सीआइपी शुरू कर रहा नया क्लिनिक होगा स्पेशल ट्रीटमेंट. ऑनलाइन स्टडी से बच्चों के मन व सेहत पर बुरा असर. साइकियाट्रिस्ट और स्पेशलिस्ट को बुलाकर बच्चों की होगी काउंसेलिंग.


रांची(ब्यूरो)। यदि आपके बच्चे भी मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। बच्चे ऑनलाइन क्लास के अलावा मोबाइल गेम भी खेल रहे हैं। आपके लाख समझाने के बावजूद बच्चे मानने को तैयार नहीं हैं। मोबाइल नहीं देने पर चिड़चिड़ा स्वभाव के होते जा रहे हैं, जिसको लेकर आप काफी चिंतित हैं तो अब आपकी यह चिंता दूर होने वाली है। जी हां, कांके स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री(सीआइपी)डिजिटल एडिक्शन से छुटकारा दिलाने वाला है। सीआइपी ने ऐसे बच्चों का स्पेशल ट्रीटमेंट करने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों द्वारा बच्चों और उनके माता-पिता की काउंसेलिंग कराकर बच्चों के व्यवहार में बदलाव लाते हुए उनका इलाज किया जाएगा। एक्सपर्ट टीम करेगी इलाज
बच्चे या बड़े किसी को भी इंटरनेट और ऑनलाइन वीडियो गेम खेलने की लत लग गई है तो इसके लिए सीआईपी (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री) की ओर से सेंटर फॉर एडिक्शन साइकियाट्री के तहत बिहेवियरल एडिक्शन के इलाज के लिए नया क्लिनिक शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस क्लिनिक में स्मार्ट फोन, इंटरनेट, वीडियो गेम खेलने की लत लग चुके मरीजों का इलाज मनोचिकित्सक करेंगे। बिहेवियरल एडिक्शन के अलावा नशा संबंधी कोई बीमारी, पुनरावर्ती व्यसनी व्यवहार को भी दूर किया जाएगा। इस क्लिनिक में मनोचिकित्सक, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकियाट्रिक सोशल वर्कर की एक स्पेशल टीम मौजूद होगी, जो मरीज को बेहतर से बेहतर मेडिकल फैसिलिटीज देने में मदद करेंगी। सीआईपी के मनोचिकित्सक डॉ सीआरजे खेस ने बताया कि टीम डिजिटल डेटोक्सिफिकेशन, व्यक्तिगत मनोचिकित्सा, पारिवारिक चिकित्सा सहित एक समग्र विषयों पर काउंसेलिंग कर उसका समाधान देगी। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री के इस क्लिनिक का लाभ लेने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। हर दिन सुबह 9 से शाम 4 बजे के बीच सीआइपी में या इसकी वेबसाइट सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री पर रजिस्टर्ड कराकर इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। बुधवार और शनिवार को मरीजों का ट्रीटमेंट किया जाएगा। क्या हो रही परेशानी


कोरोना संकट के दौरान ऑनलाइन स्टडी ही विद्यार्थियों की पढ़ाई का सहारा है। लेकिन इसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं। इसका सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों की आंखों पर पड़ा है। लगातार छोटे से स्क्रीन में टकटकी लगाकर देखने से आंखों की रौशनी खराब हुई है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अनिताभ कुमार बताते हैं कि हाल के दिनों में उनके पास बच्चों की आंख और सिरदर्द की शिकायत काफी ज्यादा आई है। इसके पीछे एक ही वजह है ऑनलाइन स्टडी और स्मार्ट फोन पर लगातार ऑनलाइन वीडियो गेम खेलना। डॉ अनिताभ बताते हैं कि बच्चों को मोबाइल फोन की आदत पड़ जाने और उन्हें मोबाइल फोन नहीं देने के कारण बच्चे चिड़चिड़े भी हो रहे हैं। बच्चे मोबाइल एडिक्शन डिसआर्डर का शिकार हो रहे हैं। पढ़ाई की जगह बच्चों का रुझान सोशल मीडिया और गेम खेलने की तरफ बढ़ गया है। इसके अलावा गलत रास्ते पर भी बच्चे बढ़ रहे हैं।

ऑनलाइन स्टडी से बच्चों के मानसिक और शारीरिक दोनों विकास पर असर पड़ रहा है। लगातार फोन यूज करने से बच्चे इसके एडिक्टेड हो रहे हैं। ऑनलाइन स्टडी हो या गेम दोनों में टकटकी लगाकर मोबाइल देखना पड़ता है जो आंखों के लिए सही नहीं है। जरूरत पर ही मोबाइल यूज करें। अन्यथा इससे बच्चों को दूर रखें। डॉ अनिताभ, चाइल्ड स्पेशलिस्ट

Posted By: Inextlive