रांची: राजधानी रांची सहित पूरे राज्य में कोरोना संक्रमितों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की खोज की जा रही है, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली है। वहीं, कोरोना पर काबू पाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी से देश में इलाज सफल हुआ है। ऐसे में झारखंड सरकार अब कोरोना के गंभीर मामलों से निपटने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का सहारा लेगी। इसके लिए प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज रिम्स को चुना गया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने बताया कि रिम्स की ओर से रिपोर्ट मांगी गई था जो रिम्स ने सौंप दी है। अब एक सप्ताह के अंदर सारी तैयारी पूरी करके रिम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 का इलाज शुरू कर दिया जाएगा।

आईसीएमआर से मिला अप्रूवल

आईसीएमआर ने राज्य के रिम्स को प्लाज्मा ट्रांसप्लांट के लिए अप्रूवल दे दिया है। प्लाज्मा डोनेशन होने के बाद, प्लाज्मा थेरेपी से कोविड मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी। रिम्स प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट सौंपी गई है। स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी के अनुसार, विभाग जल्द से जल्द प्लाज्मा थेरेपी से इलाज चालू करना चाहता है। इसको लेकर रिम्स से रिपोर्ट मांगी गई थी। रिम्स ने अपनी तत्परता को लेकर रिपोर्ट सौंप दी है। जल्द ही इसे चालू करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा।

कंसनट्रेशन 1:640 जरूरी

प्लाज्मा डोनेशन ब्लड डोनेशन की तरह ही सामान्य प्रक्रिया है। इसमें डोनर ब्लड डोनेट करता है जिसके बाद ब्लड बैंक प्रॉसेस करके प्लाज्मा कंपोनेंट को निकालता है। प्लाज्मा डोनेट करने के लिए ठीक हुए मरीजों से 30 दिनों के अंदर प्लाज्मा डोनेट करा लिया जाना चाहिए। प्लाज्मा डोनेशन के लिए एंटीबॉडी का कंसनट्रेशन 1:640 होना चाहिए। डोनर को किसी अन्य तरह के संक्रमण वाले रोग नहीं होने चाहिए।

पीएसएम विभाग में प्लाज्मा की जांच

प्लाज्मा डोनेशन के लिए कोरोना से ठीक हुए मरीजों से रिम्स का पीएसएम विभाग संपर्क और काउंसेलिंग करेगा। ताकि वे प्लाज्मा डोनेट करें। उसके बाद मरीजों से संपर्क कर प्लाज्मा लिया जाएगा। प्लाज्मा लेने के बाद बॉयोकेमिस्ट्री विभाग में प्लाज्मा की जांच की जाएगी। रिम्स के पास कोविड से ठीक हुए मरीजों की पूरी लिस्ट है, जिससे ठीक हुए मरीजों से संपर्क कर पाना और सहमति लेना आसान होगा।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी में ऐसे लोगों से रक्त लिया जाएगा जो कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। कोरोना से ठीक हुए उन्हीं लोगों का सैंपल लिया जाएगा, जिन्हें हाइपरटेंशन, मधुमेह समेत अन्य कोई बीमारी नहीं होगी। एक व्यक्ति से 300 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाएगा। ऐसे व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा लेकर नए मरीज को देने पर डोनर के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को न्यूट्रलाइज कर देगा। इस विधि में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त मशीन से डोनर के शरीर में मौजूद खून से प्लाज्मा बाहर आता है और रेड ब्लड सेल (आरबीसी) व व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) मरीज के शरीर में वापस चले जाते हैं, जिसे प्लाज्मा फेरेसिस कहा जाता है।

कारगर है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी को पहले भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 2002 में सार्स वायरस से निपटने व 2009 में एच1एन1 इन्फेक्शन रोकने और 2014 में इबोला जैसे खतरनाक वायरस को मिटाने के लिए भी किया जा चुका है।

ये होंगे लाभ

प्लाज्मा थेरेपी कराने का उद्देश्य रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। थेरेपी के बाद संक्रमित की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है जिससे ठीक होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

वर्जन

रिम्स में अगले सप्ताह से प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज शुरू हो जाएगा। रिम्स की ओर से रिपोर्ट भेज दी गई है। अब सभी तैयारियों और प्रोटोकॉल को पूरा करते हुए अगले सप्ताह से इलाज शुरू होगा।

-डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, सचिव स्वास्थ्य विभाग, झारखंड

Posted By: Inextlive