रांची में एक बार फिर से सीवरेज ड्रेनेज का काम शुरू होने वाला है. ऐसे में पिछले रिकार्ड को देखें तो एक बार फिर से सिटी के लोगों को गड्ढों की सौगात मिलने वाली है.


रांची(ब्यूरो)।राजधानी की सड़कें एक बार फिर खुदेंगी। सड़कों को खोदने की तैयारी नगर विकास विभाग कर चुका है। करीब एक साल पहले जिस काम को अधूरा छोड़ दिया गया था, उसे फिर से पूरा करने के नाम पर सिटी की सड़कों को खोदने का काम किया जाएगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं उसी सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की, जिसे बनाने की शुरुआत 14 साल पहले हुई थी, लेकिन आज तक यह काम पूरा नहीं हुआ। छह साल पहले जोन-1 में काम शुरू हुआ लेकिन वह भी करप्शन की भेंट चढ़ गया। जोन-1 का काम अब भी अधूरा है। जोन 2, 3 और 4 में काम शुरू कराने की तैयारी चल रही है। जोन-1 का भी अधूरा काम पूरा किया जाएगा। लेकिन इन सबमें शहरवासियों को फिर से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कई इलाकों में छह साल पहले सीवरेज के लिए कोई खोदी गई सड़क अबतक ठीक नहीं हो पाई है। इसके अलावा सड़क की हालत आज किसी से छिपी नहीं है। राजधानी की हर सड़क पर गड्ढे ही गढ्डे नजर आते हैं। सीवरेज का काम दोबारा शुरू होने से आवागमन में फिर से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। नए सिरे से होगा काम


विभाग ने नए सिरे से पूरे शहर में सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की तैयारी की है। नगर विकास विभाग के निर्देश पर जुडको ने सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट पर डीपीआर बनाने के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आने वाले दो से तीन महीने में काम शुरू होने की संभावना है। गौरतलब हो कि फस्र्ट फेज में जोन-1 के नौ वार्ड में अब भी 280 किमी ही सीवर लाइन बिछाने का काम अधूरा है। नौ वार्ड में करीब 40 परसेंट पाइपलाइन का काम हुआ था। लेकिन शहर की सूरत पूरी तरह बिगड़ गई थी। पिस्का मोड़, इंद्रपुरी इलाके की हालत काफी खराब थी। आम लोगों कीबार-बार शिकायत पर सड़क को दुरुस्त किया गया है, जिसे अब फिर से खोदने की तैयारी चल रही है। प्रोजेक्ट के तहत सभी जोन में सीवरेज-ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए जाने की योजना है। 14 साल पहले बनी योजना

2008 से रांची में सीवरेज ड्रेनेज बनाने की प्रक्रिया चल रही है। चार जोन में बांटकर इसकी डीपीआर तैयार की गई थी। लेकिन डीपीआर तैयार करने वाली कंपनी के खिलाफ ज्यादा पैसे लेने की बात सामने आई और मामला कोर्ट में चला गया जिससे यह प्रोजेक्ट वहीं रुक गया। 2013 में फिर से इस पर काम शुरू हुआ। करीब 359 करोड़ की लागत से जोन-1 के नौ वार्ड में सीवरलाइन बिछाने का रोडमैप तैयार हुआ। जिसका काम ज्योति बिल्डकॉन को दिया गया। लेकिन इस कंपनी पर भी बाद में करप्शन के आरोप लगे। बीच में काम रोक कर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई और एजेंसी को ब्लैकलिस्टेड किया गया। अब तक यह काम अधूरा है। इंजीनियरों की मानें तो चार साल में सिर्फ 37 परसेंट ही काम हुआ, जिस पर करीब 85 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। जबकि प्रोजेक्ट ही कुल 359 करोड़ का तैयार किया गया है। अब अधूरे प्रोजेक्ट का नए सिरे से काम कराने पर 350 करोड़ से अधिक खर्च होंगे, क्योंकि डीपीआर रिवाइज्ड होने से 100 करोड़ से अधिक की बढ़ोतरी का आकलन किया गया है। आधा-अधूरा कामछह साल पहले 2015 में जोन 1 का काम शुरू हुआ था, जिसके तहत वार्ड संख्या 1 से 5 और 30 से 33 के बजरा, पंडरा, पिस्कामोड़, बैंक कॉलोनी, रातू रोड, इन्द्रपुरी, अल्कापुरी, धोबी घाट, कांके रोड, मिसिर गोंदा, मोरहाबादी, बूटी बस्ती और बडगाईं के कुछ इलाकों में सीवर लाइन बिछाई गई है। लेकिन सीवर प्लांट का काम पूरा नहीं होने के कारण सीवर लाइन का कोई फायदा आम लोगों को नहीं मिला।

Posted By: Inextlive