रांची: जिस खाकी वर्दी को पहनकर कभी ड्यूटी की थी। ला एंड ऑर्डर सम्भाला, जरूरत पड़ने पर ट्रैफिक भी सम्भाला, आज उसी वर्दी को पहन शहर का चक्का जाम करना पड़ा। झारखंड में सहायक पुलिसकर्मियों ने आंदोलन तेज कर दिया। विभिन्न जिलों से पैदल रांची के मोरहाबादी मैदान में जुटे दो हजार सहायक पुलिसकर्मियों ने शनिवार को हक के लिए आर-पार का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इंसाफ मिलने तक वे आंदोलन करेंगे। राज्य के दूसरे हिस्सों से भी देर शाम तक सहायक पुलिस वाले रांची के मोरहाबादी मैदान पहुचते रहे।

स्थायी नियुक्ति की मांग

झारखंड में स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे 2000 सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन दिन ब दिन गति पकड़ता जा रहा है। विभिन्न जिलों से पैदल चलकर रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान पहुंचे आंदोलनकारियों ने शनिवार को आंदोलन की आगे की रणनीति बनाई। उनका कहना है कि हम अपने वाजिब हक के लिए आरपार की लड़ाई लड़ेंगे।

क्या है मामला

आज से 3 साल पहले झारखंड के ग्रामीण इलाके खासकर, वे इलाके जहां नक्सलियों का प्रभाव है वहां के बेरोजगार युवकों को 10 हजार के मानदेय पर पुलिस में सहायक पुलिसकर्मी के तौर पर बहाल किया गया था। उस समय उनसे कहा गया था कि उनकी ड्यूटी सिर्फ उनके थाने में होगी, लेकिन जब ड्यूटी देने की बारी आई तो नक्सल अभियान से लेकर ट्रैफिकड्यूटी तक सहायक पुलिस वालों से करवाई गई। बताया जा रहा है कि इसको भी उन्होंने बखूबी निभाया। दो साल के बाद जब उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुआ तब सरकार ने एक साल के लिए उनका कॉन्ट्रैक्ट यह कहते हुए बढ़ा दिया कि चौथे साल उनकी सीधी नियुक्ति झारखंड पुलिस में कर दी जाएगी।

भविष्य तय न किए जाने से नाराजगी

फिलहाल वर्तमान में सहायक पुलिस वालों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है। अब उनका भविष्य आगे क्या होगा, यह सरकार की तरफ से तय नहीं किया जा रहा है और अपनी इन्हीं मांगों को लेकर सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन कर रहे हैं।

शहर की ट्रैफिक रही डिस्टर्ब

सहायक पुलिसकर्मियों के इस आंदोलन से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त रही। लोगों को अपनी मंजिल तक पहुचने में घंटों लग गए। इस दौरान मरीजो और एम्बुलेंस को भी खासी दिक्कतें हुई। लोगों को काफी देर तक समझ में ही नहीं आया कि आखिर खाकी वर्दी पहने पुलिस वाले ही सड़क क्यों जाम कर रहे हैं।

सारे रूट पर थाने अलर्ट

इस दौरान पूरे शहर के जिन रूट से सहायक पुलिस के लोगों को आना था, उस सारे रूट पर सम्बंधित थानों को अलर्ट कर दिया गया था ताकि सड़क पर किसी तरह की समस्या खड़ी ना हो। पुलिस टीम दिनभर सड़क पर मुस्तैद रही, इस दौरान थानाप्रभारी और डीएसपी भी पेट्रोलिंग पर रहे। कोतवाली डीएसपी अजित विमल भी आंदोलन कर रहे सहायक पुकिसकर्मियों के बीच पहुंचे और उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया।

बढ़ाई गयी सुरक्षा व्यवस्था

सहायक पुलिसकर्मियों के मुख्यमंत्री आवास के घेराव को लेकर रांची में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है। चौक-चौराहों पर सुबह से थाना प्रभारी तैनात हैं। उन्हें रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है। सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि तीन साल तक दिन-रात सेवा देने के बाद भी जब सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर रही, तो ऐसी परिस्थितियों में वे लोग आंदोलन के लिए विवश हैं।

आंदोलन को लेकर सुरक्षा कड़ी

बता दें कि राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों से कुल 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की साल 2017 में नियुक्ति हुई थी। सरकार द्वारा 10 हजार मानदेय तय किया गया था। सहायक पुलिसकर्मी के पद पर बहाल हुए अभ्यर्थियों को तीन साल के बाद स्थायी करने की बात कही गई थी। हालांकि, 3 वर्ष पूरा होने के बाद भी किसी का स्थायीकरण नहीं किया गया है। यही वजह है कि राज्य भर के 2500 पुलिसकर्मी आंदोलन पर उतारू हैं।

5 साल के लिए हुई थी बहाली

मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017 में सहायक पुलिस की बहाली पहले दो साल के लिए की गई। इसके बाद जिले के एसपी या एसएसपी की अनुशंसा और डीआइजी के अनुमोदन के बाद एक-एक साल कर तीन साल तक उनकी सेवा अवधि बढ़ाई जा सकती है। पुलिस में बहाली के समय एक साल की बेहतर सेवा पर परीक्षा में दो परसेंट अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे। नियुक्ति के बाद सबसे पहले सहायक पुलिस को बिना हथियार के ट्रेनिंग दी गई थी। इसमें ट्रैफिक, बचाव कार्य, प्राथमिक उपचार संबंधी ट्रेनिंग शामिल थी। इसके बाद उन्हें ड्यूटी पर लगाया गया था। नियुक्ति के आधार पर भविष्य में स्थायी बहाली का दावा कोई भी अभ्यर्थी नहीं कर सकता है। इसके लिए संबंधित युवाओं से पहले ही शपथ पत्र ले लिया गया है। इन्हें मेडिक्लेम एवं दुर्घटना बीमा की सुविधा मिलेगी। काम के दौरान मौत होने पर आश्रित परिवार को गृह रक्षक के समान अनुग्रह अनुदान मिलेगा। लेकिन किसी आश्रित की नौकरी का दावा नहीं बनेगा। सहायक पुलिस को 10 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय के सिवा कोई भत्ता नहीं मिलता है।

Posted By: Inextlive