रांची: कोरोना के मामले भले ही अभी कम हो गए हों, लेकिन संक्रमण का खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में अहम यह है कि हम तीसरे वेव की आशंका को बहुत गंभीरता से लें और जहां तक हो सके सावधानी के साथ ही स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू करें। हालांकि, अभी तत्काल ऑफलाइन पढ़ाई शुरू करने का वक्त नहीं है, लेकिन सरकार के गाइडलाइंस का पूरा पालन करते हुए स्कूल मैनेजमेंट को बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। उक्त विचार रांची के स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने रखे। मौका था 'दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट' की ओर से रांची कॉलिंग के तहत राउंड टेबल मीट वेबिनार का। रविवार को रांची के तीन स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने इस वेबिनार में शिरकत की और अपने विचार रखे।

पहले स्वास्थ्य फिर शिक्षा जरूरी है

एसएस प्लस 2 हाई स्कूल चिलदाग के प्रिंसिपल अवनींद्र सिंह ने कहा कि पहले स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। उसके बाद शिक्षा जरूरी है। अभी थर्ड वेव आने की बात कही जा रही है, जिसमें सबसे अधिक खतरा बच्चों पर है। इसलिए कुछ दिन और सतर्क रहने की जरूरत है। वर्तमान में बच्चों के स्कूल खोलने की प्रक्रिया को थोड़ा और बढ़ाने की जरूरत है। जब सभी लोगों को वैक्सीन लग जाए, बच्चों को भी वैक्सीन लगे, उसके बाद स्कूल खोलने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। स्कूल खोलने से पहले सरकार के साथ-साथ बच्चों को और उनके पेरेंट्स को भी तैयार करना होगा, ताकि खतरा न हो। जरूरी नहीं है कि स्कूल में ही बच्चों पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। बाहर भी वे संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।

सीनियर क्लासेज पहले शुरू हो

विवेकानंद विद्या मंदिर की प्रिंसिपल डॉ किरण द्विवेदी ने कहा कि अभी तो स्थिति सामान्य नहीं है, लेकिन जब धीरे-धीरे चीजें पटरी पर लौट रही हैं तो बच्चों के लिए स्कूल भी जरूरी है। क्योंकि बच्चे व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर हो रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन हंड्रेड परसेंट नहीं सीख पा रहे हैं। इसलिए शुरुआत में सीनियर क्लास के बच्चे जो 11वीं 12वीं के हैं, उनके लिए स्कूल खोले जा सकते हैं। स्कूलों में बच्चों को सभी तरह की सुविधाएं दी जा सकती हैं। स्कूल में बच्चों को बैठाने के लिए क्लास रूम में एक लिमिटेशन तय किया जा सकता है। मास्क और सेनेटाइजर मैंडेटरी किया जा सकता है। लेकिन बच्चों को भी अवेयर रहना होगा, तभी हम लोग मिलकर इस लड़ाई को जीत सकते हैं। लेकिन छोटे क्लास के बच्चे जागरुक नहीं हैं इसलिए थोड़ी परेशानी है। अभी थर्ड वेव में बच्चों के लिए खतरा अधिक बताया जा रहा है, जूनियर बच्चों के लिए अभी स्कूल नहीं खोले जा सकते।

छोटे बच्चों को बुलाना ठीक नहीं

विकास विद्यालय के प्रिंसिपल पीएस कालरा बताते हैं कि बच्चों के लिए स्कूल खोलने की तैयारी इस बात पर निर्भर करती है कि हम कितने तैयार हैं। इसमें सरकार से लेकर स्कूल मैनेजमेंट, बच्चे और पेरेंट्स सभी शामिल हैं। अगर सभी का सहयोग मिले और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, नियमों को मानते हुए स्कूल आ सकते हैं तो स्कूल खोले जा सकते हैं। शहर के बच्चे थोड़े सतर्क रहते हैं। वे कोरोना को लेकर अवेयर भी हैं। लेकिन छोटे बच्चे जिनको समझ नहीं है, उनके लिए अभी स्कूल नहीं खोलने चाहिए।

ऑनलाइन पढ़ाई लंबे समय तक आसान नहीं

ऑनलाइन में जो बच्चे सिंसियर हैं जिनके पेरेंट्स थोड़े अवेयर हैं उनके बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन जो बच्चे बहुत अधिक चंचल हैं, जिनके पेरेंट्स ध्यान नहीं देते, वैसे बच्चे ऑनलाइन में बहुत अच्छा नहीं सीख पा रहे हैं। बहुत सारे स्कूल ऑनलाइन में वर्चुअल क्लास कंट्रोल कर रहे हैं, लेकिन कई स्कूल की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वहां के बच्चे वर्चुअल क्लास बहुत सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं, जो चिंता का विषय है।

डॉ किरण द्विवेदी

ऑनलाइन क्लासेज में बहुत सारे बच्चे अनुशासनहीनता करते हैं। यह अधिकतर स्कूलों से शिकायतें आ रही हैं। इसके लिए जरूरी है कि बेहतर फीचर वाले सॉफ्टवेयर से कंट्रोल्ड वे में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाए। मसलन, हर बच्चे को म्यूट करने और वीडियो कंट्रोल करने का पैनल टीचर्स के पास हो। हालांकि, यह भी बहुत लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता। अनुशासनहीनता न हो, इसके लिए पेरेंट्स को भी ध्यान देना होगा। बच्चों के साथ बातचीत करनी होगी।

पीएस कालरा

सरकारी स्कूल में अभी जो ऑनलाइन व्यवस्था से पढ़ाई की जा रही है, उसमें बहुत कम बच्चे इसका लाभ ले पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कुछ बच्चों के पास मोबाइल नहीं है। कुछ बच्चों के पास इंटरनेट नहीं है। कुछ बच्चों के घरों में बिजली नहीं है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को किताबों के साथ-साथ टैब भी दिया जाना, चाहिए ताकि जब ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था हो तो वह अच्छे से पढ़ सकें। इसके अलावा आउटर एरिया में सरकार की ओर से वाई-फाई जोन बनाने चाहिए।

अवनींद्र सिंह

Posted By: Inextlive