रांची: राजधानी रांची के पुलिस स्टेशनों की हालत दयनीय है। जर्जर बिल्डिंग में थाना संचालित किया जा रहा है। कुछ थानों को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन अब भी कई ऐसे पुलिस स्टेशन और टीओपी हैं, जो काफी दयनीय स्थिति में हैं। पुलिस स्टेशन से ज्यादा खराब हालत टीओपी की है। थाने हुए बेगाने अभियान के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अबतक थानों के भवन और महिला टॉयलेट की हालत को सामने रखा है। अभियान के इस अंक में थानों में लावारिस पडे़ वाहनों पर ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा। सिटी के करीब सभी थानों में जब्त गाडि़या धूल फांक रही हैं। सालों से पडे़ रहने के कारण ये गाडि़या अब कबाड़ से भी बदतर हो चुकी हैं। लेकिन इन गाडि़यों का न तो ऑक्शन कराया जा रहा है और न ही थानों से गाड़ी को हटाने के दूसरे विकल्प पर कोई काम किया जा रहा है। नतीजन, गाडि़यों के लावारिस पडे़ रहने से थानों की तस्वीर भी बिगड़ रही है।

जैसे-तैसे पड़ी हैं गाडि़या

बीते कई सालों से जब्त गाडि़यों को न तो उनके मालिक लेने आए और न ही पुलिस विभाग की ओर से इसके ऑक्शन की व्यवस्था की गई है, जबकि समय पर इन वाहनों की नीलामी करने का नियम है। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सुखदेव नगर, चुटिया, सदर, कोतवाली, लोअर बाजार थाना समेत अन्य सभी थानों और टीओपी में बाइक से लेकर ऑटो, कार एवं बड़ी गाडि़यां भी लावारिस अवस्था में पड़ी हुई हैं। अलग-अलग थानों में पुलिस द्वारा जब्त गाडि़यां वर्षो से जंग खा रही हैं। इनकी सुध न तो जिला प्रशासन ले रहा है और न ही पुलिस महकमा। थानों में जब्त गाडि़यों को रखने की जगह नहीं है। जैसे-तैसे एक के ऊपर एक पड़ी हुई हैैं। थानों में सड़ रहे इन वाहनों को पुलिस ने आपराधिक वारदात, संपत्ति कुर्की, गाड़ी के कागजात नहीं होने और लावारिस अवस्था में जब्त किया है। अधिकतर वाहनों के चक्के, इंजन या फिर अन्य महत्वपूर्ण पुर्जे भी गायब हो गए हैं। साथ ही खुले आसमान के नीचे वाहनों के रखे जाने की वजह से कई वाहन के तो ढांचे ही शेष बचे हैं।

रख-रखाव की सुविधा नहीं

पुलिस की ओर से जब्त वाहन थाना परिसर में लावारिस पड़े हैं। इन वाहनों के रख-रखाव की कोई सुविधा नहीं है। जब्ती के दौरान वाहन की जो कीमत होती है नीलामी के दौरान उसका 10 प्रतिशत भी पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है। पुलिस की ओर से बरामद वाहनों का लंबे समय से निस्तारण नहीं होने से सिटी के थाने का एक हिस्सा कबाड़खाना बन चुका है। पुलिस की ओर से छोटी-मोटी दुर्घटना या अन्य मामले में वाहन को जब्त करने के बाद थाने में खड़ा कर दिया जाता है। कई लोग अपनी गाड़ी लेने ही नहीं आते। चोरी होने वाले वाहनों की बीमा रहने से गाड़ी ओनर कंपनी से क्लेम की राशि उठा लेते हैं और जब्त वाहन को छुड़वाने नहीं आते हैं। इससे जब्त वाहनों की तादाद दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

यह है नियम

नियम के अनुसार, लावारिस व जब्त वाहनों का छह महीने के अंदर ही निस्तारण कर देना है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत रिकॉर्ड में लेती है। बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चस्पा कर उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है, ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके। लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन का निस्तारण करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाएं। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें काफी समय लगता है।

Posted By: Inextlive