सजने लगा बर्तन बाजार
RANCHI: धनतेरस को लेकर बाजार सज चुका है। एक तरफ जहां इलेक्ट्रॉनिक आईटम, सोना-चांदी के बाजार में रौनक दिखाई दे रही है वहीं बर्तनों का बाजार भी अब गुलजार होने लगा है। राजधानी में स्थित बर्तनों की दुकानों के मालिक दिन-रात छठ और दिवाली की डिमांड के अनुरूप दुकानों को सजाने में लगे हुए हैं। दुकानदारों को कहना है कि धनतेरस के दिन ज्यादातर स्टील के बर्तनों की डिमांड रहती है। पूजा या फिर सेहत को दुरुस्त रखने के लिए तांबे या कांसे के बर्तनों की बिक्री होती है।
कम हुई अल्युमिनियम की मांगबाजार में बीते पांच सालों में अल्युमिनियम के बर्तनों की मांग में काफी गिरावट आई है। दुकानदारों का कहना है कि पहले धनतेरस में बर्तनों का क्रेज हुआ करता था। वो बाजार अब इलेक्ट्रॉनिक मार्केट की तरफ रुख कर चुका है। इस वजह से अब धनतेरस में लोग अल्युमिनियम के बर्तनों को काफी कम खरीदते हैं। बर्तनों की श्रृंखला में सिर्फ कांसे, तांबे, पीतल या फिर स्टील के बर्तनों की ही बिक्री होती है।
पूजा के लिए ट्रेडिशनल बर्तनधनतेरस में धातुओं की खरीद को शुभ माना जाता है। चाहे वो पीतल, कांसा या फिर तांबे के बर्तन ही क्यों न हों। इन धातुओं के बर्तन खरीदने के पीछे दूसरी सबसे बड़ी वजह ये भी है कि तांबे के बर्तन में भोजन करने से कई बीमारियां भी दूर होती हैं।
क्या है कीमत कांसा के बर्तन: 700 से 1100 रुपए प्रति किलो पीतल: 550 रुपए प्रति किलो से शुरू अल्युमिनियम: 190 रुपए प्रति किलो से शुरू स्टील: 230 रुपए प्रति किलो तांबा: 540 रुपए प्रति किलो वर्जन दिवाली या धनतेरस या फिर छठ। इन दिनों ज्यादातर ट्रेडिशनल बर्तनों की ही बिक्री होती है। अब पहले जैसी बात बाजार में नहीं रही। धनतेरस का बाजार ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक बाजार और सोना-चांदी बाजार का रुख कर चुका है। अब सिर्फ पूजा या अन्य किसी खास परंपराओं के निर्वहन के लिए ही बर्तनों को खरीदा जाता है। - संजय, बर्तन विक्रेता धनतेरस के दिन एक दिन की भीड़ होती है। उसी दिन बर्तनों का बाजार गुलजार होता है। खास स्टाइलिश किचनवेयर के बर्तनों की डिमांड होती है। स्टील के बर्तनों की डिमांड सबसे ज्यादा होती है जबकि तांबा, कांसा और पीतल के बर्तन धार्मिक क्रियाओं के संपादन के लिए बिकते हैं। - शमशाद, बर्तन दुकानदार