RANCHI: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट(मनरेगा) देश के विभिन्न राज्यों की तरह झारखंड में भी मील का पत्थर साबित हुआ। लेकिन, इसके लिए मनरेगा कार्यकर्ताओं को अपने पसीने के साथ-साथ लहू भी बहाना पड़ा है। जी हां, झारखंड में मनरेगा को लागू कराने में आठ लोगों को शहीद होना पड़ा है। इनमें से सात लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई, वहीं एक कार्यकर्ता ने सरकारी अधिकारियों की कमीशनखोरी से तंग आकर आत्मदाह कर लिया। गौरतलब हो कि ख् फरवरी, ख्00म् को तत्कालीन केंद्र सरकार ने मनरेगा को देश में लागू किया था। मंगलवार को इसके क्0 साल पूरे हो रहे हैं। हर साल इस दिन नरेगा दिवस के रूम में मनाया जा रहा है।

ललित की हत्या से हिल गया था पूरा स्टेट

सोशल वर्कर ललित मेहता की हत्या क्ब् मई ख्008 को पलामू की कांडा घाटी के जंगल में कर दी गई। इन्होंने आरटीआई फाइल कर नरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार के खुलासे के लिए सोशल ऑडिट रिपोर्ट की मांग की थी। इंजीनियर से सामाजिक कार्यकर्ता बने ललित मेहता की हत्या से पूरा झारखंड हिल गया था। वह जानेमाने सोशल इकोनॉमिस्ट व नरेगा लागू कराने के अभियान से जुड़े ज्यां द्रेज के साथ मिलकर सोशल ऑडिट कर रहे थे। साल ख्008 में ही भ्रष्ट अधिकारियों ने नरेगा कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने की भरपूर कोशिश की। इसी साल हजारीबाग जिले में सरकारी कर्मियों से तंग आकर तापस सोरेन ने सरेआम आत्मदाह कर लिया। गिरीडीह में ठेकेदारों ने भाकपा माले नेता कामेश्वर यादव की हत्या कर दी। पलामू के तुरिया मुण्डा, जग्गू भुईयां, शिव शंकर साव, हजारीबाग के सुबल महतो व लातेहार के नियामत अंसारी की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई। साल ख्008 से लेकर ख्0क्क् तक पूरे राज्य में नरेगा में भ्रष्टाचार के खिलाफ गोलबंद करने वालों को जान से मारने या अंजाम भुगतने की धमकियां दी जाती रहीं।

दो नियमावली बनीं, पर अमल नहीं

झारखंड सरकार पिछले साल ख्0क्भ् में नरेगा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए दो महत्वपूर्ण नियमावली पारित की। पहला झारखंड राज्य मनरेगा अंतगर्त विलंबित मजदूरी भुगतान के लिए क्षतिपूर्ति नियमावली ख्0क्भ् व दूसरा झारखंड राज्य बेरोजगारी भत्ता भुगतान नियमावली ख्0क्भ्। लेकिन, इन दोनों नियमावली का झारखंड में पालन नहीं हो रहा है। झारखंड नरेगा वाच के संयोजक जेम्स हेरेंज कहते हैं कि पूरे झारखंड में कुल 7ख्,म्0,ख्क्फ् मानव दिवस का 7फ्,ब्0,ख्फ्फ् रुपए भुगतान लंबित है। झारखंड में मनरेगा का काम इसलिए भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि पूरे राज्य में क्भ् फीसदी मनरेगा कर्मियों के पद खाली हैं।

ख्00 जिलों से शुरू योजना अब म्म्0 जिलों में

कांग्रेसनीत यूपीए फ‌र्स्ट ने ख् फरवरी, ख्00म् को मनरेगा को देश में लागू किया था। यह दिन ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ख्7.म्ख् करोड़ असंगठित मजदूरों के लिए एक ऐतिहासिक था। देश की क्ब्वीं लोकसभा द्वारा साल ख्00भ् में पारित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून ख्00भ् की औपचारिक शुरुआत आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के पंदलापल्ली ग्राम पंचायत से हुई थी। शुरू में इसमें देश के ख्00 अति पिछड़े जिलों को शामिल किया गया था, अब यह योजना म्म्0 जिलों में चलाई जा रही है।

Posted By: Inextlive