RANCHI: आए दिन यह सुनने को मिलता है कि किसी बच्चे के साथ अनैतिक कर्म हो गया, जिसमें ज्यादती करने वाले अपने घर के ही लोग होते हैं। कभी-कभी तो करीबी रिश्तेदार और यहां तक की खून का रिश्ता रखने वाले भी बच्चों का यौन शोषण करते हैं। रांची के अधिकतर लोग यह मानते हैं कि बच्चों के साथ यौन शोषण करने वाले ज्यादातर परिचित ही होते हैं। अपरिचित यानी अजनबियों के द्वारा यौन शोषण कम ही किया जाता है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट, रेडियो सिटी और परवरिश संस्था की ओर से कराए गए सर्वे में सिटी के 69 फीसदी लोगों ने माना कि बच्चों के यौन शोषण के लिए उनके करीबी ही जिम्मेवार होते हैं यानी जान-पहचान वाले ही ज्यादातर यौन शोषण करते हैं। वहीं 31 फीसदी लोगों का मानना है कि अजनबी भी बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं।

महिला-पुरुष की राय एक जैसी

इस सर्वे के विभिन्न सवालों में यह भी शामिल था कि बच्चों का यौन शोषण करने वाले कौन होते हैं, परिचित या अजनबी? इस मामले में महिला और पुरुष दोनों ही वर्गो के विचारों में समानता देखने को मिली। 70 फीसदी पुरुष परिचित को यौन शोषण करने वाला मानते हैं, तो वहीं 67 फीसदी महिलाएं भी ऐसा ही मानती हैं। यानी समाज का हर वर्ग यही मानता है कि बच्चों को सेक्सुअली एब्यूज करने वाले घर पर ही मौजूद हैं। वहीं 30 फीसदी पुरुष और 33 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि बाहर के लोग यानी अपरिचित या अजनबी भी बच्चों का यौन शोषण करते हैं।

बच्चों के आसपास के माहौल की केयर करें पेरेंट्स

पहले की तुलना में आज की लाइफस्टाइल में काफी चेंज आ चुका है। जेनरेशन गैप के कारण आए इस बदलाव को देखते हुए आज लोगों को अपने बच्चों से ज्यादा ही कनेक्ट और अवेयर होने की बहुत जरूरत है। कनेक्शन ऐसा होना चाहिए, जिसमें पेरेंट्स न सिर्फ अपने बच्चों के लिए सेफ स्पेस बन सकें, बल्कि उन बच्चों की सोर्स ऑफ इनफॉर्मेशन और उनकी क्यूरोसिटी की दुनिया भी पेरेंट्स ही इर्द-गिर्द हो। बच्चों को सेक्सुअल अब्यूज से बचाना और उन्हें इससे सचेत करना भी आज के पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वो बच्चों को उनके आसपास के माहौल से परिचित कराएं। उन्हें बताएं कि जिस दुनिया में वो जी रहे हैं, वहां क्या हो रहा है और कैसे-कैसे लोग हैं। चाइल्ड सेक्स अब्यूज पर बात करते समय उन्हें यह हकीकत भी अहसास कराना होगा कि वो ये न सोचें कि अनजान ही उन्हें नुकसान पहुंचा सकता हैं, क्योंकि चाइल्ड सेक्स अब्यूज के 94 परसेंट केस में परिचितों ने ही बच्चों को नुकसान पहुंचाया है।

लड़कों को भी अवेयर करें

पेरेंट्स को चाहिए कि लड़कियों को ही नहीं, लड़कों को भी इस बारे में सचेत करें, क्योंकि लड़कियों से ज्यादा लड़के सेक्सुअल अब्यूज का शिकार हो चुके हैं। बच्चों को भी यह भी बताना होगा कि सेक्सुअल अब्यूज सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी कर सकती हैं। हालांकि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट, रेडियो सिटी और परवरिश के सर्वे में तो आधे लोगों को यह तक नहीं पता था कि महिलाएं भी यौन उत्पीड़न कर सकती हैं। बच्चों के आसपास के माहौल को लेकर पेरेंट्स को व्यापक रूप से सतर्क होने की जरूरत है।

स्ट्रेस से बचाना भी है जिम्मेवारी

चाइल्ड सेक्स अब्यूज को ही केवल फोकस न करें, बल्कि बचपन में बच्चे कई और तरह के माहौल और मनोदशा से होकर गुजरते हैं। उन्हें करियर की चिंता होने लगती है, फिजिकल चेंज होने लगता है। एजुकेशन का प्रेशर होता है, जिस कारण वो अक्सर मेंटल स्ट्रेस में आ जाते हैं और अपने आसपास के माहौल पर ध्यान नहीं दे पाते। इसलिए यह जिम्मेदारी पेरेंट्स की ही बन जाती है कि वो बच्चों के आसपास के माहौल पर नजर रखें।

जीजा ने ही तोड़ा भरोसा, किया यौन शोषण

एक पीडि़ता की आपबीती

गरीबी के कारण मेरे घर पर खाने के लाले थे। मैं अपने घर की गरीबी दूर करना चाहती थी। रांची में मुझे कोई ढंग का काम नहीं मिल रहा था। ऐसे में मेरी बहन ने ही मुझे दिल्ली जाकर मेड का काम करने की सलाह दी। उसके कहने पर मैं दिल्ली चली गई। वहां मेरी जिंदगी नर्क बनकर रह गई। मेरे जीजा ने ही मेरे साथ गलत काम करना शुरू कर दिया। विरोध करने पर धमकी दी जाती थी कि मार डालूंगा। घर की चारदीवारी के भीतर रहकर मुझे काम करना पड़ता था और हर रोज मेरे अपने रिश्तेदार के द्वारा ही मेरी इज्जत से खेला जाता था। इसकी जानकारी एक संस्था को मिली, तो उन्होंने मुझे और मुझ जैसी अन्य सात नाबालिग लड़कियों को पिछले साल जून के महीने में दिल्ली से रांची लाने में बड़ी भूमिका अदा की। रांची आने बाद भी कई दिनों तक मैं मानसिक रूप से अशांत रही। हर रोज मुझे वही सब याद आता था, जो मेरे साथ महीनों तक होता रहा। बाल कल्याण समिति ने हमारी मदद की और अब मैं रांची में ही रहकर किसी प्रकार अपना गुजारा कर रही हूं। मेरे लिए वो खौफनाक नौ महीने काफी भारी थे। मैं चाहती हूं कि मुझ जैसी लड़कियों को अपने शहर में ही ऐसा कोई रोजगार मिले, जिससे हमें दूसरे शहर जाना न पड़े। किसी अजनबी ने मेरे साथ गलत किया होता, तो मुझे उतनी तकलीफ नहीं होती, जितना मुझे अपनों के द्वारा मिली यातना से हुआ है।

सुमन कुमारी (नाम परिवर्तित)

Posted By: Inextlive