कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण कर रह रहे हैं लोग. ग्रीन लैंड पर हो रहा है व्यवसाय. प्रशासन के सुस्त रवैये से डैम का खत्म हो रहा अस्तित्व. एन्क्रोचमेंट के कारण सिकुड़ता जा रहा है डैम का स्वरूप.

रांची(ब्यूरो)। डैम किनारे अवैध रूप से निर्मित मकानों को लेकर अक्सर आदेश-निर्देश जारी होते हैं। मकानों को तोडऩे के लिए भी कोर्ट ने कई बार आदेश जारी किया है। नगर निगम, अंचल कार्यालय को भी फटकार लगाया जा चुका है, लेकिन फिर भी संबंधित अधिकारी-पदाधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। एक ओर गंदगी के कारण डैम का पानी सड़ रहा है। डैम का एरिया भी घट रहा है। डैम में पानी नहीं, बल्कि जलकुंभी नजर आता है। वहीं दूसरी ओर डैम के आस-पास एन्क्रोचमेंट ने डैम को और अधिक प्रभावित किया है। रातू थाना क्षेत्र में आने वाला नवासोसो में दर्जनों मकान ऐसे हैं, जो कांके डैम किनारे अवैध रूप से निर्मित हैं। न सिर्फ ग्रीन लैंड बल्कि प्रशासन की ओर से किए गए सीमांकन के बावजूद कुछ लोगों ने एन्क्रोचमेंट कर घर बना लिया है।
रातों-रात मकान तैयार
नवा सोसो के लोगों ने बताया कि कुछ महीने पहले ही प्रशासन का बुलडोजर चलाया गया था। घरों को ध्वस्त किया गया था। लेकिन प्रशासन के सुस्त पड़ते ही फिर से अतिक्रमण कारियों ने मकान खड़े कर लिये हैं। कुछ कहने पर दबंगई दिखाने लगाते हैं। पास में रहने वाले दिलीप वर्मा ने कहा कि अतिक्रमण करने वालों में ज्यादातर लोग अपराधी टाइप के हैं। कुछ कहने पर भद्दी गाली और धमकी देते हैं। इसलिए आम पब्लिक उनसे कुछ नहीं कहती है। अतिक्रमण के पीछे सबसे बड़ी वजह सीओ ऑफिस की लापरवाही है। सिस्टम सुस्त पड़ते ही अतिक्रमण शुरू हो जाता है। इसके लिए लगातार एक्शन की जरूरत है।
अतिक्रमण ने बर्बाद किया डैम
राजधानी रांची में तीन बड़े डैम हैं, जिसे सिटी की लाइफ लाइन कहा जाता है। धुर्वा, कांके और रुक्का डैम से शहर में वाटर सप्लाई होती है। लेकिन लगातार एन्क्रोचमेंट की वजह से डैम का स्वरूप ही सिकुड़ता जा रहा है। डैम को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान कई बार चलाया गया। लेकिन इसका कोई असर अतिक्रमण करने वालों पर नहीं हुआ। कांके डैम की अतिक्रमित जमीन को मुक्त करने के संबंध में 90 से ज्यादा लोगों को नोटिस दिया गया था। इनके घर भी जमींदोज किए गए। लेकिन कुछ दिनों में ही फिर मकान बन कर तैयार हो गए। कांके डैम संरक्षण समिति के संरक्षक अमृतेश पाठक ने बताया कि कांके डैम के पूर्वी और दक्षिणी छोर पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण किया गया है। डैम किनारे के लेक एवेन्यू, कटहल गोंदा और सरोवर नगर समेत आसपास के दूसरों मुहल्लों में सबसे ज्यादा अतिक्रमण है। लेकिन जानकारी होने और नोटिस थमाये जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
12-15 एकड़ पर एन्क्रोचमेंट
जानकार बताते हैं कि 1960 के दशक में कांके डैम के अस्तित्व में आने के बाद से ही कांके डैम के आसपास के इलाकों पर अतिक्रमण कारियों की नजर लगती रही है। तकरीबन 452 एकड़ क्षेत्र वाले इस डैम के 12 से 15 एकड़ की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। रांची के कांके डैम से 30 परसेंट आबादी को जलापूर्ति की जाती है। हर बार कोर्ट के निर्देश के बाद कांके और हेहल अंचलाधिकारियों की नींद टूटती है। लेकिन कुछ दिन बाद फिर स्थिति यथावत हो जाती है। अब भी डैम किनारे अतिक्रमण करने वालों का कब्जा है। सिर्फ घर ही नहीं होटल खोलकर भी व्यवसाय किया जा रहा है।
क्या कहती है पब्लिक
कांके डैम का पानी पहले से काफी दूषित हो गया है। जलस्तर कम रहने से डैम में जलकुंभी का फैलाव ज्यादा हो चुका है। अतिक्रमण के कारण डैम का अस्तित्व खतरे में है।
- अमित कुमार

डैम किनारे अधांधूध अवैध निर्माण जारी है। ग्रीन लैंड पर लोग घर बना कर रह रहे हैं। इससे डैम के जल स्तर पर भी असर पड़ा है। प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
- मैनेजर यादव

रांची का खूबसूरत कांके डैम अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। डैम का पानी भी अब दूषित होने लगा है। यह हाल रहा तो यह डैम अपना अस्तित्व खो देगा।
- रितेश कुमार

Posted By: Inextlive