- गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने से संबंधित दी जानकारी

रांची : राज्य सरकार ने डीजीपी नीरज सिन्हा को दो साल के लिए झारखंड पुलिस की कमान सौंप दी है। वे डीजीपी के पद पर 11 फरवरी 2023 तक बने रहेंगे। गृह विभाग ने शुक्रवार को इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए ऐसा किया गया है। झारखंड कैडर के 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी नीरज सिन्हा को झारखंड के डीजीपी के पद पर 11 फरवरी 2021 को पदस्थापित किया गया था। वे 31 जनवरी 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे। इस प्रकार अब उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद एक साल का एक्सटेंशन मिल गया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला

गृह विभाग से जारी अधिसूचना में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया है। प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य के मामले में दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को आदेश दिया था कि किसी भी राज्य के डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होगा। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग से एक इंपैनलमेंट समिति, जिन तीन आइपीएस अधिकारियों का नाम राज्य सरकार को भेजेगी, उन्हीं में से एक को डीजीपी बनाया जाएगा। चूंकि, आइपीएस अधिकारी नीरज सिन्हा का नाम इंपैनलमेंट समिति की अनुशंसा में था, इसके आधार पर ही उन्हें डीजीपी बनाया गया है।

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सामने आया था विवाद

वर्ष 2019 में यूपीएससी की इंपैनलमेंट समिति ने डीजीपी पद के लिए तीन अधिकारियों के नामों का चयन किया था। नाम चयन का आधार उनके पूरे कार्यकाल का रिकॉर्ड होता है। बेहतर छवि व बेहतर रिकॉर्ड रखने वाले के नाम का ही चयन होता है। यूपीएससी ने जिन तीन नामों का चयन किया था, उनमें वीएच राव देशमुख, कमल नयन चौबे व नीरज सिन्हा का नाम था। पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने 31 मई 2019 को तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय की सेवानिवत्ति के बाद कमल नयन चौबे को राज्य का नया डीजीपी बनाया था। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ और दिसंबर 2019 में राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनी। 15 मार्च 2020 को राज्य सरकार ने केएन चौबे को महज आठ महीने के भीतर ही हटाते हुए एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बना दिया था, जबकि नियमत: केएन चौबे का कार्यकाल 31 मई 2021 तक होता। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचा, जो अब तक लंबित है। एमवी राव को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने के बाद से ही उनके पदस्थापन पर विवाद था। यूपीएससी ने भी उनके पदस्थापन को नियम विरुद्ध घोषित कर दिया था। इसी बीच राज्य सरकार ने 12 मार्च 2021 को नीरज सिन्हा को स्थाई डीजीपी बनाकर सभी आरोप-प्रत्यारोप को समाप्त करने का प्रयास किया था, क्योंकि नीरज सिन्हा यूपीएसपी की इंपैनलमेंट समिति से चयनित थे।

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Posted By: Inextlive