कोकर स्थित डिस्टिलरी पुल के पास बना डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट अगले माह से खुल जाएगा.


रांची (ब्यूरो): रांची नगर निगम इसके संचालन के लिए बाजार खास को सौंप देगा। डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्के ट में 103 दुकानें बनाई गई हैं, जो कोकर के डिस्टिलरी पुल के पास सब्जी बेचनेवाले दुकानदरों को आवंटित की जाएगी। 2017 में शुरू हुआ था काम डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट बनाने में कुल 5 करोड़ स्पए खर्च किए गए हैं। यह राशि रिवाइज्ड है। इसके पूर्व मार्केट बनाने के लिए 3 करोड़ स्पए का बजट निर्धारित किया गया था, जिसे समय बढऩे के साथ ही रिवाइज्ड कर 5 करोड़ रुपए कर दिया गया। डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट को अवधेश सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बना रही है। इस मार्केट को बनाने का काम वर्ष 2017 में शुरू हुआ था।रैंप और पेंट का काम बाकी


डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट में केवल रैंप और पेंट कराने का काम बचा हुआ है। रैंप मार्केट के दोनों ओर बनाया जा रहा है, लेकिन एक साइड के रैंप की जमीन पर विवाद हो गया है और दूसरी साइड के रैंप की जमीन पर दावा करते हुए हाइकोर्ट में पीटिशन फाइल की गई है। इससे मार्केट के दूसरे तरफ के रैंप का मामला उलझ गया है और अदालत के आदेश आने तक उस रैंप को नहीं खोला जा सकता है। हांलाकि डिस्टिलरी पुल से सटे रैंप को लेकर कोई विवाद नहीं है, इसलिए इस रैंप को बनाकर मार्केट को हैंडओवर किया जाएगा। 2016 में हुआ था सर्वे डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट बनाने से पूर्व निगम की ओर से वर्ष 2016 में सर्वे कराया गया था। सर्वे में 300 स्थानीय दुकानदारों को चिन्हित किया गया था। कोकर में सब्जी और मीट-मछली की लगभग 300 दुकानें रोजाना लगती हैं, जबकि इसमें से 103 दुकानें ही आवंटित की जाएंगी, जिसमें से 103 दुकानें ही बनाई गई हैं जो दुकानदारों को आवंटित की जाएंगी। बालू के कारण हुई देरीवेजीटेबल मार्केट बनाने में बालू उपलब्ध नहीं होने की वजह से देरी हुई। मालूम हो कि राज्य भर में बालू की काफी समस्या है। सरकारी और निजी भवन निर्माण में बालू नहीं मिलने से निर्माण कंपनी और ठेकेदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।डिस्टिलरी वेजिटेबल मार्केट के हैंडओवर के समय में विवाद होना तय है। कोकर में 300 दुकानदार हैं, जबकि मार्केट में केवल 103 दुकानें ही बनाई गई हैं। ऐसे में जिन दुकानदारों को दुकान नहीं मिलेगी वे विरोध करेंगे। मार्केट की बिल्डिंग को लेकर मैंने निगम के बोर्ड की बैठक में मामले को उठाया था, लेकिन मेरी बातों को निगम ने नजरअंदाज कर दिया।

अर्जुन यादव, पार्षद, वार्ड नंबर-10

Posted By: Inextlive