया वाहनों में ब्लैक शीशा लगाने को बैन कर रखा है। 2012 से ही यह नियम लागू किया गया है। लेकिन अब भी कई लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों की खिड़कियों के शीशे काले या रंगीन नहीं होने चाहिए। नियम के अनुसार, वाहनों की खिड़कियों के साइड विंडो शीशा कम से कम 50 प्रतिशत और सामने और पीछे का शीशा 70 प्रतिशत पारदर्शी होना अनिवार्य है। नियम तोडऩे वालों के लिए फाइन से लेकर सजा का भी प्रावधान है। मोटर वाहन एक्ट 1988 की धारा 177 और 179 के तहत काला शीशा लगाने वाले वाहन मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

ब्लैक फिल्म लगाना गैरकाूननी है। ऐसा करते पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। ट्रैफिक विभाग की ओर से जांच अभियान चला कर ऐसे लोगों पर जुर्माना किया जाएगा। -जीतवाहन उरांव, ट्रैफिक डीएसपी, रांची

Posted By: Inextlive