-रांची स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बढ़ाने में बड़ा घालमेल

-आईवाश के लिए छिड़क रहे हैं सीमेंट पाउडर

-अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा है मिलावट का खेल

vivek.sharma@inext.co.in

RANCHI (18 Feb) : रांची रेलवे स्टेशन इन दिनों लूट का अड्डा बना हुआ है, जिसे देखो वहीं डेवलपमेंट के नाम पर लूटने में लगा है। यहीं वजह है कि कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे ठेकेदार को भी एक्शन का कोई डर नहीं है। इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है। ठेकेदार बालू पर ही टाइल्स बिछाने में लगा है। वहीं टाइल्स भी लो क्वालिटी का ही यूज किया जा रहा है। इतना ही नहीं पैसे बचाने के लिए पुराने टाइल्स को भी खपाया जा रहा है, जिससे यह तो साफ हो गया है कि प्लेटफार्म पर लगाए गए टाइल्स ज्यादा दिन नहीं टिकेगा।

मैटेरियल में बालू ही बालू, सीमेंट नाम का

किसी भी कंस्ट्रक्शन के लिए सीमेंट और बालू का रेशियो तय किया जाता है। लेकिन रांची स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बढ़ाने में इस बात का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ऊपर से भले ही टाइल्स चमक रहा है, लेकिन टाइल्स लगाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मैटेरियल में सीमेंट तो बस नाम का है। बाकी मैटेरियल में बालू ही बालू दिखाई दे रहा है। वहीं आईवॉश के लिए ऊपर से सीमेंट का छिड़काव कर टाइल्स चिपका दिया जा रहा है।

नए की जगह पुराने टाइल्स

प्लेटफॉर्म की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पहले से लगे टाइल्स को उखाड़ दिया गया है। इसकी जगह नए टाइल्स लगाने के लिए मंगवाए गए है, लेकिन ठेकेदार पैसे बचाने के चक्कर में पुराने टाइल्स का ही कई जगहों पर इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए मजदूरों को काम पर लगाया गया है। ये लोग पुराने टाइल्स उखाड़ने के बाद उसमें लगे सीमेंट को साफ कर रहे है। जिससे कि दोबारा से उसे इस्तेमाल के लायक बना ि1लया जाए।

घटिया क्वालिटी के मैटेरियल का इस्तेमाल

कंस्ट्रक्शन में बालू, गिट्टी और टाइल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इसकी भी क्वालिटी काफी खराब है गिट्टी देखकर समझा जा सकता है कि उसकी क्या क्वालिटी है। जबकि टाइल्स का भी साइज एक नहीं है। कोई टाइल्स मोटा है तो कोई पतला। इसके अलावा इस्तेमाल में लाया जा रहा बालू भी अच्छी क्वालिटी का नहीं है।

अधिकारियों ने आंख पर बांध रखी है पट्टी

ऊंचाई बढ़ाने के लिए कुछ जगहों पर ठेकेदार ने आरसीसी ढलाई की है। इसके बाद बाकी जगहों पर बालू में थोड़ा सीमेंट मिलाकर बिछा दिया गया है। बालू का लेवल कर उसपर ऊपर से सीमेंट छिड़काव कर टाइल्स को चिपका दिया जा रहा है। इसके बाद सीमेंट का लिक्विड टाइल्स के गैप को भरने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बावजूद जिम्मेवार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है। ऐसे में अधिकारियों की मिली भगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

Posted By: Inextlive