रांची: राजधानी रांची का बिरसा चौक दो दिनों से खबरों में बना हुआ है, जहां कांट्रैक्ट कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। वैसे तो ये कर्मी बीते महीने भर से भी अधिक समय से आंदोलनरत हैं। लेकिन शुक्रवार को लाठीचार्ज की वजह से बिरसा चौक सभी मीडिया चैनल और अखबारों में सुर्खियां बना हुआ है। लाठी चार्ज के बाद सभी कर्मचारी बिरसा चौक की सड़क पर ही बने हुए हैं। रांची की कंपकंपाती ठंड के बीच ये कर्मचारी पूरी रात सड़क पर ही रहे। शनिवार का पूरा दिन इन कर्मचारियों का सड़क पर ही बीता। ब्रेड, बादाम, बिस्किट खाकर सभी कर्मचारी अपनी डिमांड को लेकर डटे हुए हैं।

अब सरकार से ही लड़ाई

31 दिसंबर तक जो इंजीनियर कहलाते थे, उनकी नौकरी पर अब तलवार लटकी हुई है। बीते महीने तक जो युवा सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे, सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वे अब सरकार के साथ ही आरपार की लड़ाई के लिए मैदान में है। अपने कांट्रैक्ट पीरियड को बढ़ाने के लिए ये युवा दिसंबर से ही आंदोलन कर रहे हैं। हर बार सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, लेकिन इनकी मांगों पर ठोस पहल अबतक नहीं हो सकी, जिसके बाद शुक्रवार को सभी कर्मचारियों के सब्र का बांध टूटा और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकल पडे़। लेकिन पुलिस की लाठियों ने उन्हें आगे बढ़ने ही नहीं दिया।

घर की जिम्मेवारी कंधे पर

बेरोजगार हुए इन युवाओं में कई ऐसे भी हैं जिनपर घर की जिम्मेवारी है। नौकरी छूटने से अब उनपर भारी विपत्ति टूट पड़ी है। फैमिली संभालने से लेकर बच्चों की पढाई व घर के दूसरे खर्चो की वजह से युवाओं की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। युवाओं का कहना है कि चार साल की नौकरी के बाद अचानक बेरोजगार होने का दर्द झेलना पड़ रहा है। अब उम्र सीमा भी नहीं बची है कि नई नौकरी के लिए अप्लाई कर सकें। ऐसे में नौकरी में सेवा विस्तार ही अंतिम उम्मीद है। नहीं तो सभी युवा और उनका परिवार रोड पर आ जाएगा।

क्या कहते हैं आंदोलनकारी

हमलोगों ने सरकार के हर आदेश का पालन किया। सरकार ने जो जिम्मेवारी सौंपी उसे बिना इफ-बट के पूरा किया। यहां तक की कोरोना काल जैसी महामारी में भी ड्यूटी की। अब सरकार हम लोगों को बेरोजगार कर रही है। ऐसे में हम लोग कहां जाएंगे।

-पीयूष पांडेय

घर की जिम्मेवारी मुझ पर ही है। 31 दिसंबर से काफी डिप्रेशन में हूं। घर-परिवार की जिम्मेदारी और नौकरी जाने की तकलीफ जीने नहीं दे रही। सरकार से हाथ जोड़ कर विनम्र निवेदन है कि सरकार हम सभी की नौकरी को विस्तार दे।

- जितेंद्र

मेरे घर में कमाने वाला कोई नहीं है। किसी तरह काफी मुश्किल से संविदा पर नौकरी मिली थी। चार साल में घर की स्थिति सुधर ही रही थी कि अब फिर से बेरोजगार हो गई हूं, और फिर से उसी जगह पहुंच गई हूं, जहां से शुरुआत की थी।

-शीला

नौकरी जाने के बाद परेशानी बढ़ गई है। घर की जिम्मेवारी मेरे ही ऊपर है। पारिवारिक जिम्मेदारियां कैसे निभाऊंगी यह समझ नहीं आ रहा। वहीं सरकार भी नौकरी देने के बजाय यातनाएं दे रही हैं। सरकार से गुजारिश करती हूं कि हमारी मांगें मान ली जाए।

- नीतू

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युवाओं पर लाठीचार्ज शर्मनाक: दीपक प्रकाश

राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश बेरोजगार हुए 14वें वित्त कर्मियों से मिलने शनिवार को बिरसा चौक पहुंचे। उन्होंने सरकार द्वारा किए गए लाठी चार्ज को गलत ठहराया एवं युवाओं की मांग को सही कहा। दीपक प्रकाश ने शुक्रवार को हुए लाठी चार्ज को शर्मनाक घटना बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में एक भी नौकरी उपलब्ध नहीं करा पाई है। लेकिन रोजगार से जुडे़ युवाओं को बेरोजगार जरूर कर रही है। दीपक प्रकाश ने कहा कि केंद्र सरकार नरेंद्र सिंह तोमर का पत्र राज्य सरकार को मिल चुका है, इसमें स्पष्ट है कि संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को ही संविदा विस्तार देकर उनकी सेवा ली जाए। लेकिन हेमंत सोरेन सरकार पत्र को भी नजरअंदाज कर रही है।

Posted By: Inextlive