-जान से मारने की धमकी पर गंभीरता से नहीं लेती थानों की पुलिस

रांची : रांची के अलग-अलग थानों की पुलिस धमकी के मामलों में अनदेखी करती है, जिसका खामियाजा रह रह कर सामने आ रहा है। लोगों की जाने जा रही है। दरअसल, जान से मारने की धमकी को पुलिस का हल्के में लेना कई लोगों की जान आफत में डाल चुका है। कई अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। यही वजह है कि अब मुख्यालय स्तर से यह आदेश जारी किया गया है कि थाने में शिकायत दर्ज करने वाले हर व्यक्ति कि शिकायत को गंभीरता से लिया जाय ताकि उसके जानमाल की सुरक्षा की जा सके। रांची हो या झारखंड का कोई दूसरा शहर, थाने में हर महीने एक दर्जन से अधिक मामले ऐसे आते हैं जिनमें पीडि़त थाने में इस बात की शिकायत करता है कि उसे जान से मारने की धमकी दी गई है।

अधिकतर मामलों में कार्रवाई नहीं

आवेदन देने के बाद अधिकांश मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, जिसका नतीजा यह होता है कि कई मामलों में शिकायत करने वाले लोगों की जान चली जाती है। आंकड़ों के अनुसार जान का खतरा बताकर हर महीने लगभग एक दर्जन से अधिक मामले अलग-अलग थानों में दर्ज किए जाते हैं। खासकर वैसे थाने जहां जमीन विवाद के मामले सबसे ज्यादा आते हैं वहां इस तरह के मामले अधिक दर्ज किए जाते हैं।

दो हत्याकांड हैं हाल के उदाहरण

हाल के दिनों में राजधानी में दो ऐसे बड़े मामले उदाहरण के रूप में सामने आए हैं। रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मनोज झा की 26 जुलाई को दिनदहाड़े तमाड़ में अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मनोज झा ने अपने जान पर खतरा बताते हुए थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी लेकिन पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया और दिनदहाड़े मनोज झा की हत्या कर दी गई। वही 14 जुलाई को दिनदहाड़े राजधानी के भीड़भाड़ वाले इलाके में जमीन कारोबारी अल्ताफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अल्ताफ ने भी अपनी जान पर खतरा बताते हुए डोरंडा थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिनमें पुलिस की लापरवाही की वजह से लोगों को जान गंवानी पड़ी या फिर उन्हें मारपीट के दौरान घायल होकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। वकील मनोज झा और अल्ताफ हत्याकांड को लेकर पुलिस की हर जगह खूब फजीहत भी हुई।

Posted By: Inextlive