RANCHI: राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है। प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बार-बार आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन जेटेट पास अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति नहीं की जा रही है। लगातार जेटेट पास अभ्यर्थियों के द्वारा आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन बार-बार कोई न कोई पेंच फंसा दिया जा रहा है। टीचर्स डे के मौके पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से इस मुद्दे पर 'रांची कॉलिंग' के तहत एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें 2016 में ही जेटेट पास कर चुके अभ्यर्थियों ने शामिल होकर अपनी बात रखी। अभ्यर्थियों का दावा है कि सत्ता पक्ष के करीब 40 विधायकों ने लिखित समर्थन दिया है, जिसमें उन्होंने सीधी नियुक्ति की मांग का समर्थन किया है। यहां प्रस्तुत है वेबिनार में शामिल अभ्यर्थियों की बात:

आखिर झारखंड में ही दोरंगी नीति क्यों

संगठन से जुड़े कार्यकारी अध्यक्ष मुरारी कुमार दास का कहना है कि झारखंड में दोरंगी नीति क्यों अपनाई जा रही है। जब टीचर ट्रेनिंग की परीक्षा पास करने के बाद जेटेट की भी परीक्षा अभ्यर्थियों ने पास कर ली है, तो अब अलग से एग्जाम लेने की बात कहां से आती है? राजस्थान, बिहार, यूपी समेत अन्य सभी राज्य में एक ही एग्जाम यानी टेट पास होने के बाद सीधी नियुक्ति का प्रावधान है, तो झारखंड में इससे अलग प्रावधान किस आधार पर किया जा रहा है। नियुक्ति नियमावली को बिल्कुल सरल बनाना चाहिए। अगर कोई अधिकारी दो बार एग्जाम लेने की बात कहते हैं, तो उनसे यह जानना चाहेंगे कि क्या एक बार आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें दोबारा आईएएस का एग्जाम देने को कहा जाए, तो क्या वे दूसरी बार भी परीक्षा पास कर लेंगे? संगठन यही चाहता है कि मंत्री भी अधिकारियों के फेर में न पड़ें और तत्काल उन्हें निर्देश दें कि 2016 जेटेट पास अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति की जाए।

बार-बार लटकाया जा रहा है मामला

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष परिमल कुमार ने कहा कि जेटेट एग्जाम होने के बाद दूसरी परीक्षा का सवाल ही कहां से उठता है। झारखंड में 2013 में पहली बार टेट परीक्षा हुई थी। इसके बाद 2016 में हुई। 2013 में जिन अभ्यर्थियों ने जेटेट की परीक्षा पास की, उनकी सीधी नियुक्ति हो गई। जिस प्रोसेस से 2013 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई, उसी प्रोसेस से 2016 वालों की भी सीधी नियुक्ति होनी चाहिए। यह काम 5 साल पहले ही हो जाना चाहिए था। लगातार इस मामले को लटकाया जा रहा है, जिससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली का ही परिणाम है कि आज तक जितनी नियुक्ति हुई है, उन सभी के मामले अदालत तक पहुंचे हैं। अब अगर नियमावली में बदलाव कर फिर से परीक्षा लेने की बात की जाती है, निश्चित रूप से पीडि़त न्यायालय जाएंगे।

सुझाव मानकर सीधी नियुक्ति करें

सक्रिय सदस्य अफरोज आलम ने कहा कि पिछले साल आंदोलन किया गया और मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव से बातचीत हुई थी। मुख्य सचिव ने साफ कहा था कि इनकी मांग जायज है, तो आप नियुक्ति नियमावली को क्यों बदल रहे हैं। अगर नियमावली में बदलाव करना है तो नई नियुक्ति के लिए बदलाव किया जाना चाहिए। शिक्षा सचिव ने तब कहा था कि सीबीएसई और जैक बोर्ड वालों के मा‌र्क्स में अंतर आ रहा था। इस पर हमारी ओर से यह सुझाव दिया गया था कि टीचिंग से रिलेटेड कोर्स यानी टीचर ट्रेनिंग और टेट के मा‌र्क्स से ही मेरिट लिस्ट बना दीजिए। तब शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने कहा था कि यह सुझाव सही है। कुछ दिनों बाद फिर राहुल शर्मा से मुलाकात हुई, तो उन्होंने राजस्थान की नियमावली देखी थी। इसके बाद नीचे के अधिकारियों ने नियमावली बनाने में अजीबो-गरीब राय दे दी। इसके बाद हम लोगों से ऑनलाइन राय लेने की बात कही गई थी, जो आज तक नहीं ली गई। हमारे पास इस बात के प्रमाण हैं कि झारखंड के सत्ता पक्ष के 40 विधायकों का इस मामले में समर्थन प्राप्त है।

नियुक्ति वर्ष को सफल करे सरकार

संगठन के सक्रिय सदस्य राजीव कुमार ने बताया कि अधिकारी नियमावली के नाम पर इस मामले को बार-बार उलझा रहे हैं। जब किसी राज्य में अलग से परीक्षा लेने का प्रावधान नहीं है, तो यहां किस आधार पर ऐसी बातें कही जा रही हैं। झारखंड सरकार ने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है, लेकिन आज तक केवल खिलाडि़यों को छोड़कर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। अगर सरकार वास्तव में अपनी घोषणा को धरातल पर उतारना चाहती है, तो उसे तत्काल शिक्षकों का मेरिट लिस्ट बनाकर तुरंत नियुक्ति करनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर बेरोजगारी बढ़ेगी और युवाओं में निराशा का भाव पनपेगा। जेटेट (2016) पास अभ्यर्थियों की एक ही मांग है, सीधी नियुक्ति। इस पर सरकार अमल करे।

Posted By: Inextlive