रांची: सिनेमा हॉल को जिस तरह कम कैपासिटी के साथ खोलने का आदेश दिया गया है। उसी प्रकार कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालक भी चाहते है, उन्हें भी स्टूडेंट्स की कम संख्या के साथ कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति मिले। राजधानी रांची में लगभग सभी सेक्टर को खोल दिया गया है। लेकिन एजुकेशन सिस्टम को फिलहाल इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिला है। सिटी के कोचिंग संस्थान के संचालक चाहते हैं कि उन्हें भी रियायत के साथ इंस्टीट्यूट खोलने की अनुमति मिले। संस्थान के संचालकों का कहना है कि ऑनलाइन मोड में बच्चों की स्टडी सही नहीं हो पा रही है। सिर्फ 20 परसेंट स्टूडेंट्स ही ऑनलाइन सिस्टम से स्टडी कर पा रहे हैं। जबकि 80 परसेंट स्टूडेंट्स किसी न किसी कारण पढ़ाई से वंचित रह रहे हैं। एनआईबीएम के डायरेक्टर मनोज गुप्ता ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी में कनेक्टिविटी की समस्या हमेशा रहती है। कंपीटिशन की तैयारी करने वाले ज्यादातर युवा बाहर से आते हैं रांची में रहकर वे तैयारी करते हैं और परीक्षा में शामिल होते हैं। लेकिन पढ़ाई नहीं होने से उनकी तैयारी ठीक से नहीं हो पा रही है। जबकि कई प्रतियोगी परीक्षाओं के शेड्यूल होने शुरू हो गए हैं। ऐसे में बच्चों की तैयारी नहीं होगी तो वे एग्जाम भी ठीक से अटेंड नहीं कर पाएंगे। मनोज गुप्ता ने कहा कि जब सब कुछ रियायतों के साथ खोलने की अनुमति दी जा सकती है, तो फिर एजुकेशन सिस्टम भी ऑफलाइन किया जा सकता है।

स्कूल से कोचिंग में कम स्टूडेंट्स

एक स्कूल में हजारों स्टूडेंट्स पढ्ते हैं। इसलिए वहां कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है। लेकिन कोचिंग संस्थान में यह समस्या नहीं है। यहां हर क्लास में कम स्टूडेंट ही होते हैं। मनोज गुप्ता ने बताया कि क्लास में अधिकतम 50 स्टूडेंट्स ही होते हैं। लेकिन संक्रमण को देखते हुए इंस्टीट्यूट संचालक 50 फीसदी के साथ भी संस्थान खोलने को तैयार है। इसके अलावा संचालकों का कहना है कोरोना से बचाव की सभी गाइडलाइंस का भी पालन किया जाएगा।

15 महीने से बंद हैं कोचिंग सेंटर्स

संचालकों ने बताया कि बीते लगभग डेढ़ साल से कोचिंग संस्थान बंद हैं। फरवरी में एक महीने के लिए कोचिंग संस्थान खुले लेकिन फिर से कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सभी संस्थानों को बंद करने का आदेश दे दिया गया। लगभग 15 महीने कोचिंग संस्थान बंद रहने की वजह से इससे जुडे़ सभी शिक्षकों की इकनॉमिकल स्थिति बिगड़ने लगी है। संचालकों ने बताया कि कई शिक्षक ऐसे हैं जिनकी स्थिति दयनीय हो गई है। कोचिंग संचालक और इस पर निर्भर रहने वाले शिक्षक भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। उनके सामने विकट परिस्थिति पैदा हो गई है। कई सेंटर किराए के भवन में संचालित होते हैं। लेकिन संचालक किराया भी जमा नहीं कर पा रहे हैं। गली-मोहल्लों के कई कोचिंग सेंटर किराए नहीं देने के कारण बंद हो चुके हैं।

हम लोग सभी नॉ‌र्म्स का पालन करेंगे। सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार इंस्टीट्यूट ऑपरेट किया जाएगा। हम सभी को रियायत के साथ कोचिंग संस्थान खोलने की अनुमति दी जाए।

-सुनील जायसवाल, श्योर सक्सेस सेंटर

जब सिनेमा घर खोलने की परमिशन मिल सकती है, तो एजुकेशन सेंटर क्यों नहीं। कोचिंग सेंटर में स्कूल के मुकाबले कम स्टूडेंट्स होते हैं। उसमें भी हम लोग 50 परसेंट स्टूडेंट्स के साथ संचालन को तैयार हैं।

- मनोज गुप्ता, एनआईबीएम

कोचिंग सेंटर में सेनेटाइजेशन की व्यवस्था है, सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य सभी गाइडलाइंस के साथ क्लासेज करने को तैयार हैं। दूसरे सेक्टर की तरह हम सभी को भी रियायत के साथ कोचिंग सेंटर खोलने की अनुमति मिले।

- अजय कुमार, अल्पाइन

कोचिंग सेंटर में छोटे बच्चे नहीं पढ़ते हैं। ज्यादातर संस्थान में नौवीं से बारहवीं और

कंपीटिशन की तैयारी कराई जाती है, जिससे नियमों का पालन करने में परेशानी नहीं होगी। कोरोना प्रोटोकाल के साथ कोचिंग सेंटर खोलने की अनुमति मिले।

- चंदन कुमार, चंदन क्लासेस

कोचिंग बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ऑनलाइन क्लासेज में उस प्रभावी ढंग से डाउट क्लियर नहीं हो पाते, जैसे ऑफलाइन क्लासेज में होते हैं। जैसे 50 फीसदी क्षमता के साथ सिनेमा हॉल खोलने की अनुमति दी गई है, वैसे ही कोचिंग भी आधी क्षमता के साथ खोलने की इजाजत दी जानी चाहिए। इससे कोचिंग संस्थान भी चल सकेंगे और बच्चों को पढ़ाई में समस्या भी नहीं होगी।

अंदलीब शदानी, एडम कोचिंग, कांटाटोली

Posted By: Inextlive