रांची: अगर आपने पिछले कई महीने से अपने घर की बिजली का बिल जमा नहीं किया है तो छठ के बाद आपके घर की बिजली काटी जा सकती है। रांची एरिया बोर्ड के अधिकारियों ने 105 लोगों की टीम बनाई है, जो लोगों के घरों में जाकर कनेक्शन काटने का काम करेगी। बिजली वितरण निगम वैसे कंज्यूमर को जिन्होंने लॉकडाउन के बाद बिजली बिल जमा नहीं किया है उनके घर की बिजली काटने का निर्णय लिया है। कनेक्शन काटने का काम शुरू हो गया है, लेकिन दीपावली और छठ के कारण इसे रोक दिया गया है। जैसे ही छठ पर्व खत्म होगा यह टीम फिर से एक्टिव हो जाएगी।

घाटे में है बिजली बोर्ड

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के विखंडन के बाद वितरण, संचरण और उत्पादन को लेकर बनाई गई स्वतंत्र कंपनियां भी सरकार पर बोझ बनकर रह गई हैं। बिजली के क्षेत्र में सुधारात्मक उपायों के मद्देनजर विद्युत बोर्ड का विखंडन इसी लक्ष्य को लेकर किया गया था कि कंपनियां का घाटा शून्य होगा और वो अपने पांव पर खड़ी होंगी। लेकिन, कंपनियों का घाटा पहले की भांति जारी रहा। इसका सबसे बड़ा कारण वित्तीय मिस मैनेजमेंट माना जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) औसतन हर माह लगभग 400 करोड़ रुपए की बिजली खरीदता है, लेकिन वसूली अधिकतम 250 करोड़ रुपए प्रतिमाह से अधिक नहीं हो पाती। इसकी भरपाई राज्य सरकार को रिसोर्स गैप मद से करनी पड़ती है। औसतन एक वर्ष में लगभग 1500 करोड़ रुपए की भरपाई सरकार इस मद से करती है।

बिल नहीं कर रहे जमा

लॉकडाउन के बाद झारखंड बिजली वितरण निगम की माली हालत पूरी तरह से खराब हो चली है। हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल रूरल एरिया के 60 में से करीब 40 लाख उपभोक्ता नियमित तौर पर बिजली बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। ऊपर से बड़े डिफॉल्टरों का बिल नहीं जमा करना। केंद्र सरकार के पिछले वर्ष 2019 में सौभाग्य योजना के तहत हर ग्रामीण को बिजली कनेक्शन से जोड़ दिया गया। मीटर भी लगा दिए गए, मगर बिजली बिल नहीं के बराबर आ रहा है।

बड़ी कंपनियां भी नहीं जमा कर रही है बिल

बिजली निगम के फिक्स आय वाले स्रोत रेलवे एवं इंडस्ट्रियल पर विराम लग गया है। लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति के कारण रेलवे से प्राप्त होने वाला कम से कम 40 करोड़ का राजस्व नहीं मिल रहा है। ऐसा ट्रेनों के नहीं चलने एवं स्टेशन पर गतिविधियां ठप होने के कारण हुआ है। यही हालत इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं का भी है। लॉकडाउन में ज्यादातर स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज एवं अन्य मंझोले एवं बड़े उद्योग एवं फैक्ट्री बंद होने, खुलने के बाद भी काम बहुत कम होने के कारण इससे प्राप्त होने वाले राजस्व 170 से 180 करोड़ से घटकर 30-40 करोड़ पर पहुंच गया है।

बिजली खरीद पर मासिक खर्च

डीवीसी : 160 करोड़ रुपए

एनटीपीसी : 120 करोड़ रुपए

टीवीएनएल : 60 करोड़ रुपए

आधुनिक पावर : 40 करोड़

अन्य छोटी सेंट्रल सेक्टर की कंपनियां : करीब 50 करोड़ रुपए

कुल बिजली खरीद पर खर्च : करीब 430 करोड़ रुपए

राजस्व से प्राप्ति : 430-500 करोड़ रुपए करीब

वर्तमान में राजस्व वसूली : करीब 200 करोड़ के आसपास

Posted By: Inextlive