RANCHI: नक्सलाइट्स अब पुलिस के खिलाफ बच्चों का इस्तेमाल करने लगे हैं. उन्होंने बच्चों का एक ग्रुप तैयार किया है जिसे बाल संगम का नाम दिया गया है. इस बाल संगम में शामिल बच्चों की उम्र छह साल से लेकर 12 साल तक है. छह साल के बच्चों का काम पुलिस एनकाउंटर में शहीद जवानों के पास से हथियार कलेक्ट करना है जबकि 12 साल के बच्चे एनकाउंटर में इम्पॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं. झारखंड की स्पेशल ब्रांच ने भी नक्सलियों के इन 'चाइल्ड सोल्जर्सÓ के बारे में गवर्नमेंट को इनफॉर्मेशन दे दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक नक्सल अफेक्टेड स्टेट्स जैसे झारखंड छत्तीसगढ़ एमपी ओडि़शा में लगभग 2500 बच्चों को गुरिल्ला आर्मी द्वारा ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इन चाइल्ड सोल्जर्स का यूज मेनली झारखंड और छत्तीसगढ़ के लिए किया जाएगा.
By: Inextlive
Updated Date: Wed, 19 Jun 2013 10:07 PM (IST)
बच्चे भिड़े थे जवानों सेसीआरपीएफ में पोस्टेड आईजी एमवी राव के मुताबिक, जब हाल के दिनों में लातेहार के कुमांडा में नक्सलियों और सीआरपीएफ के बीच एनकाउंटर हुआ था, तो उस वक्त सीआरपीएफ जवानों का मुकाबला आठ साल से लेकर 14 साल तक के बच्चे कर रहे थे. नक्सली अपनी लड़ाई में माइनर बच्चों का इस्तेमाल करते हैं, ताकि पुलिस को उन बच्चों पर गोली चलाने से पहले सोचना पड़े।
गांववालों से मांगे हैं बच्चेदेश के टॉप नक्सलाइट्स ने झारखंड के लिए काम कर रहे नक्सलाइट लीडर्स से बच्चों की डिमांड की है। इनफॉर्मेशन के मुताबिक, पलामू, गढ़वा, लातेहार, वेस्ट सिंहभूम, लोहरदगा, खूंटी आदि के मुखिया व सरपंच को बच्चे प्रोवाइड कराने का अल्टीमेटम दिया गया है।
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