रांची: बच्चों के साथ हैवानियत करने वाले लोगों को कई बार यह समझा जाता है कि वे लोग मानसिक रूप से बीमार हैं, मेंटल डिसआर्डर के शिकार हैं। साथ ही उनका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है। इस संबंध में जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने लोगों से सवाल पूछे तो बड़ी संख्या में महिलाओं ने दावा किया कि बच्चों के साथ यह घिनौना कृत्य करने वाले लोग पूरी तरह संतुलित होते हैं। आंकड़ों की मानें तो करीब 76 परसेंट महिलाओं का कहना है कि ऐसे आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए क्योंकि ये लोग कोई मानसिक रोगी नहीं होते। ये पूरी तरह योजना बनाकर इस तरह के कुकृत्य को अंजाम देते हैं। सर्वे में 63 परसेंट लोगों ने कहा कि स्वस्थ और संतुलित लोगों द्वारा बाल शोषण किया जाता है, जबकि महज 37 परसेंट लोगों ने माना कि ऐसा काम करने वाले जरूर मेंटल डिसआर्डर के शिकार हो सकते हैं। यानी पूरे होश-ओ-हवास में बच्चों का शोषण किया जा रहा है।

प्लानिंग कर घटना को अंजाम

सर्वे के दौरान महिला-पुरुष दोनों का ही कहना है कि ऐसे कांड को प्लानिंग के बाद ही अंजाम दिया जाता है। किसी भी तरह के मामले में देखा जाता है कि बच्चों को किसी शंात स्थान पर ले जाया जाता है या उन्हें जबरदस्ती का सामना करना पड़ता है। जो लोग मेंटल डिसआर्डर के शिकार होंगे वो इतनी प्लानिंग प्लाटिंग नहीं कर सकते हैं।

जिसे फैमिली मेंबर का दर्जा दिया, उसे ने कुकृत्य किया

-आपबीती

मेरी नतिनी के साथ जो कुकृत्य किया गया है, उसकी जितनी सजा दी जाए कम ही होगी। मेरे साथ काम करने वाला रामकुमार ही रावण निकलेगा, मैंने यह कभी सोचा नहीं था। मैंने उसे हमेशा घर में अपने परिवार के सदस्य का दर्जा दिया, वह जब जी चाहे घर आता, खाना खाता, बच्चों के लिए चाकलेट मिठाई लाता लेकिन एक दिन वह ऐसा कांड कर देगा, यह हमलोगों ने सोचा नहीं था। रामकुमार मेरी नतिनी को अपने साथ सुखदेवनगर इलाके के विद्यानगर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर डाली। उसे सिगरेट से दागा, हैवानियत की हद कर दी। उस समय पुलिस के जवान भी लाश को देखकर सकते में आ गए थे। वह गिरफ्तार तो हुआ है लेकिन मुझे और मेरे परिवार को उसकी फांसी का इंतजार है।

Posted By: Inextlive