कोरोना तीन दिन में हाफ, पांच दिन में साफ
रांची में पिछले 5 दिनों से कोविड-19 पॉजिटिव होने वाले मरीजों की संख्या स्थिर बनी हुई है. लगातार 1200 से 1500 के बीच नए संक्रमितों की पहचान हो रही है. नये संक्रमितों की संख्या स्थिर बनी हुई है जबकि स्वस्थ होनेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. राजधानी में कोविड की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने बहुत कहर मचाया था. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण लोगों में ज्यादा कहर नहीं बरपा रहा है. जो लोग संक्रमित हो रहे हैैं उनमें से ज्यादातर तीन दिनों के भीतर ही ठीक हो जा रहे हैैं जबकि पांच दिनों के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है. अहम यह है कि अधिकतर संक्रमित घर पर ही इलाज कराकर ठीक हो रहे हैैं. बेहद कम लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.
रांची (ब्यूरो)। राज्य में कोरोना का यह तीसरा दौर चल रहा है। इस दौरान रांची और पूर्वी सिंहभूम ही हॉट स्पॉट बनकर उभरे हैं। यहां लगातार संक्रमित बढ़े और रोजाना संक्रमित होनेवालों की संख्या चार अंकों तक पहुंच गयी। लेकिन पिछले चार दिनों से इन दो जिलों में भी नये संक्रमितों की संख्या लगभग स्थिर बनी हुई है। रांची जिले में 10 जनवरी को 1,537 नये संक्रमित मिले थे और 841 संक्रमित ठीक हुए थे। 14 जनवरी तक नये संक्रमितों की संख्या 1,355 हो गयी और 1,001 ठीक हुए। पूर्वी सिंहभूम में 10 जनवरी को 923 नए मरीज मिले थे, जबकि 172 स्वस्थ हुए थे। 14 जनवरी को 472 नये संक्रमित मिले और 271 स्वस्थ हुए।चार जगहों से हो रही मॉनिटरिंग
कोरोना को लेकर जिला प्रशासन भी पहले से ही कई तरह की तैयारियों में जुट चुका था। प्रशासन की तैयारी का असर होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों में भी देखने को भी मिल रहा है। किसी भी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डीसी के कंट्रोल रूम, एसपी के कंट्रोल रूम और डॉक्टर का फोन मरीजों को दिन में दो बार आ रहा है। कई मरीज प्रशासन के बार-बार फोन आने से भी परेशान हैं, लेकिन डॉक्टरों और प्रशासन की टीम द्वारा मरीजों का हालचाल हर दिन लिया जा रहा है। इससे आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों का हौसला भी बढ़ा हुआ है कि प्रशासन उनके साथ है।अस्पताल में भर्ती मरीज घटेबेहतर होती स्थिति का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में शनिवार को भर्ती मरीजों की संख्या घटकर 77 तक आ गयी है। वहीं सदर अस्पताल में भर्ती संक्रमितों की संख्या 14 रह गयी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी ही स्थिति की जरूरत है। यह तभी संभव है, जब लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन सख्ती से करें। टीकाकरण की गति में बढ़ोत्तरी हो और कोरोना संक्रमण की जांच बढ़ायी जाये।घबराने की नहीं है जरूरत
रिम्स के पूर्व एचओडी डॉ जेके मित्रा बताते हैैं कि घबराने की जरूरत नहीं है। सोच-समझकर काम करने की जरूरत है। यदि किसी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण नजर आते हैं, लेकिन ज्यादा परेशानी नहीं है तो उसे तुरंत अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है। यदि हल्का फीवर है, शरीर में दर्द, सिरदर्द, खांसी, गले में दर्द है तो होम आइसोलेशन में इलाज संभव है। अगर एक-दो दिन बाद समस्या बढ़ती है, जैसे ऑक्सिजन लेवल कम होना, बुखार का कम ना होना तो उस स्थिति में अस्पताल जाने की जरूरत है। एक बात ध्यान रखने की जरूरत है कि बेवजह दवाएं ना खाएं और डॉक्टर की सलाह के बिना दवा ना लें। इससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। यदि 102 तक फीवर रहता है तो पैरासिटामोल से घर पर ही ट्रीटमेंट दिया जा सकता है। अगर खांसी कुछ दिनों तक रहती है तो स्टीम, गरारे आदि से इलाज कर सकते हैं, लेकिन अगर लगे कि समस्या कम होने की बजाय बढ़ रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर से बात करने की जरूरत है।