रांची: अगर आप दुर्गा पूजा में बाहर निकले हैं तो अपना कोविड टेस्ट भी करा लें। पूजा के दौरान कोरोना संक्रमण के नियंत्रण को लेकर जिला प्रशासन की ओर से दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों के आसपास कोविड-19 जांच की जाएगी। मोबाइल वैन के माध्यम से लोगों के सैंपल लिए जाएंगे। सिविल सर्जन द्वारा इसके लिए टीम भी बना ली गई है। पूजा समितियों से जुड़े लोग, आगंतुक और पूजा पंडालों से तय की गई निर्धारित दूरी पर ठेला लगाने वालों की जांच की जाएगी।

स्क्रीनिंग की होगी व्यवस्था

दुर्गा पूजा के दौरान लोगों की मेडिकल स्क्रीनिंग भी की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में भीड़भाड़ वाले इलाकों को चिन्हित कर मेडिकल स्क्रीनिंग टीम तैयार की गई है। कार्यपालक दंडाधिकारी समन्वय स्थापित कर मेडिकल स्क्रीनिंग के लिए योजना तैयार किये हैं।

बड़े पंडालों के पास होगी जांच

रांची के जो बडे़ पूजा पंडाल हैं वहां कोविड-19 टेस्ट के लिए वैन लगाई जाएगी। रांची के रातू रोड, बकरी बाजार, हरमू मैं जहां पंडाल बना हुआ है उससे कुछ दूरी पर कोविड-19 टेस्ट की वैन रहेगी। यहां एक्सपर्ट की टीम द्वारा लोगों का टेस्ट कराया जाएगा। खासकर जो लोग इन पूजा पंडाल के पास ठेला यह छोटी-मोटी दुकान लगाते हैं उनकी जांच करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जो लोग पूजा पंडाल के आसपास जाएंगे, उनकी जांच भी की जाएगी।

गाइडलाइन के अनुसार मूर्ति विसर्जन की करें व्यवस्था

रांची नगर निगम के नगर आयुक्त मुकेश कुमार के निर्देश पर उप नगर आयुक्त शंकर यादव ने अधिकारियों के साथ शहर का जायजा लिया। दुर्गा पूजा मंडप के आसपास की सफाई व पूजन उत्सव के बाद देवी-देवताओं की मूर्तियों के विसर्जन के लिए चयनित स्थलों पर निगम द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली जनसुविधाओं को लेकर निर्देश दिया। अधिकारियों ने शहर में दुर्गा के पूजा मंडपों का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने संबंधित जोनल सुपरवाइजर तथा मल्टीपरपज सुपरवाइजर को आवश्यक निर्देश दिए। साथ ही गाइडलाइंस के अनुसार, मूर्तियों के विसर्जन के लिए चयनित स्थल कांके डैम, बड़ा तालाब, चडरी तालाब, जेल तालाब, बटन तालाब, जगन्नाथपुर तालाब, दिव्यायन तालाब की व्यवस्था भी देखी। इस क्रम में मल्टीपरपज सुपरवाइजर एवं जोनल सुपरवाइजर को निर्देश दिया गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गाइडलाइंस के अनुसार मूर्तियों के विसर्जन के लिए जल स्रोत के एक कोने पर जल कुंड का निर्माण कराया जाए, जिसे लाल फीता व बांस से घेरने को कहा गया। वहीं मूर्तियों के विसर्जन के उपरांत 48 घंटे के अंदर अवशेष को जल स्त्रोतों से निकाला जाए। मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाले कृत्रिम आभूषणों को विसर्जन से पूर्व ही पूजा समितियों से आग्रह कर अलग पात्र में इकट्ठा किया जाए ताकि जल स्रोतों को प्रदूषण मुक्त रखा जा सके।

Posted By: Inextlive