गुरु दक्षता कार्यक्रम के तहत डॉ विनय भरत ने दिया व्याख्यान दैनिक जागरण आईनेक्स्ट


रांची (ब्यूरो) । ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर में गुरु दक्षता कार्यक्रम के तहत डॉ विनय भरत ने स्टूडेंट साइकोलॉजी पर व्यख्यान देते वक्त कहा कि बच्चों के नैसर्गिक गुणों को समाज बड़ी बेरहमी से कत्ल कर देता है और फिर जब वे रिवोल्ट करते हैं तो हम उन्हें असामाजिक करार देते हैं। बच्चा कम्फर्टबल होता है। हम उसके कम्फर्ट ज़ोन को मार देते हैं। बच्चा बगैर किसी खास कारण के प्राकृतिक तौर से खुश रहता है, जबकि बड़े बगैर कारण दु:खी रहते हैं। बड़े बगैर किसी खास कारण के खुश रहना ही नहीं जानते। बचपन में लौटा दें


उन्होंने कहा की जब बच्चे कॉलेज में होते हैं तो कई दफे हिंसक बना कर हम तक समाज इन्हें भेजता है। हम शिक्षकों का दायित्व है कि इन्हें वापस इनके बचपन में लौटा दें। गलत करने वाले छात्रों को भी एक मौका जरूर दें। शिक्षक बतौर एडमिनिस्ट्रेटटर अपने निर्णय में कंफर्म रहें। हां और ना की परिभाषा तय होनी चाहिए। उदण्ड छात्र भी अंदर से भावनात्मक रुप से कमजोर होते हैं। उनके नब्ज़ पर हाथ रखें। को- एडुकेशन वाले महौल में बच्चे को ऑपोजि़ट जेंडर के सामने न डांटे। अकेले में विश्वास में लेकर समझाएं।कोमल मन समझने को तैयार

कोमल मन समझने को तैयार है। अगर हम अपनी बातों को उनपर थोपना बंद कर दें। सम्मान के भूखे यदि बड़े हैं, तो बच्चे भी हैं।पूरे व्याख्यान में देशभर से आये लगभग 50 प्रतिभागी शामिल हुए।कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने विषय प्रवेश कराया। शिक्षक अजीत मुंडा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Posted By: Inextlive