यहां तो जनरल और एसटी-एससी की फीस है बराबर
रांची कॉलेज में जेनरल हो या एससी-एसटी या फिर ओबीसी सबकी फीस बराबर है। जब रांची यूनिवर्सिटी के पीजी डिपार्टमेंटस में आरक्षण का लाभ स्टूडेंट्स को मिलता है और उनसे फीस की रकम कम ली जाती है। वर्ष 2015-16 सेशन से यहां सारे स्टूडेंट्स से बराबर फीस ली जा रही है। उदाहरण के लिए रांची यूनिवर्सिटी के पीजी कॉमर्स एंड बिजनेस मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में एमकॉम में एडमिशन के लिए जेनरल कैटेगरी के स्टूडेंट से 530 रुपये लिये जाते हैं। वहीं एसटी-एससी से और किसी भी कैटेगरी की गर्ल्स स्टूडेंट से 332 रुपये लिये जाते हैं। जबकि रांची कॉलेज में एडमिशन के लिए बीए ऑनर्स हिस्ट्री में एडमिशन शुल्क के तौर पर एसटी कैटेगरी के स्टूडेंट विकास उरांव से 1955 रुपये लिये गये। जेनरल कैटेगरी के स्टूडेंट की फीस भी लगभग इतनी ही है।
अनुचित है बराबर फीस लेनाआदिवासी छात्र संघ आरयू के अध्यक्ष संजय महली ने बताया कि रांची कॉलेज में मनमाने तरीके से फीस की वसूली की जा रही है। अगर फीस बराबर वसूली जा रही है तो उनसे जातीय और आवासीय प्रमाणपत्र लेने का क्या औचित्य है। यह सब स्टूडेंट को पढ़ने से वंचित करने का तरीका है। वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की छात्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष नंदन कुमार सिंह ने बताया कि रांची कॉलेज में गरीब परिवारों के बच्चे भी पढ़ते हैं। ऐसे में सबसे बराबर फीस लेना सरकारी नियम के खिलाफ है। स्टूडेंटस को सरकार स्कॉलरशिप देती है ताकि वे आसानी से अध्ययन कर सके। फीस बराबर करके उनसे उनका हक छीना जा रहा है।
स्कॉलरशिप मिल जाती हैरांची कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ यूसी मेहता ने कहा कि सभी स्टूडेंट से बराबर की फीस ली जा रही है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि एससी-एसटी और ओबीसी स्टूडेंट को स्कॉलरशिप मिल जा रही है। इससे उन्हें फीस भरने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। प्राइवेट कॉलेजों में तो रांची कॉलेज से भी अधिक फीस ली जा रही है। रांची यूनिवर्सिटी से इस संबंध में नोटिफिकेशन आया है। हम बच्चों को फ्री में नहीं पढ़ा सकते। हालांकि रांची यूनिवर्सिटी की प्रोवीसी डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि रांची कॉलेज ऑटोनोमस कॉलेज है वह अपनी फीस तय कर सकता है। पर फीस बराबर लेने के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। एलएलएम की फीस 12000 से बढ़कर 20,000रांची कॉलेज में चलाये जा रहे एलएलएम कोर्स मास्टर ऑफ लेजिस्लेटिव लॉ में भी कॉलेज मैनेजमेंट ने फीस बढ़ाकर स्टूडेंट को तगड़ा झटका दिया है। वर्ष 2017-19 सेशन से एलएलएम की फीस प्रति सेमेस्टर 12,000 से बढ़ाकर 20,000 कर दी गयी है। स्टूडेंट इस फीस वृद्धि से नाराज हैं। एलएलएम की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट आकाशदीप ने बताया कि कोर्स फीस भले ही 20,000 रुपये प्रति सेमेस्टर हो पर हमें प्रति सेमेस्टर कुल मिलाकर लगभग 23,000 रुपये देने पड़ रहे हैं। वहीं ऑनलाइन फीस भरने का चार्ज 153 रुपये अतिरिक्त लिया जा रहा है। कोर्स कोर्डिनेटर डॉ पंकज वत्सल ने बताया कि पहले इस कोर्स के लिए जेनरल कैटेगरी के स्टूडेंट से 12,000 रुपये प्रति सेमेस्टर और एसटी-एससी से छह हजार रुपये प्रति सेमेस्टर लिये जाते थे। अब इसे बढ़ाकर सबके लिए 20 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर कर दिया गया है।
मिलती है स्कॉलरशिपचूंकि एससी-एसटी और ओबीसी स्टूडेंट को स्कॉलरशिप के जरिये फीस रिइंबर्स हो जाती है। इसलिए उनसे भी बराबर फीस ली जा रही है। सत्र 2017-19 के स्टूडेंट से बढ़े दर पर फीस ली जा रही है। वहीं सीटें भी बढ़ाकर 42 कर दी गयी हैं। इनमें चार सीटें पेड सीट है। यह सेल्फ फाइनेंस कोर्स है इसलिए डिपार्टमेंट के संचालन के लिए यह जरुरी था। इस बढ़ोत्तरी को उचित ठहराते हुए रांची कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ यूसी मेहता ने कहा कि एलएलएम सेल्फ फाइनेंस कोर्स है। इसमें 42 सीटें हैं। फैकल्टी को पैसे देने के लिए फीस में बढ़ोत्तरी मजबूरी थी। दूसरे संस्थानों में इससे भी अधिक फीस ली जाती है। यहां से निकले स्टूडेंट ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बनते हैं।