शहर की खूबसूरती तभी झलकती है जब चौक-चौराहों को लोग चमकता-दमकता देखते हैैं. रांची में चौराहों की कोई कमी नहीं है लेकिन इनके रखरखाव से मुंह मोड़ चुके सरकारी अमले को शायद इस बात का अंदाजा ही नहीं कि बदरंग चौराहे सिटी की शान को ही झुठला रहे है.


रांची (ब्यूरो)। पिछले बीस सालों से रांची के विभिन्न चौक-चौराहों के सुंदरीकरण के लिए योजनाएं बन रही हैैं। कभी लाइटें लगाई जाती हैैं, तो कभी फव्वारे लगाए जाते हैैं। रांची नगर निगम को भी ठीक-ठीक जानकारी नहीं कि अब तक कितनी राशि इन चौराहों को संवारने में फूंक दी गई है, लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार अब तक 3.5 करोड़ रुपए ब्यूटीफिकेशन के नाम पर फूंके जा चुके हैैं। बावजूद इसके हालात कुछ ऐसे हैैं कि एक चौराहा तो किसी युद्ध में तबाह शहर की तस्वीर पेश कर रहा है। यह है किशोरी सिंह यादव चौका। इसके अलावा जो प्रमुख चौराहे हैैं, उनकी भी स्थिति दिन पर दिन खराब होती चली जा रही है। स्थिति ऐसी तब है जब पिछले साल ही रांची नगर निगम ने रमणीक रांची कैंपेन की शुरुआत की थी और सिटी को संवारने का जिम्मा उठाया था। तो इन चौराहों को देखकर लगता है कि क्या यही है रमणीक रांची। रांची में तीन साल पहले 15 चौराहों को चमकाने के लिए एक योजना तैयार की गई थी। लखनऊ और जयपुर की तर्ज पर चौराहों को विकसित किया जाना था। तब मेयर आशा लकड़ा ने केवल तीन चौराहों को ही सुंदर बनाने के लिए एक करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की थी। आज तक वह पैसे खर्च नहीं हुए। नतीजा यह है कि जिन चौराहों में पहले से फाउंटेन लगे थे, उन्होंने काम करना बंद कर दिया है। 2021 में बनी भी बनी योजनापिछले साल रांची नगर निगम ने चौराहों की सूरत बदलने की पहल की थी। सिटी के 15 चौक-चौराहों के ब्यूटिफिकेशन करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए टेंडर भी निकाला गया, लेकिन योजना निगम के शिथिल पड़ते ही ठंढे बस्ते में चली गई। चौक-चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए एनजीओ, पीएसयू को आमंत्रित किया गया था। जो कंपनियां चौराहों के ब्यूटिफिकेशन में योगदान देतीं, वे अपना विज्ञापन यहां कर सकती थीं। विभागों से तालमेल नहीं बनने के कारण इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। पिस्का मोड़ चौक, किशोरी यादव चौक, हिनू चौक, मेकन चौक, अंबेडकर चौक, सिरमटोली चौक, कर्बला चौक, दुर्गा सोरेन चौक, बूटी मोड़ चौक, जेल चौक, न्युक्लियस मॉल चौक, कचहरी चौक, राजभवन चौक, लालपुर चौक और डंगराटोली चौक का सौंदर्यीकरण किया जाना था।किशोरी यादव चौक
किशोरी यादव चौक सिटी के सबसे पुराने चौराहों में से एक है। स्वर्गीय किशोरी सिंह यादव के नाम पर इस चौराहे का नामकरण किया गया। चौराहे की वर्तमान तस्वीर काफी दयनीय है। इसके चारों ओर बाउंड्री की दीवार भी जमींदोज हो चुकी है। चौराहे पर न तो प्लांटेशन और न ही किसी दूसरे तरीके से इसे खूबसूरत बनाने का प्रयास किया गया। हालांकि, आठ साल पहले पांच लाख रुपए खर्च कर कुछ पौधे जरूर लगाए गए थे, लेकिन अब वे वहां नजर नहीं आते। राजधानी के चौराहों में सबसे बिजी चौराहा है किशोरी सिंह यादव चौक। चौराहे के आस-पास गंदगी का अंबार है। रही सही कसर ऑटो और बस ड्राइवर पूरी करते हंै। इस चौराहे के सुंदरीकरण के लिए कई प्रयास हुए, लेेकिन सभी प्रयास फाइलों में सिमट कर रह गया। कांटाटोली चौक


कांटाटोली चौराहा भी सबस व्यस्त और पुराने चौराहों में शामिल है। आज कांटाटोली चौक की बदहाली भी किसी से छिपी नहीं है। यहां बीते छह साल से फ्लाईओवर का निर्माण कराया जा रहा है। जहां सिर्फ आधा पिलर का ही निर्माण हो सका है। यही कारण है कि चौराहे की हालत दिनों-दिन बदहाल होती जा रही है। चौराहे से होकर नामकुम, बुटी मोड़, रेलवे स्टेशन और लालपुर की तरफ सड़क निकलती है। हर दिन यहां से सैकड़ों लोगों का आना-जाना रहता है। चौराहा दुरुस्त नहीं होने के कारण यहां हर रोज गाडिय़ां फंसती है। कई बार दुर्घटना भी हो जाता है। इस चौराहे पर जाम की भी बहुत बड़ी समस्या है। इसी समस्या को दूर करने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण शुरु हुआ था। लेकिन तीन साल से फ्लाईओवर का काम बंद है।

Posted By: Inextlive